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मंत्रिमंडल विस्तार: सिंधिया खेमे के कारण बिगडे़ मालवा-निमाड़ के समीकरण

मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल की सुगबुगाहट के बीच बीजेपी में अंदरूनी खटास भी पनप रही है, ऐसा ही हाल मालवा निमाड़ से किन नेताओं को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी ये तो कहना मुश्किल लेकिन यहां से इस कम ही लोगों की जुगत लगेगी, सिंधिया खेमा यहां के समीकरण बिगाड़ता नजर आ रहा है.

political equation in Malwa Nimar
मालवा निमाड़ में बिगड़ते समीकरण
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Published : May 27, 2020, 8:11 PM IST

इंदौर। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की रणनीतिक संभावनाओं के बीच इस बार मालवा निमाड़ को भी मंत्रिमंडल में सीमित स्थान ही मिल पाएगा. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि इंदौर से भाजपा के दो और अंचल से सिंधिया समर्थकों को मिलाकर करीब आधा दर्जन वरिष्ठ विधायकों को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.

सिंधिया खेमा बिगाड़ेगा समीकरण

दरअसल मालवा निमाड़ के क्षेत्रीय समीकरणों पर गौर किया जाए तो ग्वालियर चंबल की तरह ही यहां भी मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले दावेदारों के बीच भारी रस्साकशी का माहौल है, फिलहाल जो नाम तय माने जा रहे हैं. उनमें प्रत्येक जिले से दो-दो दावेदारों के बीच सीधा मुकाबला है इंदौर से रमेश मेंदोला और उषा ठाकुर के नाम है. धार से राज्यवर्धन सिंह और नीना वर्मा की दावेदारी है तो वहीं मंदसौर से हरदीप सिंह डंग और जगदीश देवड़ा और रतलाम से ओम सकलेचा चैतन्य कश्यप के नाम शामिल होने की संभावना है. इनके अलावा कुंवर विजय शाह उज्जैन से मोहन यादव और यशपाल सिंह सिसोदिया के नाम भी दावेदारों की सूची में है.

ऐसी स्थिति में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में अपने करीबियों को शामिल कराने को लेकर पशोपेश में हैं, सभी विधायकों के संगठन में सीधे दखल के अलावा केंद्रीय नेतृत्व से सीधी पकड़ के कारण किसी की भी दावेदारी को अस्वीकार करना सत्ता और संगठन के लिए भी भारी पड़ सकता है. यही वजह है कि मंत्रिमंडल में एक-एक नाम को लेकर सत्ता संगठन के साथ शीर्ष नेतृत्व की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. स्वीकृति और सहमति मिलने के बाद ही मंत्रिमंडल के नामों की सूची फाइनल की जा सकेगी.

उपचुनाव को लेकर मंत्रियों की प्राथमिकता

यह पहली बार है जब मंत्रिमंडल का विस्तार आगामी उपचुनाव के अनुसार किया जा रहा है. इस विस्तार में उसे मौका मिल रहा है जो मंत्री बनने के बाद अपनी सीट जीता कल आ सकता है, फिलहाल दोनों दलों का फोकस मुरैना, ग्वालियर और चंबल अंचल की अधिकांश सीटों पर है. लेकिन मालवा निमाड़ की कुछ सीटों पर भी इस प्राथमिकता का ध्यान रखा जा रहा है हालांकि 8 के करीब मंत्री तो ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक हैं ऐसी स्थिति में बीजेपी के वरिष्ठ विधायकों की दावेदारी खटाई में पड़ सकती है. इस पूरे घटनाक्रम से भाजपा का आम कार्यकर्ता निराश है, जिसकी पटरी कांग्रेस से आए नेताओं के साथ फिलहाल बैठती नजर नहीं आ रही है.

उभरे असंतोष के सुर

इंदौर में रमेश मेंदोला को मंत्री बनाए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की असहमति है वे उषा ठाकुर का समर्थन कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में वरिष्ठ विधायक महेंद्र हार्डिया को मौका मिल सकता है. कुछ ऐसी ही स्थिति पूर्व मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह और राजेंद्र शुक्ला को लेकर बन रही है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और सुहास भगत अपने-अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में शामिल कराना चाहते हैं. नेता प्रतिपक्ष रहे पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी पहले चरण में मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से नाराज हैं, ऐसी स्थिति में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद असंतोष के स्वर उभरने की भी पूरी संभावना है.

इंदौर। मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की रणनीतिक संभावनाओं के बीच इस बार मालवा निमाड़ को भी मंत्रिमंडल में सीमित स्थान ही मिल पाएगा. हालांकि उम्मीद की जा रही है कि इंदौर से भाजपा के दो और अंचल से सिंधिया समर्थकों को मिलाकर करीब आधा दर्जन वरिष्ठ विधायकों को शिवराज मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.

सिंधिया खेमा बिगाड़ेगा समीकरण

दरअसल मालवा निमाड़ के क्षेत्रीय समीकरणों पर गौर किया जाए तो ग्वालियर चंबल की तरह ही यहां भी मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले दावेदारों के बीच भारी रस्साकशी का माहौल है, फिलहाल जो नाम तय माने जा रहे हैं. उनमें प्रत्येक जिले से दो-दो दावेदारों के बीच सीधा मुकाबला है इंदौर से रमेश मेंदोला और उषा ठाकुर के नाम है. धार से राज्यवर्धन सिंह और नीना वर्मा की दावेदारी है तो वहीं मंदसौर से हरदीप सिंह डंग और जगदीश देवड़ा और रतलाम से ओम सकलेचा चैतन्य कश्यप के नाम शामिल होने की संभावना है. इनके अलावा कुंवर विजय शाह उज्जैन से मोहन यादव और यशपाल सिंह सिसोदिया के नाम भी दावेदारों की सूची में है.

ऐसी स्थिति में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मंत्रिमंडल में अपने करीबियों को शामिल कराने को लेकर पशोपेश में हैं, सभी विधायकों के संगठन में सीधे दखल के अलावा केंद्रीय नेतृत्व से सीधी पकड़ के कारण किसी की भी दावेदारी को अस्वीकार करना सत्ता और संगठन के लिए भी भारी पड़ सकता है. यही वजह है कि मंत्रिमंडल में एक-एक नाम को लेकर सत्ता संगठन के साथ शीर्ष नेतृत्व की अनुमति का इंतजार किया जा रहा है. स्वीकृति और सहमति मिलने के बाद ही मंत्रिमंडल के नामों की सूची फाइनल की जा सकेगी.

उपचुनाव को लेकर मंत्रियों की प्राथमिकता

यह पहली बार है जब मंत्रिमंडल का विस्तार आगामी उपचुनाव के अनुसार किया जा रहा है. इस विस्तार में उसे मौका मिल रहा है जो मंत्री बनने के बाद अपनी सीट जीता कल आ सकता है, फिलहाल दोनों दलों का फोकस मुरैना, ग्वालियर और चंबल अंचल की अधिकांश सीटों पर है. लेकिन मालवा निमाड़ की कुछ सीटों पर भी इस प्राथमिकता का ध्यान रखा जा रहा है हालांकि 8 के करीब मंत्री तो ज्योतिरादित्य सिंधिया समर्थक हैं ऐसी स्थिति में बीजेपी के वरिष्ठ विधायकों की दावेदारी खटाई में पड़ सकती है. इस पूरे घटनाक्रम से भाजपा का आम कार्यकर्ता निराश है, जिसकी पटरी कांग्रेस से आए नेताओं के साथ फिलहाल बैठती नजर नहीं आ रही है.

उभरे असंतोष के सुर

इंदौर में रमेश मेंदोला को मंत्री बनाए जाने को लेकर केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर की असहमति है वे उषा ठाकुर का समर्थन कर रहे हैं. ऐसी स्थिति में वरिष्ठ विधायक महेंद्र हार्डिया को मौका मिल सकता है. कुछ ऐसी ही स्थिति पूर्व मंत्री रहे भूपेंद्र सिंह, रामपाल सिंह और राजेंद्र शुक्ला को लेकर बन रही है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और सुहास भगत अपने-अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में शामिल कराना चाहते हैं. नेता प्रतिपक्ष रहे पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव भी पहले चरण में मंत्रिमंडल में शामिल न किए जाने से नाराज हैं, ऐसी स्थिति में मंत्रिमंडल विस्तार के बाद असंतोष के स्वर उभरने की भी पूरी संभावना है.

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