इंदौर। 'मैं बचपन में चिमनबाग मैदान पर बेसबाल खेलने आया करता था, इंदौर शहर से मेरा खास नाता रहा हैं. मैं किक बॉक्सिंग का राष्ट्रीय चैंपियन भी रहा, लेकिन कुछ साल पहले कंधे की चोट के कारण बॉक्सिंग को छोड़ना पड़ा. लेकिन बचपन से ही मुझे डब्ल्यूडब्ल्यूई (WWE) से लगाव था और आज मैं अपने सपने की ओर अग्रसर हूं.' यह कहना है इंदौर पहुंचे डब्ल्यूडब्ल्यूई के भारतीय फाइटर सौरभ गुर्जर का. ग्वालियर के रहने वाले सौरभ गुर्जर डब्ल्यूडब्ल्यूई में अपनी खास पहचान बना चुके हैं.
WWE का सफर
अपने डब्ल्यूडब्ल्यूई के सफर के बारे में सौरभ ने बताया कि यह बहुत मुश्किल सफर रहा. लेकिन कभी भी अपने सपने का पीछा करना नहीं छोड़ा. प्रॉबलम्स आई भी और उन्हें फेस करने के बाद आगे भी बढ़ा. लेकिन छोटे शहर में वह सब सुविधाएं नहीं होती है जो डब्ल्यूडब्ल्यूई की ट्रेनिंग के लिए जरूरी हैं. जिसके लिए वह मुंबई गए और 18 साल मेहनत करने के बाद आज उन्हें यह मुकाम हासिल हुआ है. साथ ही सौरव ने बताया कि डब्ल्यूडब्ल्यूई में करियर बनाना बहुत से युवाओं का सपना होता है. जिन्हें इस फील्ड के बारे में कोई मार्गदर्शन नहीं मिला हो, मैं उन्हें सलाह दूंगा कि डब्ल्यूडब्ल्यूई को कुश्ती लड़ने वाले पहलवान से ज्यादा एक एथलीट की जरूरत होती है. हमारे यहां कुश्ती के क्षेत्र में बहुत प्रतिभा है, लेकिन योग्य मार्गदर्शन की कमी है.
भीम और रावण का निभा चुके है किरदार
छह फीट आठ इंच लंबे डब्ल्यूडब्ल्यूई के पहलवान सौरभ गुर्जर टीवी के एक धारावाहिक में भीम और दूसरे धारावाहिक में रावण का किरदार निभा चुके हैं. सौरव फिलहाल पेशेवर रेसलिंग में ही करियर बनाना चाहते हैं. हालांकि उनकी फिल्म ब्रह्मास्त्र आने वाली है. जिसमें उन्होनें अमिताभ बच्चन, रणबीर कपूर और आलिया भट्ट जैसे अभिनेताओं के साथ स्क्रीन शेयर किया है. सौरभ की एक इच्छा है वो ये कि उन्हें मोहम्मद गजनवी का किरदार निभाने का मौका मिले.
अभिनय के लिए नहीं ली कोई ट्रेनिंग
आज टीवी इंडस्ट्री के साथ ही सौरभ बॉलिवुड (Bollywood) में दिग्गज कलाकारों के साथ काम कर चुके है. जब एक्टिंग स्किल्स को डेवलप करने के लिए उनसे किसी ट्रेनिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होनें बताया कि एक्टिंग को लेकर कभी कोई क्लास नहीं ली. किसी तरह की ट्रेनिंग एक्टिंग को लेकर नहीं ली. सौरभ ने बॉलीवुड में एक्टर बनने का सपना संजोने वालों को एक काम की टिप दी है. उनके मुताबिक इच्छुकों को एक्टिंग क्लास में जाने की जरूरत नहीं बल्कि लगातार ऑडिशन्स देने से भी स्किल्स डेवल्प हो सकते हैं. इससे एक्टिंग क्लासेस पर पैसे भी खर्च नहीं होंगे. इससे आत्मविश्वस (Confidence Boost) भी बढ़ेगा.
डिप्रेशन के बाद शुरू की Kick Boxing
रेसलिंग के सपने का पीछा करते हुए सौरभ ने सन् 2005 में बॉक्सिंग सीखने के लिए हरियाणा गए थे. जहां 6 महीने तक अच्छे रिजल्ट देने से सौरभ के कोच काफी खुश थे. लेकिन खेल के दौरान कंधे में चोट लगने के कारण तीन महिने तक वह डिप्रेशन में चले गए. लेकिन रेसलिंग का जूनून सौरभ के दिल और दिमाग पर चढ़ा हुआ था. खुद को मोटिवेट करने के बाद सौरभ ने Kick Boxing के जरिए रेसलिंग (Wrestling) में जाने का निर्णय लिया. हैरान करने वाली बात ये है कि चार साल तक सौरभ किक बॉक्सिंग के चैंपियन भी रहे है.
वैक्सीन लगवाने की लोगों से की अपील
सभी देशवासियों से सौरभ ने वैक्सीन लगवाने की अपील करते हुए कहा कि वैक्सीनेशन से ही कोरोना को हराया जा सकता है. कुछ लोगों में अभी भी वैक्सीन लगवाने को लेकर गलतफहमियां है, कुछ ग्रामीण इलाकों में अब भी वैक्सीनेशन (Vaccination) को लेकर लोगों के मन में डर है. लेकिन कोरोना से जंग जीतने के लिए वैक्सीनेशन ही एक मात्र उपाय है, इसलिए सभी वैक्सीन जरूर लगवाएं.