इंदौर। पूरी दुनिया में स्वच्छता के लिए ख्यात इंदौर शहर की कालोनियों और वार्ड अब कोशिशों से कचरा मुक्त हो रहे हैं. यहां शहर का सैफी नगर एकमात्र ऐसा वार्ड है जिसे स्वच्छता सर्वेक्षण में प्रदेश का पहला कचरा मुक्त वार्ड घोषित किया गया है. दरअसल इंदौर के सैफी नगर में चमक-दमक वाली स्वच्छ सड़कों से सटे हरे-भरे गार्डन और बाग बगीचे इस वार्ड के कचरे से तैयार होने वाले खाद की देन है. कुछ समय पहले तक शहर के सैफी नगर से भी नगर निगम का कचरा वाहन रोज कचरा एकत्र करने आता था, लेकिन नगर निगम की पहल पर स्थानीय रहवासियों ने फैसला किया कि घर-घर से निकलने वाले कचरे को अगर उपजाऊ खाद में तब्दील कर लिया जाए, तो गार्डन के ऊपर हर साल खाद के रूप में होने वाला खर्च बचाया जा सकता है.
जिसके बाद वार्ड के पार्षद सादिक खान ने बेसिक्स एनजीओ की मदद से घर-घर में कचरे से खाद बनाने के लिए निशुल्क डब्बे वितरित किए थे. नतीजन 60 हजार आबादी वाले 600 घरों से कचरे से खाद बनाना शुरू किया गया. इस दौरान स्थानीय लोगों और महिलाओं को एहसास हुआ कि कचरे से खाद बनाने की प्रक्रिया से गंदगी और बदबू नहीं फैलती. नतीजतन वार्ड के शेष घरों में भी कचरे से खाद बनाने की तैयारी हो गई है. फिलहाल वार्ड के तमाम घरों से अब यहां कचरा निकलना ही बंद हो चुका है. इसके अलावा नगर निगम की कचरा गाड़ी भी यहां कचरा एकत्र करने के लिए आना बंद हो चुकी है.
ऐसे कचरा मुक्त बना सैफी नगर
सैफी नगर के घर-घर में कचरे से खाद बनाने के लिए वार्ड के पार्षद और एनजीओ द्वारा पहले महिलाओं को संगठित किया. फिर सभी को समझाया गया कि कचरे से महिलाओं का वास्ता रोज पड़ता है और अगर वे गीले कचरे से घर पर ही खाद बनाना शुरू कर दें, तो उनके घरों में लगे पेड़-पौधों और बगीचों के लिए खाद बनने लगेगी. इसके बाद सभी को कचरे से खाद बनाने वाली कंपोस्ट बिन वितरित की गई. इसी के साथ बदबू रोकने के लिए खाद बनाने का पाउडर भी घर-घर में वितरित करना पड़ा. जिन लोगों को यह प्रक्रिया समझ नहीं आई, उन्हें ट्रेनिंग भी दी गई. फल स्वरूप करीब साल भर के प्रयासों के बाद वार्ड नंबर 73 के 600 घरों में अब घर पर ही कचरे से खाद बनाई जा रही है और इसी खाद का उपयोग घरों के पेड़ पौधे और मोहल्ले के बगीचों में किया जा रहा है.