इंदौर। प्रदेश में कोरोना वायरस ने सबसे पहले जबलपुर में दस्तक दी थी. उसके बाद भोपाल में बढ़े. लेकिन मिनी मुंबई कहा जाने वाला ये शहर संक्रमण से अछूता था. लेकिन ये ज्यादा दिनों तक कोरोना के कहर से बच नहीं पाया और एक ही दिन में पांच नए मामले सामने आ गए. जिसके बाद से ही ये सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब तक यहां कोरोना की वजह से प्रदेश में सबसे ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है. लेकिन जागरूकता और आधुकनिकता की मिसाल बना ये शहर कोरोना वायरस का एपीसेंटर कैस बन गया. इसके लिए छोटी-छोटी गलतियां जिम्मेदार मानी जा सकती हैं.
ऐसे शुरु हुई लापरवाही
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल डिस्टेंसिंग के लिए 22 मार्च को जनता कर्फ्यू का ऐलान किया. इस दौरान उन्होंने देशभर के लोगों से अपने घरों में रहकर ही बालकनी, दरवाजे और खिड़कियों से ताली या थाली बजाकर इस बीमारी में लोगों की सेवा कर रहे लोगों का आभार जताने की अपील की. लेकिन शहरवासियों ने इस अपील के उलट काम कर दिया और शाम पांच बजे राजवाड़े इलाके में रैली निकाल दी. सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई गई. ये गलती शहरवासियों की भारी पड़ी.
यहां से शुरू हुआ सिलसिला
इंदौर में 25 मार्च को कोरोना के एक साथ 5 मरीज मिले. हालांकि इन मरीजों ने दूसरे राज्यों की यात्राएं की थीं. 2 लोग वैष्णोदेवी और हिमाचल प्रदेश में तीर्थ यात्रा कर लौटे थे. जब वो वापस आए तो उन्हें हल्का बुखार था. इलाज कराने पर बुखार तो ठीक हो गया लेकिन 3 दिन बाद एक बार फिर 22 मार्च को तेज बुखार आया और उन्हें 23 मार्च को बॉम्बे अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा. जांच में दोनों दोस्तों में कोरोना संक्रमण के लक्षण मिले. तब से इनका इलाज चल रहा है. हालांकि अब दोनों की हालत बेहतर है.
इसी समय तीन और मरीजों की पुष्टि हुई. 25 मार्च तक जब देश में कोरोना मरीजों की संख्या 600 पार हो गई थी. तब इंदौर में एक ही दिन में 5 मरीज मिले. उसके अगले दिन ये संख्या 10 हो गई. फिर अगले दिन आंकड़ा 14 पर पहुंचा और अगले 5 दिन में इंदौर देश के सबसे संक्रमित शहरों की सूची में आठवें नंबर पर पहुंच गया. यहां कोरोना पॉजिटिव का आंकड़ा 44 हो गया. उसके अगले तीन दिनों में ये आंकडा़ दो गुना हो गया और इंदौर देश के कोरोना पॉजिटिव टॉप थ्री शहरों पहुंच गया.
मरीजों की नासमझी पड़ी भारी
कोरोना के इस तरहा पांव पसारने में कुछ मरीजों की नासमझी ने भी आग में घी का काम किया. 28 मार्च को एक संक्रमित मरीज अस्पताल से भाग गया. उसका कहना था कि वो कभी विदेश नहीं गया, तो उसे ऐसी कोई बीमारी नहीं हो सकती. अस्पताल से भागकर वो अपने घर चला गया. यहां पर उसने अपनी दो बेटियों, एक बेटा समेत 12 लोगों को संक्रमित कर दिया. इसके बाद दो और संक्रमित मरीज भी अस्पताल से भागे. लेकिन गनीमत रही कि सभी को वापस पकड़ लिया गया.
ये हरकतें भी हुईं
29 मार्च को इंदौर के रानीपुरा इलाके में भी कोरोना से संक्रमित लोगों की स्क्रीनिंग करने गई मेडिकल टीम पर वहां के लोगों ने छतों से थूककर स्वास्थ्यकर्मियों को संक्रमित करने की कोशिश की गई.
टोटल लॉकडाउन में भी नहीं थमे मामले
कोरोना पीड़ितों की लगातार बढ़ती संख्या के बाद कलेक्टर मनीष सिंह ने 30 मार्च को शहर में टोटल लॉकडाउन कर दिया. इस दौरान सभी जरूरी सेवाओं को भी रोक दी गई. लेकिन फिर भी हालात नहीं सुधरे. शहर में 4 अप्रैल तक मरीजों की संख्या 112 पहुंच गई है. जिसमें 5 की मौत भी चुकी है.
स्वास्थ्यकर्मियों पर हमला
शहर के टाटपट्टी बाखल इलाके में क्षेत्र के लोगों ने स्वास्थ्यकर्मियों पर पथराव कर दिया था. ये टीम जब इस क्षेत्र में निरीक्षण के लिए गई तो उन पर हमला किया गया.
कहीं न कहीं ये फैक्टर भी रहे जिम्मेदार
अब क्योंकि इंदौर मध्यप्रदेश की आर्थिक राजधानी है. इसलिए यहां इंटरनेशनल एयरपोर्ट है. लिहाजा दूसरे राज्यों समेत विदेशी सैलानियों का आना-जाना लगा रहता है. साथ ही आर्थिक राजधानी की वजह यहां तमाम लोग रोजगार की तलाश में आते हैं. जिससे संक्रमण का खतरा और बढ़ा जाता है
हालांकि प्रशासन पूरी मुस्तैदी के साथ परिस्थियों को कंट्रोल करने में जुटा हुआ है. इस दौरान कई मरीजों की हालात में भी काफी सुधार हुआ है. लेकिन प्रशासन के साथ लोगों को भी लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखना बेहद जरूरी है. तभी कोरोना से चल रही ये जंग जीती जा सकेगी.