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पाकिस्तान से लाई गई गीता ने छोड़ी संस्था, इंदौर में ही मिला नया ठिकाना

पाकिस्तान से भारत लाई गई गीता को इंदौर में ही नया ठिकाना मिल गया है. गीता ने विजय नगर इलाके में स्थित सांकेतिक भाषा के जानकार पुरोहित दंपति के घर रहने की इच्छ जाहिर की, पुरोहित दंपति ने गीता को रखने की सहमति जताई है.

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इंदौर में ही मिला नया ठिकाना
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Published : Jul 21, 2020, 3:43 PM IST

Updated : Jul 21, 2020, 4:20 PM IST

इंदौर। अपने माता-पिता की तलाश में लगभग पांच साल पहले पकिस्तान से भारत आयी गीता अब तक अपने परिजनों से दूर है. संस्था के माध्यम से लगातार किए गए प्रयास अधूरे ही रहे. इसी बीच गीता ने अपने विवाह की इच्छा भी जाहिर की, लेकिन उसमें भी सफलता हाथ नहीं लगी. पाकिस्तान से आने के बाद इंदौर पहुंची गीता अब तक जिस संस्था में रह रही थी, कुछ समय पहले उसने गीता को रखने से इनकार कर दिया. जिसके बाद अब गीता का नया ठिकाना मिल गया है.

इंदौर में ही मिला नया ठिकाना

गीता ने विजय नगर इलाके में स्थित सांकेतिक भाषा के जानकार पुरोहित दंपति के घर रहने की इच्छ जाहिर की, पुरोहित दंपति ने गीता को रखने की सहमति जताई है. पिछले काफी समय से गीता इंदौर के एक अन्य संस्थान में रह रही थी, जो संस्था उसको पाकिस्तान से लेकर आई थी, उसने गीता की जिम्मेदारी आनंद मूक बधिर संस्था को सौंप दी थी. गीता के माता- पिता की तलाश में भविष्य की जो भी योजना है, इसके बारे में यही संस्था आगे काम करेगी.

सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दे दी गई है. इसके साथ ही अधिकारियों के समक्ष गीता का सारा सामान व नगदी उसे सौंप दिया गया है. ज्ञानेंद्र पुरोहित के मुताबिक उनके यहां मूक बधिर बच्चों के लिए हॉस्टल संचालित होता है, लेकिन कोरोना के कारण फिलहाल बंद है. इसलिए गीता को अपनी मां के साथ रखा गया है. जहां उसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. उसके माता-पिता की खोज अभी जारी रहेगी. वहीं गीता के द्वारा बिहार और बिहार के आसपास जो जगह बताई गई है, वहां पर अब उसके माता-पिता की खोज को तेज किया जाएगा.

आनंद संस्था रखेगी पूरा ख्याल

ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि, गीता को समाज से जुड़ने के लिए भी अलग से ट्रेनिंग दी जाएगी. बाकायदा उसे समाज में किस तरह से रहना है ये भी सिखाया जाएगा. गीता को पुरोहित दंपत्ति के द्वारा ही पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था और पिछले काफी दिनों से वो दूसरी संस्था में रह रही थी और शासन उसकी देखरेख कर रहा था, लेकिन अब शासन ने वापस उसकी जवाबदारी आनंद मूक बधिर के संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित को दे दी है. लिहाजा अब गीता इनके पास ही रहेगी. संस्था द्वारा ये भरोसा दिलाया जा रहा है कि, जल्द ही गीता के परिजनों को ढूंढ लिया जाएगा.

ये है पूरा मामला

गीता महज 11 साल की उम्र में 2003 में गलती से पाकिस्तान चली गई थी. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कोशिशों के बाद गीता को 26 अक्टूबर 2016 को पाकिस्तान से लाया गया था. सुषमा स्वराज उसके माता-पिता की तलाश से लेकर उसकी शादी कराने में भी मुख्य भूमिका निभा रही थीं. गीता को इंदौर की मूक-बधिर संस्था में रखा गया था.

इंदौर। अपने माता-पिता की तलाश में लगभग पांच साल पहले पकिस्तान से भारत आयी गीता अब तक अपने परिजनों से दूर है. संस्था के माध्यम से लगातार किए गए प्रयास अधूरे ही रहे. इसी बीच गीता ने अपने विवाह की इच्छा भी जाहिर की, लेकिन उसमें भी सफलता हाथ नहीं लगी. पाकिस्तान से आने के बाद इंदौर पहुंची गीता अब तक जिस संस्था में रह रही थी, कुछ समय पहले उसने गीता को रखने से इनकार कर दिया. जिसके बाद अब गीता का नया ठिकाना मिल गया है.

इंदौर में ही मिला नया ठिकाना

गीता ने विजय नगर इलाके में स्थित सांकेतिक भाषा के जानकार पुरोहित दंपति के घर रहने की इच्छ जाहिर की, पुरोहित दंपति ने गीता को रखने की सहमति जताई है. पिछले काफी समय से गीता इंदौर के एक अन्य संस्थान में रह रही थी, जो संस्था उसको पाकिस्तान से लेकर आई थी, उसने गीता की जिम्मेदारी आनंद मूक बधिर संस्था को सौंप दी थी. गीता के माता- पिता की तलाश में भविष्य की जो भी योजना है, इसके बारे में यही संस्था आगे काम करेगी.

सामाजिक न्याय विभाग को पत्र लिखकर मामले की जानकारी दे दी गई है. इसके साथ ही अधिकारियों के समक्ष गीता का सारा सामान व नगदी उसे सौंप दिया गया है. ज्ञानेंद्र पुरोहित के मुताबिक उनके यहां मूक बधिर बच्चों के लिए हॉस्टल संचालित होता है, लेकिन कोरोना के कारण फिलहाल बंद है. इसलिए गीता को अपनी मां के साथ रखा गया है. जहां उसका पूरा ख्याल रखा जा रहा है. उसके माता-पिता की खोज अभी जारी रहेगी. वहीं गीता के द्वारा बिहार और बिहार के आसपास जो जगह बताई गई है, वहां पर अब उसके माता-पिता की खोज को तेज किया जाएगा.

आनंद संस्था रखेगी पूरा ख्याल

ज्ञानेंद्र पुरोहित ने बताया कि, गीता को समाज से जुड़ने के लिए भी अलग से ट्रेनिंग दी जाएगी. बाकायदा उसे समाज में किस तरह से रहना है ये भी सिखाया जाएगा. गीता को पुरोहित दंपत्ति के द्वारा ही पाकिस्तान से इंदौर लाया गया था और पिछले काफी दिनों से वो दूसरी संस्था में रह रही थी और शासन उसकी देखरेख कर रहा था, लेकिन अब शासन ने वापस उसकी जवाबदारी आनंद मूक बधिर के संचालक ज्ञानेंद्र पुरोहित को दे दी है. लिहाजा अब गीता इनके पास ही रहेगी. संस्था द्वारा ये भरोसा दिलाया जा रहा है कि, जल्द ही गीता के परिजनों को ढूंढ लिया जाएगा.

ये है पूरा मामला

गीता महज 11 साल की उम्र में 2003 में गलती से पाकिस्तान चली गई थी. तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की कोशिशों के बाद गीता को 26 अक्टूबर 2016 को पाकिस्तान से लाया गया था. सुषमा स्वराज उसके माता-पिता की तलाश से लेकर उसकी शादी कराने में भी मुख्य भूमिका निभा रही थीं. गीता को इंदौर की मूक-बधिर संस्था में रखा गया था.

Last Updated : Jul 21, 2020, 4:20 PM IST
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