इंदौर। भाजपा और मोदी युग में देश की सबसे बड़ी पार्टी रही अखिल भारतीय कांग्रेस जहां कई राज्यों में अस्तित्व के संकट से जूझ रही है. वहीं अपनी राजनीतिक विरासत बरकरार रखने के साथ पार्टी में संजीवनी फूंकने पहली बार राहुल गांधी 10 जनपथ से निकलकर कश्मीर से कन्याकुमारी तक की पद यात्रा कर रहे हैं Rahul Gandhi Barat Jodo Yatra). दरअसल भारत जोड़ो यात्रा के जरिए राहुल गांधी देश की एकता और अखंडता के नाम पर अपनी पार्टी को एक सूत्र में पिरोने के साथ पार्टी नेता और कार्यकर्ताओं के बीच उत्साह का राजनीतिक माहौल बनाने लिए अब तक लगभग डेढ़ सौ दिनों में 12 राज्यों की पैदल यात्रा कर चुके हैं.
राहुल की यात्रा पर बीजेपी की नजर: दरअसल भारत जोड़ो यात्रा के माध्यम से कांग्रेस आलाकमान की भी कोशिश है कि पार्टी के मिशन 2024 (Congress Mission 2024)के पहले इस यात्रा के भरोसे ना केवल राहुल गांधी के पक्ष में जनमत तैयार कर लिया जाए, बल्कि गांव दर गांव शहर दर शहर और राज्य दर राज्य राहुल गांधी के जरिए हर तबके को साधने का प्रयास किया जाए. यही वजह है कि अब तक करीब 2000 किलोमीटर की यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने देश के विभिन्न हिस्सों में हर तबके के साथ घुलने मिलने की हर संभव कोशिश की है. इतना ही नहीं डेढ़ सौ दिनों में करीब 3570 किलोमीटर लंबी यात्रा के दौरान अपने पैदल सफर में राहुल गांधी न केवल देश के हर वर्ग से जुड़े राजनीतिक और धार्मिक समेत सांस्कृतिक स्थान मान्यता और रुझान के तहत ढल जाने की हर संभव कोशिश करते नजर आ रहे हैं. इसके अलावा कन्याकुमारी से लेकर कश्मीर तक देश के विभिन्न राज्य और शहरों की जनता जिस इलाके में जिस परंपरा और रिवाज को मानती है, वह यात्रा के दौरान उस परंपरा और रिवाज का हिस्सा होना चाहते हैं. जिससे कि राहुल गांधी के पक्ष में एक बड़ा जनमत खड़ा करके मिशन 2024 के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने राहुल गांधी को पार्टी के सर्वमान्य युवा नेतृत्व के रूप में खड़ा किया जाए, हालांकि राहुल की इस यात्रा पर फिलहाल विपक्षी दल के रणनीतिकार यात्रा के प्रभाव और यात्रा के गुजरने वाले स्थानों से कांग्रेस के माहौल को लेकर वेट एंड वाच की स्थिति में बने हुए हैं, जो विभिन्न राज्यों में अपने अपने माध्यमों से राहुल की हर राजनीतिक,धार्मिक गतिविधि पर नजर भी बनाए हुए हैं.
कांग्रेस के राजनीतिक इतिहास में यह पहला मौका है, जब संगठन की जिम्मेदारी पार्टी ने निर्वाचन की प्रक्रिया के नाम पर अपने खास सिपहसालार मलिकार्जुन खड़गे को सौंपकर पार्टी नेतृत्व के नाम पर प्रथक से एक ऐसी लकीर खींचने की कोशिश की है, जिससे कि संगठन की समानांतर व्यवस्था के साथ राहुल गांधी को देश के सर्वमान्य नेतृत्व के रूप में स्थापित किया जाए. जाहिर है व्यक्तिगत तौर पर राहुल गांधी के लिए यात्रा एक कठिन परीक्षा है, लेकिन अब जबकि खुद राहुल गांधी विभिन्न भाषाओं से जुड़े और रीति रिवाज से जुड़े लोगों को अपने साथ जय जयकार करते हुए यात्रा में चलते देख रहे हैं तो वह भी यात्रा की थकान और तथाकथित प्रोटोकॉल को भूल कर पार्टी की गाइड लाइन के अनुसार अपने आप को हर मौके पर प्रमाणित करते हुए भारतीय जनमानस और रहन-सहन को करीब से देखते नजर आ रहे हैं.
खोये हुए जनाधार को वापस पाने की तैयारी: 7 सितंबर 2022 को कन्याकुमारी से शुरू हुई इस यात्रा के दौरान जाहिर है पार्टी के खोए हुए जनाधार को पाने के लिए राहुल गांधी भाजपा और सहयोगी दलों के खिलाफ हर विपक्षी दल को भी साधना चाहते हैं. तमिलनाडु में जहां उन्होंने डीएमके के साथ करीबी दिखाई तो सीएम एमके स्टालिन ने राहुल गांधी को तिरंगा थमाया. जाहिर है यहां कांग्रेस और डीएमके बिना साथ आए 2024 की नैया पार नहीं कर सकते. इस दौरान उन्होंने श्रीपेरंबदूर में अपने पिता स्वर्गीय राजीव गांधी को श्रद्धांजलि अर्पित करके भावनात्मक माहौल बनाने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी. केरल में राहुल गांधी ने जहां लोगों का ध्यान खींचने के लिए बुजुर्ग महिला को गले लगाया, उसके बाद युवा का हाथ पकड़कर चलते हुए बच्ची के सेंडल में बक्कल लगाने मैं भी गुरेज नहीं किया. इसी दौरान उन्होंने कोल्लम में अलप्पुझा नाव चला कर कांग्रेस की नैया पार लगाने का संकेत भी दिया.
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महाराष्ट्र में शरद पवार और सुप्रिया सुले भी हो सकते हैं यात्रा में शामिल: इस दौरान स्थानीय नेता के साथ पार्टी के नेता भी राहुल की आम जनता के बीच बढ़ती लोकप्रियता से संतुष्ट नजर आ रहे हैं. कर्नाटक के मैसूर में भी राहुल गांधी ने मूसलाधार बारिश में भीगते हुए भाषण देकर यह संकेत दिया कि वह वीआईपी कल्चर के शिकार नहीं है. आंध्र प्रदेश पहुंचकर राहुल गांधी राजनीतिक दौड़ में कमजोर पड़ी कांग्रेस को गति देने के लिए खुद दौड़ लगाते नजर आए. इसके संकेत वारंगल में राहुल गांधी की बड़ी रैली में नजर आए. जिसमें भारी भीड़ उमड़ी. यही स्थिति हैदराबाद के चारमीनार में आम सभा के दौरान दिखी महाराष्ट्र में प्रवेश करने के बाद राहुल ने नांदेड के गुरुद्वारे में माथा टेका. इस दौरान उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार में नोटबंदी बेरोजगारी और नफरत को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. इस दौरान एक सेवादल कार्यकर्ता के निधन के बाद यात्रा का माहौल गमगीन हुआ, लेकिन इसके बाद पार्टी ने सभी जगह इस नेता के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित कर के कार्यकर्ताओं से पार्टी के जुड़ाव को भी दर्शाने की कोशिश की. महाराष्ट्र में माना जा रहा है कि राकांपा नेता शरद पवार व शिवसेना के आदित्य ठाकरे सुप्रिया सुले भी यात्रा में शामिल होंगे.
20 नवंबर को MP आएगी भारत जोड़ो यात्रा, महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर में पूजा करेंगे राहुल गांधी
मध्यप्रदेश में यात्रा का मायने: महाराष्ट्र के बाद राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा मध्यप्रदेश में बुरहानपुर, खंडवा, खरगोन, इंदौर, उज्जैन और आगर मालवा जिले से होते हुए आगे बढ़ेगी (Bharat Jodo Yatra In MP). यात्रा के दौरान राहुल गांधी यहां बुरहानपुर के गुरुद्वारे भी पहुंच सकते हैं. यहां राहुल वोहरा समाज की दरगाह ए हकीमी मस्जिद में भी जा सकते हैं. 24 नवंबर को राहुल गांधी खंडवा में दादा धूनीवाले दरबार में दर्शन करेंगे. इस दौरान वे बुरहानपुर में अल्पसंख्यक समुदाय के बीच पार्टी का झंडा बुलंद करते नजर आएंगे. खंडवा से इंदौर की तरफ आगे बढ़ते हुए यात्रा मार्ग में पड़ने वाले ओमकारेश्वर मंदिर में राहुल गांधी ओंकारेश्वर महादेव का आशीर्वाद लेते नजर आएंगे (Rahul Gandhi Worship In Omkareshwar Temple). इस दौरान राहुल गांधी का नर्मदा में उतर कर पूजन का भी कार्यक्रम प्रस्तावित है. इसके बाद राहुल गांधी नर्मदा किनारे मोरटकका में ही रात्रि विश्राम करेंगे. उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर में भी राहुल गांधी भगवान महाकाल की पूजा अर्चना (Rahul Gandhi Worship Mahakal Temple) करेंगे और जनसभा को संबोधित करेंगे. इसके बाद राहुल गांधी 26 नवंबर को महू पहुंचेंगे. यहां वे डॉ आंबेडकर की जन्म स्थली पर भी पहुंच सकते हैं. यहां राहुल के संविधान दिवस के कार्यक्रम में शामिल होने के आसार हैं. इसके अलावा राहुल गांधी महू के पातालपानी में टंट्या भील की जन्मस्थली भी जा सकते हैं. जिससे कि मध्य प्रदेश के दलित और आदिवासी बहुल अंचल के वोट बैंक को अपने पक्ष में लाने की पहल कर सकें. इंदौर में राहुल गांधी देवी अहिल्याबाई होल्कर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते आम जनता के बीच एक बड़ी जनसभा भी कर सकते हैं. जिसका कार्यक्रम प्रस्तावित है.
क्या मिशन 2024 की है तैयारी: हालांकि पार्टी के स्तर पर अभी मध्य प्रदेश का पूर्ण दौरा जारी नहीं हुआ है, लेकिन राहुल की करीब 2000 किलोमीटर की यात्रा से स्पष्ट हो चुका है कि वह मिशन 2024 के लिए राज्यों में कांग्रेस के पक्ष में तैयार किए जाने वाले हर एजेंडे के तहत आगे बढ़ते हुए खुद को तैयार करने में कोई भी कसर छोड़ने को तैयार नहीं है. इधर मध्यप्रदेश में फिलहाल 2023 में विधानसभा चुनाव हैं, लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के जरिए कांग्रेस का फोकस फिलहाल मिशन 2024 ही है. यही वजह है कि राहुल गांधी अपने निर्धारित रूट पर आगे बढ़ते हुए एकजुट भारत भाईचारे लोकतंत्र और संवैधानिक अधिकार समेत अभिव्यक्ति की आजादी और आधारभूत समस्याओं को राष्ट्रीय फलक पर स्थापित करते हुए देश की जनता को अपने पक्ष में जोड़ने की यात्रा पर डटे हुए हैं.