इंदौर। शहर का राधा कृष्ण का एक ऐसा मंदिर है, जहां पर प्रार्थना करने के लिए बंसी मुकुट वस्त्र और आभूषण तो हैं लेकिन मूर्ति नहीं है. बावजूद इसके वहां पर श्रद्धालु बड़ी संख्या में पूजा अर्चना के लिए आते हैं. करीब 100 साल पहले होलकर शासक यशवंत राव होल्कर ने इस मंदिर को बनवाया था. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां मूर्ति की जगह पर ग्रंथों की पूजा होती है.
राधा-कृष्ण मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है. यहां पर स्थापित ग्रंथों की पूजा पूरे विधि-विधान से होती है. 100 साल पुराने इस मंदिर में 400 साल पुराने ग्रंथ रखे हुए हैं. प्रणामी संप्रदाय के गुरु प्राण नाथ ने इन ग्रंथों का अध्ययन किया था इसके साथ ही उन्होंने औरंगजेब के शासन में इस्लाम को जानने के लिए कुरान शरीफ का भी अध्ययन किया जिसमें उन्होंने पाया कि हिंदू और मुस्लिम धर्म के धार्मिक ग्रंथों में जो लिखा है भले ही उसकी भाषा और शब्द अलग हो लेकिन उनमें भाव और उसमें मौजूद सीख एक ही है.
प्रणामी संप्रदाय के राधा-कृष्ण का यह मंदिर सांप्रदायिक सौहार्द का संदेश देता है. जहां गीता के श्लोक और कुरान की आयतें लिखे ग्रंथों को राधा-कृष्ण का स्वरूप देकर पूजा जाता है. राधा कृष्ण के इस अनूठे मंदिर में जन्माष्टमी को लेकर भी विशेष आयोजन किए जाते हैं जिसमें बड़ी संख्या में भक्त श्रद्धा से शामिल होते हैं