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कब तक भोपाल नवाब कहलाएंगे सैफ अली खान, प्रॉपर्टी और टाइटल पर उठे सवाल की पूरी कहानी - SAIF ALI KHAN NAWAB TITLE

सैफ अली खान की 15 हजार करोड़ की संपत्ति का विवाद चल रहा है. अब सैफ के टाइटल को लेकर भी बहस छिड़ गई है. भोपाल से ईटीवी भारत मध्य प्रदेश ब्यूरो चीफ शिफाली पांडे की रिपोर्ट.

SAIF ALI KHAN NAWAB TITLE
एमपी में सेफ अली खान की प्रॉपर्टी का इशू (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : Jan 23, 2025, 12:55 PM IST

Updated : Jan 23, 2025, 1:12 PM IST

भोपाल (शिफाली पांडे): क्या वाकई भोपाल नवाब का टाइटल सैफ अली खान से छिन सकता है? भोपाल नवाब परिवार से जुड़ी अपनी दादी की रवायत को पटौदी परिवार कैसे बरकरार रख सकेगा? भोपाल में हजारों करोड़ की नवाबी संपत्ति जिसमें से बड़े हिस्से का अधिग्रहण सरकार कर चुकी है और कुछ हिस्सा नवाब भोपाल के परिवार के लोग बेच चुके हैं. शत्रु संपत्ति के दायरे में आ जाने के बाद उस संपत्ति पर काबिज लोग कहां जाएंगे? अचानक क्यों सैफ को मिले नवाब के टाइटल पर सवाल उठा. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट के जरिए जानिए सैफ अली खान के नवाब टाइटल और उनकी 15 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति से जुड़े विवाद की पूरी कहानी.

सैफ के नाम के साथ कब तक जुड़ा रह सकता है नवाब टाइटल

भोपाल के मर्जर से लेकर नवाबों से जुड़ी संपत्तियों के विवादों को देख रहे भोपाल के वकील जगदीश छावानी और हिमांशु राय के जरिए ईटीवी भारत ने जानने की कोशिश कि, सैफ अली खान से नवाब टाइटल छिन जाने की वजह क्या हो सकती है और रास्ता क्या है. अधिवक्ता हिमांशु राय का कहना है कि "सैफ अली खान से नवाब का टाइटल तब तक नहीं छीना जा सकता है, जब तक इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं हो जाता.''

सैफ अली खान के नवाब टाइटल को लेकर छिड़ी बहस (ETV Bharat)

''आज की तारीख तक सैफ अली खान भोपाल नवाब के टाइटल के हकदार हैं. उनके पास भी कानून की मदद लेने का रास्ता खुला हुआ है. भोपाल में उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्तियों के दायरे में लाने का मामला हो या उनके नवाब के टाइटल पर आया संकट, अभी सैफ अली खान कानून की मदद लेकर अपना पक्ष रख सकते हैं."

सैफ के भोपाल नवाब का टाइटल संकट में आया कैसे

मर्जर के साथ नवाबी संपत्ति के कानूनी पहलू की पूरी जानकारी रखने वाले अधिवक्ता जगदीश छावानी बताते हैं कि "कैसे सैफ अली खान भोपाल नवाब के टाइटल के हकदार बने और अब किस वजह से इस टाइटल के छिन जाने का संकट आया है. ये कहानी 1949 से शुरु होती है. सिलसिलेवार जानिए हुआ क्या.

MP NAWAB PATAUDI HISTORY
भोपाल की नवाब फैमिली (ETV Bharat)

जानिए कब कब क्या क्या हुआ

  • भोपाल रियासत का भारत में मर्जर भारत के आजाद होने के दो साल बाद हुआ.
  • 1 जून 1949 वो तारीख है, जब भोपाल रियासत भी भारत का हिस्सा बनी.
  • भोपाल रियासत की आखिरी बेगम सुल्तान जहां के बेटे हमीदुल्ला खान नवाब बने.
  • भोपाल गद्दी अधिनियम और मर्जर एग्रीमेंट के आर्टिकल सात के मुताबिक, नवाब हमीदुल्ला खान फिर उनके बाद उनकी सबसे बड़ी संतान इस ओहदे और रसूख की हकदार होती.
  • नवाब हमीदुल्ला खान की तीन बेटियां थी. बेटा एक भी नहीं. बड़ी बेटी आबिदा फिर बेटी साजिदा सुल्तान और फिर बेटी राबिया सुल्तान.
  • 1950 में आबिदा सुल्तान चूंकि शादी करके पाकिस्तान जा चुकी थीं. लिहाजा उनसे छोटी बहन साजिदा सुल्तान को नवाब का वारिस माना गया.
  • 10 जनवरी 1961 को साजिदा सुल्तान को नवाब का टाइटल दिया गया.
  • इसी हिसाब से साजिदा सुल्तान के इंतकाल के बाद उनके बेटे मंसूल अली खान पटौदी और फिर सैफ अली भोपाल नवाब के उत्तराधिकारी बने.
  • 1968 में भारत में शत्रु संपत्ति अधिनियम आया है. जिसमें शत्रु राष्ट्र में जाकर बसने वाले लोगों की अचल संपत्ति शत्रु संपत्ति मानी जाएगी. ऐसी संपत्तियों का भारत सरकार अधिग्रहण कर कती है.
  • इस अधिनियम के बाद 25 फरवरी 2015 को शत्रु संपत्ति कार्यालय से जो प्रमाण पत्र भोपाल नवाब की संपत्ति के बारे में जारी किया गया. उसमें इसकी वारिस आबिदा सुल्तान को बताया गया.
  • चुंकि आबिदा 1950 में ही भारत छोड़ चुकी थीं. शादी करके पाकिस्तानी नागरिक बन चुकी थीं. लिहाजा उनकी संपत्तियां शत्रु संपत्ति अधिनियम के दायरे में आ गईं.

शत्रु संपत्ति अधिनियम से तो शहरयार के बेटे भोपाल नवाब

अधिवक्ता जगदीश छावानी का कहना है कि "अगर भारत सरकार शत्रु संपत्ति अधिनियम में आबिदा सुल्तान को भोपाल नवाब का वारिस मानकर आगे बढ़ती हैं, तो पहले दिवंगत शहरयार और अब उनके बेटे भोपाल नवाब कहलाएंगे. जाहिर है इसके बाद ना सिर्फ भोपाल नवाब का टाइटल सैफ से छिन जाएगा. भोपाल में जो 15 हजार करोड़ की संपत्ति बताई जा रही है, वो भी इसी अधिनियम के अधीन होगी.''

आधे भोपाल और पांच लाख से ज्यादा आबादी पर असर

अधिवक्ता हिमांशु राय कहते हैं "भोपाल का पुराना हिस्सा जिसे आप आधा भोपाल कह सकते हैं, नवाबों की बसाहट का ही है. इस लिहाज से 1968 के बाद आए शत्रु अधिनियम के दायरे में आने पर ये पूरी प्रॉपर्टी इस एक्ट के दायरे में आ जाएगी.'' हिमांशु राय कहते हैं कि, ''इसमें कई पेंच हैं. कई संपत्तियां नवाब परिवार ने ही बेच दी. कई संपत्तियों का मुआवजा नवाब परिवार ले चुका है. तो उस सबका क्या होगा.''

आबिदा के नाम का कुछ भी नहीं रहा भोपाल में

वहीं इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी बताते हैं "नवाब साहब की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान तो 1950 में ही शादी के बाद पाकिस्तान चली गईं, फिर लौटी नहीं. बाद में नवाब हमीदुल्ला खान साहब के जीवित रहते हुए उनके सामने आबिदा सुल्तान के नाम की जितनी प्रॉपर्टी थी. उनके नाम बदल दिए गए. जिसमें नीलम पार्क था, जिसे पहले आबिदा गार्डन कहा जाता था. इसी तरह आबिदा गल्ला मंडी जिसका नाम बाद में लक्ष्मी गंज मंडी, गौहर ताज इंफेंट्री थी, वो खत्म की गई. सीहोर में आबिदा के बेटे शहरयार के नाम पर मिडिल स्कूल था, जिसका नाम बदलकर गर्वेमेंट मिडिल स्कूल किया गया. जिस तरह से नाम हटा जाहिर है, आबिदा सुल्तान से जुड़े जायदाद पर भी इतने बरसों में मालिकाना हक बदल चुके होंगे.''

भोपाल (शिफाली पांडे): क्या वाकई भोपाल नवाब का टाइटल सैफ अली खान से छिन सकता है? भोपाल नवाब परिवार से जुड़ी अपनी दादी की रवायत को पटौदी परिवार कैसे बरकरार रख सकेगा? भोपाल में हजारों करोड़ की नवाबी संपत्ति जिसमें से बड़े हिस्से का अधिग्रहण सरकार कर चुकी है और कुछ हिस्सा नवाब भोपाल के परिवार के लोग बेच चुके हैं. शत्रु संपत्ति के दायरे में आ जाने के बाद उस संपत्ति पर काबिज लोग कहां जाएंगे? अचानक क्यों सैफ को मिले नवाब के टाइटल पर सवाल उठा. ईटीवी भारत की इस रिपोर्ट के जरिए जानिए सैफ अली खान के नवाब टाइटल और उनकी 15 हजार करोड़ से ज्यादा की संपत्ति से जुड़े विवाद की पूरी कहानी.

सैफ के नाम के साथ कब तक जुड़ा रह सकता है नवाब टाइटल

भोपाल के मर्जर से लेकर नवाबों से जुड़ी संपत्तियों के विवादों को देख रहे भोपाल के वकील जगदीश छावानी और हिमांशु राय के जरिए ईटीवी भारत ने जानने की कोशिश कि, सैफ अली खान से नवाब टाइटल छिन जाने की वजह क्या हो सकती है और रास्ता क्या है. अधिवक्ता हिमांशु राय का कहना है कि "सैफ अली खान से नवाब का टाइटल तब तक नहीं छीना जा सकता है, जब तक इसका नोटिफिकेशन जारी नहीं हो जाता.''

सैफ अली खान के नवाब टाइटल को लेकर छिड़ी बहस (ETV Bharat)

''आज की तारीख तक सैफ अली खान भोपाल नवाब के टाइटल के हकदार हैं. उनके पास भी कानून की मदद लेने का रास्ता खुला हुआ है. भोपाल में उनकी संपत्तियों को शत्रु संपत्तियों के दायरे में लाने का मामला हो या उनके नवाब के टाइटल पर आया संकट, अभी सैफ अली खान कानून की मदद लेकर अपना पक्ष रख सकते हैं."

सैफ के भोपाल नवाब का टाइटल संकट में आया कैसे

मर्जर के साथ नवाबी संपत्ति के कानूनी पहलू की पूरी जानकारी रखने वाले अधिवक्ता जगदीश छावानी बताते हैं कि "कैसे सैफ अली खान भोपाल नवाब के टाइटल के हकदार बने और अब किस वजह से इस टाइटल के छिन जाने का संकट आया है. ये कहानी 1949 से शुरु होती है. सिलसिलेवार जानिए हुआ क्या.

MP NAWAB PATAUDI HISTORY
भोपाल की नवाब फैमिली (ETV Bharat)

जानिए कब कब क्या क्या हुआ

  • भोपाल रियासत का भारत में मर्जर भारत के आजाद होने के दो साल बाद हुआ.
  • 1 जून 1949 वो तारीख है, जब भोपाल रियासत भी भारत का हिस्सा बनी.
  • भोपाल रियासत की आखिरी बेगम सुल्तान जहां के बेटे हमीदुल्ला खान नवाब बने.
  • भोपाल गद्दी अधिनियम और मर्जर एग्रीमेंट के आर्टिकल सात के मुताबिक, नवाब हमीदुल्ला खान फिर उनके बाद उनकी सबसे बड़ी संतान इस ओहदे और रसूख की हकदार होती.
  • नवाब हमीदुल्ला खान की तीन बेटियां थी. बेटा एक भी नहीं. बड़ी बेटी आबिदा फिर बेटी साजिदा सुल्तान और फिर बेटी राबिया सुल्तान.
  • 1950 में आबिदा सुल्तान चूंकि शादी करके पाकिस्तान जा चुकी थीं. लिहाजा उनसे छोटी बहन साजिदा सुल्तान को नवाब का वारिस माना गया.
  • 10 जनवरी 1961 को साजिदा सुल्तान को नवाब का टाइटल दिया गया.
  • इसी हिसाब से साजिदा सुल्तान के इंतकाल के बाद उनके बेटे मंसूल अली खान पटौदी और फिर सैफ अली भोपाल नवाब के उत्तराधिकारी बने.
  • 1968 में भारत में शत्रु संपत्ति अधिनियम आया है. जिसमें शत्रु राष्ट्र में जाकर बसने वाले लोगों की अचल संपत्ति शत्रु संपत्ति मानी जाएगी. ऐसी संपत्तियों का भारत सरकार अधिग्रहण कर कती है.
  • इस अधिनियम के बाद 25 फरवरी 2015 को शत्रु संपत्ति कार्यालय से जो प्रमाण पत्र भोपाल नवाब की संपत्ति के बारे में जारी किया गया. उसमें इसकी वारिस आबिदा सुल्तान को बताया गया.
  • चुंकि आबिदा 1950 में ही भारत छोड़ चुकी थीं. शादी करके पाकिस्तानी नागरिक बन चुकी थीं. लिहाजा उनकी संपत्तियां शत्रु संपत्ति अधिनियम के दायरे में आ गईं.

शत्रु संपत्ति अधिनियम से तो शहरयार के बेटे भोपाल नवाब

अधिवक्ता जगदीश छावानी का कहना है कि "अगर भारत सरकार शत्रु संपत्ति अधिनियम में आबिदा सुल्तान को भोपाल नवाब का वारिस मानकर आगे बढ़ती हैं, तो पहले दिवंगत शहरयार और अब उनके बेटे भोपाल नवाब कहलाएंगे. जाहिर है इसके बाद ना सिर्फ भोपाल नवाब का टाइटल सैफ से छिन जाएगा. भोपाल में जो 15 हजार करोड़ की संपत्ति बताई जा रही है, वो भी इसी अधिनियम के अधीन होगी.''

आधे भोपाल और पांच लाख से ज्यादा आबादी पर असर

अधिवक्ता हिमांशु राय कहते हैं "भोपाल का पुराना हिस्सा जिसे आप आधा भोपाल कह सकते हैं, नवाबों की बसाहट का ही है. इस लिहाज से 1968 के बाद आए शत्रु अधिनियम के दायरे में आने पर ये पूरी प्रॉपर्टी इस एक्ट के दायरे में आ जाएगी.'' हिमांशु राय कहते हैं कि, ''इसमें कई पेंच हैं. कई संपत्तियां नवाब परिवार ने ही बेच दी. कई संपत्तियों का मुआवजा नवाब परिवार ले चुका है. तो उस सबका क्या होगा.''

आबिदा के नाम का कुछ भी नहीं रहा भोपाल में

वहीं इतिहासकार सैय्यद खालिद गनी बताते हैं "नवाब साहब की बड़ी बेटी आबिदा सुल्तान तो 1950 में ही शादी के बाद पाकिस्तान चली गईं, फिर लौटी नहीं. बाद में नवाब हमीदुल्ला खान साहब के जीवित रहते हुए उनके सामने आबिदा सुल्तान के नाम की जितनी प्रॉपर्टी थी. उनके नाम बदल दिए गए. जिसमें नीलम पार्क था, जिसे पहले आबिदा गार्डन कहा जाता था. इसी तरह आबिदा गल्ला मंडी जिसका नाम बाद में लक्ष्मी गंज मंडी, गौहर ताज इंफेंट्री थी, वो खत्म की गई. सीहोर में आबिदा के बेटे शहरयार के नाम पर मिडिल स्कूल था, जिसका नाम बदलकर गर्वेमेंट मिडिल स्कूल किया गया. जिस तरह से नाम हटा जाहिर है, आबिदा सुल्तान से जुड़े जायदाद पर भी इतने बरसों में मालिकाना हक बदल चुके होंगे.''

Last Updated : Jan 23, 2025, 1:12 PM IST
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