इंदौर। एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष के बाद बैंकिंग और फाइनेंस सेक्टर की चार मुख्य व्यवस्थाएं इस साल से बदलने जा रही हैं. वित्त मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, बदली गई इन व्यवस्थाओं के कारण बैंकिंग से लेकर सामाजिक संस्थाएं, ईपीएफओ ऑडिट की व्यवस्था में बदलाव आएगा.
हर 5 साल अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा
हाल ही में घोषित किए गए बजट के बाद एक अप्रैल से शुरू हुए नए वित्तीय वर्ष में बजट के नियमों के अनुसार, अब सामाजिक संस्थाओं और चैरिटेबल ट्रस्ट को हर 5 साल अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा. अब तक ऐसी तमाम संस्थाओं के लिए एक बार ही रजिस्ट्रेशन की व्यवस्था थी, लेकिन ऐसी तमाम संस्थाएं जो सामाजिक प्रकल्प होने के नाम पर आयकर अधिनियम 12 a और 80 c के तहत छूट प्राप्त करती हैं, उन संस्थाओं के लिए अब पंजीयन की अधिकतम सीमा 5 साल रहेगी. इस साल का पंजीयन आगामी 30 जून तक कराना होगा. ऐसा नहीं कर पाने की स्थिति में उन्हें आयकर अधिनियम में छूट का लाभ मिलना मुश्किल होगा.
10 करोड़ की लिमिट तक ऑडिट करा सकेंगे
इसके अलावा भारत सरकार ने व्यापारियों के लिए ऑडिट की सीमा में भी वृद्धि की है. सामान्य तौर पर यह एक करोड़ रुपये है, लेकिन ऐसे व्यापारी जिनके व्यापार का कुल भुगतान नॉन कैश पेमेंट, लांगेस्ट रिसीव या व्यापार का 95 फीसदी आदान-प्रदान बैंकिंग चैनल के जरिए होता है, वह अब अधिकतम दो करोड़ के स्थान पर 10 करोड़ रुपये की लिमिट तक ऑडिट करा सकेंगे.
टारगेट के लिए 'टारगेट': टैक्स जमा न करने वाले वाहनों पर परिवहन अमले की कार्रवाई
नए वित्तीय वर्ष से भारत सरकार ने ईपीएफ पर एंपलाई द्वारा जमा राशि पर प्राप्त होने वाले 8.4 फीस दी. ब्याज की सीमा भी अधिकतम ढाई लाख रुपए तक की राशि पर निर्धारित कर दी गई है. इससे ऊपर जमा होने वाली ईपीएफ की रकम पर टैक्स लगेगा. इधर इस साल से 8 बैंक जिनमें देना बैंक, विजया बैंक, कॉरपोरेशन बैंक, आंध्र बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, यूनाइटेड बैंक और सिंडीकेट बैंक समेत इलाहाबाद बैंक का विलीनीकरण हो रहा है. ऐसी स्थिति में इन बैंकों का आईएफएससी कोड भी बदल जाएगा. लिहाजा इन तमाम बैंकों के खातेदारों को नए वित्तीय वर्ष में अपनी पासबुक बदलनी होगी. इसके अलावा इन सभी के पुराने बैंक खाते भी बदल जाएंगे. वहीं आईएफएससी कोड भी विलीनीकरण के बाद नए सिरे से एक हो जाएगा.