इंदौर। मध्य प्रदेश के आगामी सियासी संग्राम में अब जहां दोनों ही दल हर एक विधानसभा सीट पर अपने चुनावी समीकरण बिठाने में जुड़ गए हैं. वही कुछ विधानसभा सीट ऐसी हैं, जो अपने सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के कारण चुनाव के दौरान चर्चा में बनी रहती है. ऐसी ही सीट है, इंदौर की देपालपुर विधानसभा सीट. जहां एक ही समाज के थोक वोट बैंक के कारण हर बार कोई ना कोई पटेल ही विधायक बनता है.
देपालपुर सीट का समीकरण: इंदौर के पश्चिम क्षेत्र में जिला मुख्यालय से करीब 40 किलोमीटर दूर देपालपुर विधानसभा क्षेत्र समृद्ध किसानों का गढ़ है. यहां हमेशा ही मतदाता ने बड़े-बड़े से दोनों दलों को मौका दिया है. खास बात यह है कि यहां के निर्णायक मतदाता कलोता समाज के किसान हैं. जिनके क्षेत्र में करीब 70 फीसदी मतदाता हैं, माना जाता है कि जिस प्रत्याशी पर इस समाज की कृपा हो जाती है. वह यहां से विधायक बन जाता है, इसमें भी रोचक तथ्य है कि यहां कलोता समाज के प्रत्याशियों के बीच ही दोनों दलों में टिकट की दावेदारी रहती है. बावजूद इसके क्षेत्र के अधिकांश मतदाता हर बार यहां अपना प्रतिनिधित्व पार्टी के हिसाब से बदल देते हैं. वर्तमान में यहां विधायक विशाल पटेल हैं, जो इस बार भी कांग्रेस के सशक्त दावेदार हैं. हालांकि की हर बार की तरह ही आगामी विधानसभा चुनाव में देपालपुर में दिलचस्प समीकरण सामने आएंगे. हालांकि यहां भाजपा से इस बार पूर्व विधायक निर्भय सिंह पटेल के पुत्र मनोज पटेल की दावेदारी मानी जा रही है. हालांकि विशाल पटेल के पहले वही यहां के विधायक रहे हैं.
जीत के लिए लेना पड़ता है कलोता समाज का आशीर्वाद: दरअसल, इंदौर जिले में सामान्य वर्ग की इस महत्वपूर्ण सीट पर 70 फीसदी आबादी कलोता पटेल समाज की है. जबकि दूसरे नंबर पर यहां राजपूत समाज की बहुलता है. यहां का जनप्रतिनिधित्व दोनों ही पार्टी में समाज का ही है. इसके बावजूद मतदाता यहां बारी-बारी से भाजपा और कांग्रेस दोनों को अवसर देता आया है. 1990 और 93 के चुनाव को छोड़ दिया जाए तो यहां हर बार मतदाता ने अपना राजनीतिक दल विकास के लिहाज से बदल दिया है. इस बार भी ऐसी स्थिति है, हालांकि क्षेत्र में वर्तमान विधायक विशाल पटेल की अच्छी पकड़ है और कांग्रेस की ओर से वह सबसे प्रबल दावेदार है. इस बार क्षेत्रीय किसान नेता रहे मोती सिंह पटेल भी टिकट की दौड़ में हैं. इधर भाजपा में पूर्व विधायक मनोज पटेल फिर पूरी जिम्मेदारी से मैदान संभालने को तैयार हैं, लेकिन कांग्रेस की ओर से फिलहाल विशाल पटेल को ही मौका मिलने के आसार हैं. जबकि भाजपा में जब तक प्रत्याशी की घोषणा नहीं होती तब तक दावेदारी का द्वारा जारी रहेगा. हालांकि दोनों ही दल अपनी जीत को लेकर आश्वस्त हैं, लेकिन सरकार के प्रति एंटी इनकंबेंसी और पूर्व में भी भाजपा को कई बार मौके देने के बावजूद मतदाता इस बार बिल्कुल शांत है. ऐसे में खुद दोनों ही दलों के संभावित प्रत्याशी इस बार अपनी अपनी जीत के लिए तरह-तरह का गणित लगा रहे हैं.
फिलहाल यह है चुनावी मुद्दे: देपालपुर विधानसभा क्षेत्र विकसित कृषि प्रधान इलाका है. जहां सड़क बिजली पानी जैसे अधोसंरचनात्मक विकास कार्य लगातार किए जाते रहे हैं, इस बार माना जा रहा है कि स्वास्थ्य सेवाएं रोजगार के लिए युवाओं की परेशानी और शैक्षणिक संस्थानों कॉलेज और अन्य व्यवस्थाओं का अभाव इस बार चुनावी मुद्दा रहने वाला है. माना जाता है कि दोनों ही दलों के प्रत्याशियों को बारी-बारी से चुनकर विधानसभा में भेजा जाता है, लेकिन विकास कार्यों के लिहाज से देपालपुर की स्थिति हर विधायक के कार्यकाल में जस की तस रहती है. हालांकि स्थानीय स्तर पर पानी और दूषित जल की निकासी जैसी समस्याएं हैं, जिनके निराकरण की मांग यहां के मतदाता करते रहे हैं. इसके अलावा देपालपुर के पास ही तालाब होने के बावजूद यहां गर्मियों में पानी की किल्लत हर बार बनती है. हालांकि यहां जल की आपूर्ति के लिए क्षेत्र में मौजूद बनेडिया तालाब पहले से मौजूद है, लेकिन पूरे क्षेत्र में सिंचाई की आपूर्ति करने के कारण अब तालाब की गहराई भी 12 फीट से घटकर 6 फीट ही बची है.