इंदौर। नर्मदा नदी पर एंबुलेंस की सुविधा आईआरसीटीसी व नर्मदा समग्र ने 18 मार्च से शुरू की है. इसके पूर्व 2011 में मंडला जिले के बरगी जलाशय क्षेत्र में ऐसी ही एंबुलेंस सेवा की शुरुआत की गई थी, जो अब आधुनिक रूप में अलीराजपुर के सोंडवा में चलाई जा रही है. स्थापना के बाद से नदी एंबुलेंस द्वारा नर्मदा नदी के तटवर्ती ग्रामों में 75 हजार से अधिक लोगों तक बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाई गई हैं. नदी एंबुलेंस में स्वास्थ्य कर्मी अथवा चिकित्सक एक समन्वयक के साथ नाव का ऑपरेटर और हेल्पर मौजूद रहता है.
इन सुविधाओं से लैस है नदी एंबुलेंस : नदी एंबुलेंस को एमआरपी कटमरेन नाव पर तैयार किया गया है, जो आधुनिक उपकरणों से लैस है. नदी एंबुलेंस में सौर ऊर्जा संचालित बैटरी से रोशनी होती है. इसके अलावा इसमें 40 एचपी का पेट्रोल फोर स्ट्रोक इंजन आदि तकनीकी सुविधाएं भी हैं. मरीजों के लिए एंबुलेंस में शौचालय भी मौजूद है. इसके अलावा लाइफ जैकेट और अन्य सुरक्षा साधन एंबुलेंस में मौजूद हैं. इसके अलावा एंबुलेंस में हॉस्पिटल बेड के अलावा स्टेचर अलमारी आपात स्थिति के लिए ऑक्सीजन सिलेंडर भी मौजूद है. इसमें एक बार में करीब 20 लोग सवार हो सकते हैं.
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ऐसे अस्तित्व में आई नदी एंबुलेंस : दरअसल, नर्मदा समग्र के संस्थापक और पूर्व केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री स्वर्गीय अनिल माधव दवे ने 2007 में नर्मदा नदी की राफ्ट से जल यात्रा की थी. इस यात्रा के दौरान उन्हें ध्यान आया कि नर्मदा के तटवर्ती क्षेत्र में अभी भी ऐसे लोग रहते हैं, जो बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं. इसके बाद अनिल माधव दवे के प्रयासों से ही 2011 में मंडला जिले के बरगी जला से क्षेत्र में नदी एंबुलेंस का शुभारंभ हुआ. इसके बाद 2013 में सरदार सरोवर जलाशय में भी इसका परिचालन शुरू हो सका था, जिसका संचालन एक मल्टीनैशनल कंपनी मर्क के सहयोग से सीएसआर फंड के जरिए किया गया.