इंदौर (PTI)। मध्यप्रदेश के इंदौर की एक अदालत ने कोविड-19 महामारी के दौरान नकली नोट छापने और उन्हें बाजार में चलाने के जुर्म में 26 वर्षीय एक व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अतिरिक्त लोक अभियोजक हेमंत राठौर ने बताया कि जिला एवं सत्र न्यायाधीश चतुर्थ श्रेणी जयदीप सिंह ने राजरतन तायडे को नकली नोट छापने और उन्हें बाजार में चलाने के लिए शनिवार को उम्रकैद की सजा सुनाई, जिसके बाद दोषी को केंद्रीय जेल इंदौर भेज दिया गया.
क्यों छापने लगा नकली नोट: उन्होंने कहा कि "इंदौर अपराध शाखा की टीम और आजाद नगर पुलिस ने राजरतन को 9 जून 2021 को उस समय गिरफ्तार किया था, जब वह यहां भंडारी पुल के पास नकली नोटों की खेप सौंपने के लिए एक ग्राहक का इंतजार कर रहा था. आरोपी के पास से 100 रुपये मूल्य के नकली नोटों से भरा थैला मिला था, ये नकली नोट कुल 2.53 लाख रुपये के थे. उन्होंने कहा कि आरोपी आजाद नगर में किराए के मकान में रहता था. उसे वहां ले जाया गया, जहां पुलिस ने उसका लैपटॉप, पेन ड्राइव, स्कैनर, प्रिंटर, लेंस और स्लाइड कटर बरामद किया. राजरतन से पूछताछ में यह बात सामने आई कि महामारी के दौरान उसकी नौकरी चली गई थी. इसके बाद उसने यूट्यूब पर नकली नोट बनाने के बारे में एक वीडियो देखा और नकली नोट बनाने के लिए जरूरी उपकरण खरीदे. राजरतन ने 20 दिन तक नकली नोट छापने का अभ्यास किया और फिर आखिरकार जाली नोट छापने लगा.
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एक अधिकारी से की थी 25 लाख रुपये की मांग: आजाद नगर पुलिस थाने के प्रभारी इंद्रेश त्रिपाठी ने बताया कि "राजरतन इंदौर के खुडेल और कनाड़िया पुलिस थानों में दर्ज दो अन्य मामलों में भी आरोपी है. अधिकारी ने बताया कि एक अपराध में राजरतन ने पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल को उनके मोबाइल फोन पर संदेश भेजकर उनसे 50 लाख रुपये ऐंठने का प्रयास किया था, जबकि दूसरे मामले में उन्होंने नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण (एनवीडीए) के एक अधिकारी को कथित तौर पर धमकी दी थी और उनसे 25 लाख रुपये की मांग की थी.