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अकुशलता बनी समस्या: देश में करोड़ों बेरोजगार, फिर भी कंपनियों को नहीं मिल रहे योग्य आवेदक

देश के करोड़ों युवा रोजगार की तलाश में भटक रहे हैं फिर चाहे वे ग्रेजुएट हों, इंजीनियर हों, मेडिकल या फिर किसी अन्य फील्ड से हों लेकिन इसके बाद भी एक बड़ी समस्या यह है कि कंपनियों को कुशल कर्मचारी नहीं मिल रहे हैं.

mass unemployment in india
भारत में व्यापक बेरोजगारी
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Published : Apr 27, 2023, 3:28 PM IST

अकुशलता बनी समस्या

इंदौर। देश में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी के कारण आपने नौकरी के लिए युवाओं को भटकते तो देखा होगा लेकिन बेरोजगारों की भीड़ में नौकरी देने वाली दर्जनों ख्यातनाम एमएसएमई कंपनियों को इन काम के लायक कर्मचारी ही नहीं मिल पा रहे हैं. इंदौर अंचल के पीथमपुर, देवास और सांवेर रोड की कंपनियों में ही स्थिति यह है कि यहां मैकेनिकल इलेक्ट्रिकल के कामकाज से जुड़ी कंपनियां इन दिनों योग्य कर्मचारियों की उम्मीद में शासकीय आईटीआई जैसे उपक्रमों के चक्कर काट रही हैं इसके बावजूद सरकारी क्षेत्र की प्लेसमेंट एजेंसी भी कंपनियों की जरूरत के अनुसार मैन पावर उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं.

नहीं मिल रहा उपयुक्त प्रशिक्षण: वर्तमान दौर में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी के बाद युवाओं का बड़ा तबका या तो अच्छी नौकरी के लिए उच्च शिक्षा लेता है या फिर बेरोजगार रह जाने की स्थिति में स्वरोजगार की तरफ रुख कर लेता है लेकिन देश में हाई स्कूल के बाद ही अलग-अलग सेक्टर के कामकाज और सेवाओं से जुड़े करीब 30 ट्रेड ऐसे हैं जिन से जुड़ी कंपनियां हजारों लोगों को रोजगार देना चाहती हैं लेकिन इन कंपनियों में काम कर सकने वाले कुशल आवेदक उपयुक्त प्रशिक्षण अथवा ट्रेनिंग नहीं ले पाने के कारण रोजगार पाने के लायक नहीं है.

कंपनियों को नहीं मिल रहे कुशल आवेदक: इंदौर की संभागीय नंदा नगर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था में ही आलम यह है कि इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, वेल्डर, टर्नर, फिटर, इंग्लिश और हिंदी शॉर्टहैंड, कारपेंटर, मोबाइल रिपेयर, ड्रोन टेक्नोलॉजी, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, रेफ्रिजरेशन, फैशन टेक्नोलॉजी सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉलेशन आदि सेक्टर के प्रशिक्षण के लिए ही युवा तैयार नहीं है. हर साल यहां केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आधी सीटें निशुल्क प्रशिक्षण के बावजूद खाली रह जाती हैं. करीब साल भर में 1500 एडमिशन होते हैं जिनमें भी अधिकांश छात्र या तो उच्च शिक्षा लेते हैं या फिर स्वरोजगार स्थापित करते हैं शेष करीब ढाई सौ से 300 प्रशिक्षु कोर्स पूरा करने के बाद विभिन्न कंपनियों में रोजगार पा लेते हैं लेकिन हर साल यह संख्या विभिन्न कंपनियों की डिमांड के हिसाब से एक चौथाई भी नहीं रहती लिहाजा उक्त सेक्टर के कामकाज से जुड़ी कंपनियों में पद खाली पड़े हैं जो यहां बार-बार कैंपस ड्राइव करने के लिए पहुंचती है लेकिन आवेदक ही नहीं मिल पाते जबकि दूसरी तरफ इंजीनियरिंग क्षेत्र में ग्रेजुएट और स्नातकोत्तर डिग्री धारी ऐसे हजारों युवा हैं जो बेरोजगार होने के कारण जहां तहां भटक रहे हैं यही वजह है कि अब आईटीआई जैसे संस्थान युवाओं को कंपनियों की जरूरत के हिसाब से युवाओं को प्रशिक्षित करने में जुटे हैं.

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70 की थी जरूरत मिले 3 आवेदक: इंदौर के नंदा नगर स्थित संभागीय आईटीआई मैं आज इंदौर की प्रसिद्ध रेडीमेड निर्माता कंपनी प्रतिभा सिंटेक्स कैंपस ड्राइव के लिए पहुंची थी इस कंपनी में 70 मैकेनिकल और इलेक्ट्रिकल ट्रेड की महिलाओं को नियुक्त किया जाना था लेकिन आज इंटरव्यू के लिए महज तीन आवेदक की आई लिहाजा कैंपस ड्राइव स्थगित करके तीनों के ऑनलाइन इंटरव्यू करने पड़े हालांकि प्लेसमेंट से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि वर्तमान दौर में युवा ब्रांड नेम वाली कंपनियों और अच्छी सैलरी को प्राथमिकता देते हैं जबकि एमएसएमई सेक्टर की कंपनियों में युवा अपने भविष्य को लेकर ज्यादा सुरक्षित महसूस नहीं करते जबकि रोजगार और प्रशिक्षण के लिए इस सेक्टर से जुड़े कामकाज वर्तमान दौर में सबसे ज्यादा उपयोगी साबित हो रहा है.

अकुशलता बनी समस्या

इंदौर। देश में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी के कारण आपने नौकरी के लिए युवाओं को भटकते तो देखा होगा लेकिन बेरोजगारों की भीड़ में नौकरी देने वाली दर्जनों ख्यातनाम एमएसएमई कंपनियों को इन काम के लायक कर्मचारी ही नहीं मिल पा रहे हैं. इंदौर अंचल के पीथमपुर, देवास और सांवेर रोड की कंपनियों में ही स्थिति यह है कि यहां मैकेनिकल इलेक्ट्रिकल के कामकाज से जुड़ी कंपनियां इन दिनों योग्य कर्मचारियों की उम्मीद में शासकीय आईटीआई जैसे उपक्रमों के चक्कर काट रही हैं इसके बावजूद सरकारी क्षेत्र की प्लेसमेंट एजेंसी भी कंपनियों की जरूरत के अनुसार मैन पावर उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं.

नहीं मिल रहा उपयुक्त प्रशिक्षण: वर्तमान दौर में हाईस्कूल और हायर सेकेंडरी के बाद युवाओं का बड़ा तबका या तो अच्छी नौकरी के लिए उच्च शिक्षा लेता है या फिर बेरोजगार रह जाने की स्थिति में स्वरोजगार की तरफ रुख कर लेता है लेकिन देश में हाई स्कूल के बाद ही अलग-अलग सेक्टर के कामकाज और सेवाओं से जुड़े करीब 30 ट्रेड ऐसे हैं जिन से जुड़ी कंपनियां हजारों लोगों को रोजगार देना चाहती हैं लेकिन इन कंपनियों में काम कर सकने वाले कुशल आवेदक उपयुक्त प्रशिक्षण अथवा ट्रेनिंग नहीं ले पाने के कारण रोजगार पाने के लायक नहीं है.

कंपनियों को नहीं मिल रहे कुशल आवेदक: इंदौर की संभागीय नंदा नगर औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था में ही आलम यह है कि इलेक्ट्रिकल, मैकेनिकल, वेल्डर, टर्नर, फिटर, इंग्लिश और हिंदी शॉर्टहैंड, कारपेंटर, मोबाइल रिपेयर, ड्रोन टेक्नोलॉजी, प्लंबर, इलेक्ट्रीशियन, रेफ्रिजरेशन, फैशन टेक्नोलॉजी सीसीटीवी कैमरा इंस्टॉलेशन आदि सेक्टर के प्रशिक्षण के लिए ही युवा तैयार नहीं है. हर साल यहां केंद्र सरकार और राज्य सरकार द्वारा निर्धारित आधी सीटें निशुल्क प्रशिक्षण के बावजूद खाली रह जाती हैं. करीब साल भर में 1500 एडमिशन होते हैं जिनमें भी अधिकांश छात्र या तो उच्च शिक्षा लेते हैं या फिर स्वरोजगार स्थापित करते हैं शेष करीब ढाई सौ से 300 प्रशिक्षु कोर्स पूरा करने के बाद विभिन्न कंपनियों में रोजगार पा लेते हैं लेकिन हर साल यह संख्या विभिन्न कंपनियों की डिमांड के हिसाब से एक चौथाई भी नहीं रहती लिहाजा उक्त सेक्टर के कामकाज से जुड़ी कंपनियों में पद खाली पड़े हैं जो यहां बार-बार कैंपस ड्राइव करने के लिए पहुंचती है लेकिन आवेदक ही नहीं मिल पाते जबकि दूसरी तरफ इंजीनियरिंग क्षेत्र में ग्रेजुएट और स्नातकोत्तर डिग्री धारी ऐसे हजारों युवा हैं जो बेरोजगार होने के कारण जहां तहां भटक रहे हैं यही वजह है कि अब आईटीआई जैसे संस्थान युवाओं को कंपनियों की जरूरत के हिसाब से युवाओं को प्रशिक्षित करने में जुटे हैं.

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