इंदौर। 8 करोड़ रुपए के मंडी टैक्स घोटाले के आरोपी तत्कालिक मंडी सचिव आईएएस अफसर ललित दाहिमा को हाई कोर्ट से बड़ी राहत मिल गई है. हाई कोर्ट ने कानूनी खामी होने से उन्हें मामलों में बरी कर दिया. इसी के साथ ही फर्जी एड्रेस पर खुली बोकस व्यापारिक कंपनियों ने इस 8 करोड़ के घोटाले को जन्म दिया था. जिसकी रिपोर्ट वर्ष 2004 में तत्कालीन मंडी सचिव और वर्तमान कलेक्टर मनीष सिंह ने एरोड्रम थाने में की थी.
- दाहिमा के खिलाफ चालान पेश करने में देरी
इस मामले में EOW (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) ने 7 साल तक जांच की थी. उसके बाद 28 दिसंबर 2011 को निम्न श्रेणी लिपिक ओमप्रकाश कानूनगो सहित कई स्थानों के प्रोपराइटरओं के खिलाफ मुख्य चालन पेश किया था. 28 दिसंबर 2013 को तत्कालीन मंडी प्रांगण प्रभारी सतीश परिता, सहायक उप निरीक्षक दिनेश शर्मा, सहायक उप निरीक्षक सरदार सिंह राठौर और मंडी सहायक उपनिरीक्षक दिलीप रायकवार, दैनिक वेतन भोगी संतोष पटेल के खिलाफ धोखाधड़ी की धाराओं के तहत चालान पेश किया गया. लेकिन दाहिमा के खिलाफ लंबे समय तक चालान पेश करने में कोताही बरती जा रही थी. जबकि ईओडब्ल्यू (आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ) ने पांच बिंदुओं पर उसे पहले ही दोषी पाया था.
IAS ललित दाहिमा को 8 मार्च तक राहत
- अब दाहिमा के खिलाफ नहीं चलेगा केस
3 वर्ष पहले जज जयप्रकाश सिंह के समक्ष भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दाहिमा के खिलाफ पूरक चालन पेश किया गया. मामले में दाहिमा के बार-बार गैरहाजिर रहने पर उनका गिरफ्तारी वारंट तक निकल चुका था. इसी दरमियान दाहिमा ने हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर खुद को बरी करने की मांग की थी. उसके अधिवक्ता अनिरुद्ध गोखले ने तर्क दिया था कि दाहिमा के खिलाफ केस चलाने की परमिशन नहीं दी गई. ऐसे में उनके मुवक्किल के खिलाफ प्रकरण में दर्ज धाराओं में संज्ञान नहीं लिया जा सकता. हाई कोर्ट में जस्टिस सुजॉय पाल और जस्टिस शैलेंद्र शुक्ला की डिवीजन बेंच ने इससे सहमत होकर दाहिमा की याचिका स्वीकार करते हुए उसे बरी कर दिया. इसके बाद दाहिमा के खिलाफ केस नहीं चलेगा.