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घर-घर महकेगी खजराना के फूलों की महक

विश्व प्रसिद्ध इंदौर के खजराना मंदिर में एक नया प्रयोग करते हुए खुद को तीन R कांसेप्ट पर आधारित मंदिर बना लिया है. मंदिर में पहले प्रतिदिन निकलने वाले फूलों और अन्य सामग्री से खाद बनाई जाती थी. अब इन फूलों से धूपबत्ती और अगरबत्ती भी बनाई जाएगी .

Khajrana Temple, Indore
खजराना मंदिर, इंदौर
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Published : Mar 17, 2021, 1:54 PM IST

इंदौर। शहर का प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर ने स्वच्छता में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. खजराना गणेश मंदिर में प्रतिदिन चढ़ने वाले फूलों से तीन R कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है. मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से होली का रंग तैयार किया जा रहा है. साथ ही मंदिर परिसर में ही इन्हीं फूलों को सुखाकर इनसे धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाई जाएगी. तैयार कांसेप्ट पर किए गए इस नए प्रयोग के चलते खजराना गणेश मंदिर पूरी तरह जीरोवेस्ट पर आधारित मंदिर हो गया है. मंदिर से निकलने वाले वेस्ट का पूरा उपयोग किया जा रहा है. प्रदेश में महाकाल मंदिर के बाद एकमात्र इंदौर का खजराना गणेश मंदिर है, जहां पर किसी भी प्रकार का कचरा बाहर नहीं जाता है.

खजराना मंदिर, इंदौर

15 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन चढ़ाते हैं 5 क्विंटल फूल

खजराना गणेश मंदिर में प्रतिदिन 15000 से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. श्रद्धालु 5 से 7 क्विंटल फूल प्रतिदिन मंदिर में चढ़ाते हैं. अकेले खजराना गणेश मंदिर परिसर में 33 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर स्थापित है. मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से तैयार किए गए रंग गुलाल भी पूरी तरह से हर्बल और सुरक्षित है. इसका उपयोग करने पर किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. इन रंगों को तय मानकों के आधार पर ही बनाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि भगवान गणेश को अर्पित फूलों से बने होने के कारण रंगों में आस्था का रंग भी शामिल हो गया है. इस काम को करने के लिए एक निजी संस्था की सहायता ली गई है, जो कि महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का काम भी कर रही है. यह संस्था इससे पहले उज्जैन के महाकाल मंदिर में इसी तरह से जीरो वेस्ट पर काम कर रही थी.

अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने में महिलाओं को मिला रोजगार

मंदिर में गीले कचरे और पत्तियों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने का काम भी किया जा रहा है, इन्हें बनाने के लिए 10 महिलाओं को काम पर भी रखा गया है. इसके अलावा सूखे कचरे में निकले प्लास्टिक से पाइप और कागज को दोबारा उपयोग करने के लिए रिसाइकिल किया जा रहा है. होली के त्यौहार को देखते हुए फिलहाल यहां पर रंग और गुलाल बनाया जा रहा है. होली तक 120 किलो रंग और गुलाल तैयार किए जाने की उम्मीद की जा रही है, जिन्हें पैकेट में पैक कर मंदिर से ही बेचा भी जा रहा है. रंग तैयार करने के लिए लगाए गए प्लांट और महिलाओं के वेतन जैसे खर्चे निकाले जाएंगे. मंदिर में क्रिया कॉन्सेप्ट से मंदिर को जीरो वेस्ट तो बनाया ही गया है, साथ ही यहां पर महिलाओं के लिए भी रोजगार उपलब्ध हो गया है.

खजराना गणेश मंदिर के विदेशी भक्तों ने दिए डॉलर्स में दान, लगाईं मन्नत की अर्जियां

फिलहाल खजराना गणेश मंदिर की तर्ज पर अब इंदौर के अन्य मंदिरों में भी तीन R कॉन्सेप्ट के जरिए चढ़ाए जाने वाले फूलों और पत्तियों से सामग्री तैयार करने की बात कही जा रही है. शहर के कई मंदिरों में इन सामग्री से खाद्य तैयार की जाती है, लेकिन अब महिलाओं को रोजगार देने के लिए अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने का कार्य भी किया जाएगा.

क्या है तीन R कांसेप्ट

तीन R का मतलब होता है REDUCE(कम उपयोग), RECYCLE(पुन: चक्रण), REUSE(पुन: उपयोग). इस नियम का उपयोग करने पर हम पर्यावरण पर बढ़ रहे अपशिष्ट को कम कर सकते है और इनसे हो रहे पर्यावरण को नुकसान से भी बचा सकते हैं.

इंदौर। शहर का प्रसिद्ध खजराना गणेश मंदिर ने स्वच्छता में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. खजराना गणेश मंदिर में प्रतिदिन चढ़ने वाले फूलों से तीन R कांसेप्ट पर काम किया जा रहा है. मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से होली का रंग तैयार किया जा रहा है. साथ ही मंदिर परिसर में ही इन्हीं फूलों को सुखाकर इनसे धूपबत्ती और अगरबत्ती बनाई जाएगी. तैयार कांसेप्ट पर किए गए इस नए प्रयोग के चलते खजराना गणेश मंदिर पूरी तरह जीरोवेस्ट पर आधारित मंदिर हो गया है. मंदिर से निकलने वाले वेस्ट का पूरा उपयोग किया जा रहा है. प्रदेश में महाकाल मंदिर के बाद एकमात्र इंदौर का खजराना गणेश मंदिर है, जहां पर किसी भी प्रकार का कचरा बाहर नहीं जाता है.

खजराना मंदिर, इंदौर

15 हजार श्रद्धालु प्रतिदिन चढ़ाते हैं 5 क्विंटल फूल

खजराना गणेश मंदिर में प्रतिदिन 15000 से ज्यादा श्रद्धालु दर्शन करने के लिए आते हैं. श्रद्धालु 5 से 7 क्विंटल फूल प्रतिदिन मंदिर में चढ़ाते हैं. अकेले खजराना गणेश मंदिर परिसर में 33 से अधिक छोटे-बड़े मंदिर स्थापित है. मंदिर में चढ़ाए गए फूलों से तैयार किए गए रंग गुलाल भी पूरी तरह से हर्बल और सुरक्षित है. इसका उपयोग करने पर किसी तरह का नुकसान नहीं होगा. इन रंगों को तय मानकों के आधार पर ही बनाया जा रहा है. कहा जा रहा है कि भगवान गणेश को अर्पित फूलों से बने होने के कारण रंगों में आस्था का रंग भी शामिल हो गया है. इस काम को करने के लिए एक निजी संस्था की सहायता ली गई है, जो कि महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने का काम भी कर रही है. यह संस्था इससे पहले उज्जैन के महाकाल मंदिर में इसी तरह से जीरो वेस्ट पर काम कर रही थी.

अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने में महिलाओं को मिला रोजगार

मंदिर में गीले कचरे और पत्तियों से अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने का काम भी किया जा रहा है, इन्हें बनाने के लिए 10 महिलाओं को काम पर भी रखा गया है. इसके अलावा सूखे कचरे में निकले प्लास्टिक से पाइप और कागज को दोबारा उपयोग करने के लिए रिसाइकिल किया जा रहा है. होली के त्यौहार को देखते हुए फिलहाल यहां पर रंग और गुलाल बनाया जा रहा है. होली तक 120 किलो रंग और गुलाल तैयार किए जाने की उम्मीद की जा रही है, जिन्हें पैकेट में पैक कर मंदिर से ही बेचा भी जा रहा है. रंग तैयार करने के लिए लगाए गए प्लांट और महिलाओं के वेतन जैसे खर्चे निकाले जाएंगे. मंदिर में क्रिया कॉन्सेप्ट से मंदिर को जीरो वेस्ट तो बनाया ही गया है, साथ ही यहां पर महिलाओं के लिए भी रोजगार उपलब्ध हो गया है.

खजराना गणेश मंदिर के विदेशी भक्तों ने दिए डॉलर्स में दान, लगाईं मन्नत की अर्जियां

फिलहाल खजराना गणेश मंदिर की तर्ज पर अब इंदौर के अन्य मंदिरों में भी तीन R कॉन्सेप्ट के जरिए चढ़ाए जाने वाले फूलों और पत्तियों से सामग्री तैयार करने की बात कही जा रही है. शहर के कई मंदिरों में इन सामग्री से खाद्य तैयार की जाती है, लेकिन अब महिलाओं को रोजगार देने के लिए अगरबत्ती और धूपबत्ती बनाने का कार्य भी किया जाएगा.

क्या है तीन R कांसेप्ट

तीन R का मतलब होता है REDUCE(कम उपयोग), RECYCLE(पुन: चक्रण), REUSE(पुन: उपयोग). इस नियम का उपयोग करने पर हम पर्यावरण पर बढ़ रहे अपशिष्ट को कम कर सकते है और इनसे हो रहे पर्यावरण को नुकसान से भी बचा सकते हैं.

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