इंदौर। कोरोना महामारी के चलते देश भर में सरकार द्वारा लॉकडाउन लगाया गया, जिससे लॉकडाउन के चलते मार्च माह से ही स्कूलों का संचालन बंद था, हालांकि स्कूलों द्वारा इस दौरान ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन शुरू किया गया था. बीते दिनों प्रदेश के स्कूल एसोसिएशन द्वारा सरकार से मुलाकात कर स्कूल खोलने की मांग की गई थी, स्कूल नहीं जाने पर ऑनलाइन पढ़ाई बंद करने की बात कही गई थी. जिसके बाद सरकार द्वारा 18 दिसंबर से 10वीं और 12वीं की नियमित कक्षाओं के संचालन के आदेश जारी किए गए थे, अब शासन के आदेशों को लेकर पालकों का विरोध शुरू हो गया है.
जागृत पालक संघ जाएगा कोर्ट
सरकार के आदेशों को लेकर इंदौर शहर का जागृत पालक संघ कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है. जागृत पालक संघ के अध्यक्ष चंचल गुप्ता के अनुसार सरकार द्वारा स्कूल प्रबंधकों के दबाव में स्कूल खोलने का फैसला लिया गया है जो कि काफी गलत है. एक और जहां देश की संसद, कोर्ट व अन्य संस्थाएं बंद हैं इनमें काम नहीं हो रहा है. ऐसे में स्कूलों का खोला जाना कितना सही है. सरकार ने स्कूल का ये फैसला लोगों के दबाव में लिया है. सरकार को स्वतंत्र रूप से फैसला लेना चाहिए अगर सरकार फैसले में परिवर्तन नहीं करती है तो पालक संघ पूरे मामले को लेकर कोर्ट पहुंचेगा.
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फीस वसूली के लिए खोले जा रहे हैं स्कूल
पालक संघ का कहना है कि स्कूलों द्वारा फीस की वसूली के लिए छात्रों पर दबाव बनाने के लिए स्कूलों को खोलने का दबाव बनाया गया है. बच्चे जब स्कूल पहुंचते हैं तो आने वाले दिनों में उन पर फीस की वसूली के लिए दबाव बनाया जाएगा.
हालांकि सरकार द्वारा पालको की अनुमति पर ही स्कूल जाने की बात कही है, ऐसे में अगर केवल 5 से 10% बच्चे भी स्कूल पहुंचते हैं तो सभी बच्चों पर फीस की वसूली के लिए दबाव बनाए जाने की उम्मीद है.
जागृत पालक संघ के अध्यक्ष चंचल गुप्ता का कहना है कि सरकार जल्द ही स्वतंत्र रूप से स्कूलों के खोले जाने पर पुनर्विचार करें. वहीं बिना किसी दबाव के स्कूलों के खोलने पर फैसला लें. स्कूलों को खुले जाने पर फैसला लिया जाता है तो गाइडलाइन संबंधित समस्त व्यवस्था सरकार करें और उसकी मॉनिटरिंग भी सरकार करें ताकि बच्चों को संक्रमण से बचाया जा सके.