इंदौर। इंदौर में अपराध तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन अभी तक पुलिस इंदौर में मात्र 700 कैमरों के भरोसे ही शहर की सुरक्षा संभाले हुए है. इनमें से भी अधिकांश कैमरे जरूरत पड़ने पर बंद मिलते हैं. पुलिस के द्वारा लाख दावे किए जाएं की कैमरों की मरम्मत में और उनके रखरखाव की व्यवस्था को मजबूत किया जा चुका है, लेकिन हकीकत कुछ और ही है. बंद कैमरों के कारण होने वाली घटनाओं के बारे में भी ठीक से जानकारी नहीं मिल पाती है.
अपराधियों को पकड़ने में पुलिस लेती है सीसीटीवी की मदद
शहर में लगे सीसीटीवी कैमरों से अपराधियों को पकड़ने में सबसे अधिक मदद मिलती है. अपराध होने के बाद अपराधियों के फरार होने की लोकेशन का पता इन सीसीटीवी कैमरों की मदद से ही लगता है. कंट्रोल कमांड सेंटर से इन सीसीटीवी के द्वारा पूरे शहर पर नजर रखी जाती है. इनमें से कई कैमरे यातायात पुलिस के पास है, जो की चालानी कार्रवाई में पुलिस की मदद करते हैं. इन कैमरों की मदद से भी पुलिस अपराधियों को ढूंढती है. हालांकि, पुलिस के कई कैमरे शहर के प्रमुख चौराहे और प्रमुख रास्तों पर ही लगे हुए हैं. कॉलोनियों में लगे कैमरे पूरी तरह से कई बार बंद मिलते हैं. अपराधी अपराध करने के बाद इन्हीं रास्तों के सहारे फरार होने में कामयाब हो जाते हैं.
24 घंटे में कैमरों को सुधरने का अधिकारी कर रहे हैं दावा
अधिकारियों का दावा है कि शहर में जिन 700 सीसीटीवी कैमरे से नजर रखी जा रही है. वह पूरी तरह चालू रहते हैं. यदि किसी कैमरे में खराबी आती है, तो 24 घंटे के अंदर उसे बना लिया जाता है. इन कैमरों में सबसे अधिक दिक्कत बारिश के समय होती है. बारिश में इन कैमरों की तस्वीरें पूरी तरह से अस्पष्ट नहीं हो पाती हैं, कई जगहों पर लगे कैमरों में रात के समय अपराधियों की फोटो भी ठीक से नहीं आती हैं, कैमरे खराब होने के बाद पुलिस के पास ऐसा कोई सिस्टम नहीं है. जिससे इन कैमरों के खराब होने का समय पता लगाया जा सके. लिहाजा कई बार कैमरे बंद होने के बाद किसी अपराध के होने के बाद ही चालू होते हैं.
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इंदौर में जिस तरह से अपराध में तेजी आ रही है. उतनी तेजी पुलिस सीसीटीवी में नहीं कर पा रही है. इंदौर में नगर निगम, पुलिस और यातायात विभाग के पास अपने खुद के कैमरे हैं, लेकिन विभागों के आपसी तालमेल न होने के कारण भी कई बार अपराधियों को पकड़ना चुनौती साबित होता है.