इंदौर (पीटीआई)। पुलिस ने मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में 40 चर्चों के पदाधिकारियों को धार्मिक परिवर्तन गतिविधियों का विवरण मांगने के लिए नोटिस भेजा था, लेकिन ईसाई समुदाय के विरोध के बाद उन्हें वापस ले लिया और कहा कि उन्हें गलती से जारी किया गया था. ऐसे ही एक संगठन के पदाधिकारी ने कहा कि ''समुदाय के सदस्यों को इंदौर के विभिन्न पुलिस स्टेशनों द्वारा पिछले सप्ताह लगभग 40 चर्चों और धार्मिक संगठनों के पदाधिकारियों को जारी किए गए नोटिस आपत्तिजनक लगे.''
मकरंद देउस्कर बोले- एसएचओ ने गलती से भेजे नोटिसः इस मामले को लेकर इंदौर के पुलिस आयुक्त मकरंद देउस्कर ने शनिवार को संवाददाताओं से कहा कि, ''जो नोटिस लोगों तक पहुंचे, वे वास्तव में इंदौर के सभी पुलिस स्टेशनों के एसएचओ को भेजे गए थे.'' उन्होंने कहा, "एसएचओ ने गलती से उन्हें ईसाई समुदाय के सदस्यों को भेज दिया. समुदाय के सदस्यों के विरोध के बाद नोटिस वापस ले लिया गया है."
धार्मिक परिवर्तन गतिविधियों में शामिल होने पर सवाल आपत्तिजनकः यूनाइटेड क्रिश्चियन फोरम के सुरेश कल्टन ने रविवार को पीटीआई को बताया कि, ''नोटिस में धार्मिक परिवर्तन गतिविधियों में शामिल होने पर आपत्तिजनक सवाल थे.'' उन्होंने दावा किया कि, ''नोटिस में एक सवाल है जिसमें व्यक्ति से यह घोषित करने को कहा गया है कि क्या वह या उसका संगठन धर्म परिवर्तन में शामिल है. पुलिस का यह कृत्य हमारे संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है.''
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कल्टन बोले-नोटिसों के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगेः कल्टन ने कहा, ''हम में से कोई भी ऐसी गतिविधियों में शामिल नहीं है और हम इन नोटिसों के खिलाफ उच्च न्यायालय जाएंगे.'' उन्होंने कहा, ''इंदौर में 60,000 ईसाई हैं और उनमें से बड़ी संख्या स्वास्थ्य और शिक्षा से संबंधित सामाजिक कल्याण गतिविधियों से जुड़ी है.''