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हजारों मूक बधिर बच्चों के भविष्य को सवार रहे हैं इंदौर के दंपत्ति, मुख्यमंत्री से लेकर वीआईपी कर चुके है सराहना

इंदौर के रहने वाले दंपत्ति के काम की मुख्यमंत्री से लेकर वीआईपी तक सराहना कर चुके हैं. आनंद मूक बधिर संस्थान के जरिए दंपति मूक बधिर बच्चों को शिक्षित कर रहे हैं और उन्हें आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी सक्षम भी बना रहे हैं.

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मूक बधिर बच्चों के भविष्य को सवार रही है इंदौर की दंपत्ति
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Published : May 6, 2023, 11:08 PM IST

मूक बधिर बच्चों के भविष्य को सवार रहे हैं इंदौर की दंपत्ति

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी में एक ऐसे दंपत्ति ज्ञानेंद्र पुरोहित और उनकी पत्नी मोनिका पुरोहित हैं जो मूक-बधिर बच्चों को आर्थिक व सामाजिक रूप से सक्षम करने में जुटी हुए हैं और यह सिलसिला आज से नहीं तकरीबन 25 सालों से निरंतर जारी है. इस दौरान उन्होंने कई बच्चों को आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी सक्षम भी बना दिया है और वह कई कंपनियों में काम कर रहे हैं.

मूक बधिर भाई के मौत के बाद बनाया था संस्थानः ज्ञानेद्र पुरोहित ने मूक बधिर बच्चों की सहायता का बीड़ा उस समय उठाया जब उनके भाई जो मूक बधिर थे ट्रेन हादसे में उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद उन्होंने अन्य मूक बधिर बच्चों की सहायता के लिए अपने भाई आनंद पुरोहित के नाम पर ही आनंद मूक बधिर संस्थान की शुरुआत की और निरंतर उस संस्था के माध्यम से मूक बधिर बच्चों की सहायता की जा रही है. इस मूकबधिर संस्था में बच्चों को साइन लैंग्वेज के साथ ही विभिन्न तरह से उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम करने वाले पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे हैं. जिसके कारण कई मूकबधिर बच्चे सरकारी नौकरियों के साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियों में भी नौकरी कर रहे हैं.

परिवार ने किया था काम का विरोधः दंपत्ति का कहना है कि इस काम की जब शुरुआत हुई थी तो परिवार के कई लोगों ने भी इस काम का विरोध किया था, क्योंकि मूक बधिर बच्चों को पढ़ाई के उस समय संसाधन नहीं होते थे और उन बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे पहले खुद ही साइन लैंग्वेज सीखी और उसके बाद धीरे-धीरे बच्चों को साइन लैंग्वेज सिखाना शुरू कर दिया. साइन लैंग्वेज सिखाने के बाद कुछ बच्चों में काफी परिवर्तन हुए. इसके साथ मूक बधिर बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें साइन लैंग्वेज सिखाने के साथ-साथ उन्हें अच्छी एजुकेशन और सरकारी नौकरियों के साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियों में किस तरह से नौकरी मूकबधिर के लिए करवाई जा सके इसकी व्यवस्था की गई और फिर उस तरह से उन्हें पढ़ाई उपलब्ध करवाई गई.

हर साल 1 हजार बच्चों को कर रहे हैं शिक्षितः दंपत्ति का कहना है कि वह हर साल 1 हजार बच्चों को ऑनलाइन और ऑफलाइन अलग-अलग तरह के कोर्स की तैयारी करवा कर उन्हें शिक्षित कर रहे हैं और यह निरंतर जारी रहेगा. वही दंपत्ति का कहना है कि जब 25 साल पहले जिस तरह से यह पूरा कामकाज शुरू किया था उसके बाद से निरंतर कई मूक बधिर बच्चों को बेहतर साइन लैंग्वेज के साथ ही उनके भविष्य को लेकर काम किया.

पुलिसकर्मियों को दी जा रही साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंगः उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जो मूकबधिर युवतियां, बच्ची और महिलाएं रहती है उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी ना हो इसके लेकर विभिन्न तरह की हेल्पलाइन और अलग-अलग तरह के योजना पर काम किया जा रहा है. साथ में कहा कि पुलिसकर्मियों को भी साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे ऐसी महिलाओं को आसानी से सुना जा सके और उनकी शिकायत का निराकरण किया जा सके.

मुख्यमंत्री से लेकर वीआईपी कर चुके है काम की तारीफः इस दंपत्ति के काम की तारीफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन भी कर चुके हैं. तो वहीं अमिताभ बच्चन के मशहूर शो कौन बनेगा करोड़पति में तो दंपति ने पार्टिसिपेट भी किया था. दंपत्ति के द्वारा जहां बच्चों को साइन लैंग्वेज के साथ ही उन्हें अच्छी नौकरियों के लिए तैयार किया जा रहा है. वहीं जो मूक बधिर बच्चे अपने घरों से गुम हो जाते हैं उन मूक बधिर बच्चों को पुलिस के माध्यम से उनके घर तक भी यह दंपत्ति पहुंचा चुकी है और इसका जीता जागता सबूत गीता है, जिसे पाकिस्तान से भारत लाकर उसके गांव तक पहुंचाने में इस दंपत्ति की अहम भूमिका है.

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आने वाले दिनों में किया जाएगा बेहतर तरीके से कामः दंपत्ति का कहना है कि जिस तरह से वह काम कर रही हैं वह आने वाले दिनों में भी इससे भी बेहतर तरीके से काम किए जाएगा, क्योंकि अभी भी मूक बधिरों की जो स्थिति है वह काफी दयनीय है और उन्हें बेहतर तरीके में लाने के लिए समाज के अन्य वर्गों की भी काफी आवश्यकता है.

मूक बधिर बच्चों के भविष्य को सवार रहे हैं इंदौर की दंपत्ति

इंदौर। मध्य प्रदेश की आर्थिक राजधानी में एक ऐसे दंपत्ति ज्ञानेंद्र पुरोहित और उनकी पत्नी मोनिका पुरोहित हैं जो मूक-बधिर बच्चों को आर्थिक व सामाजिक रूप से सक्षम करने में जुटी हुए हैं और यह सिलसिला आज से नहीं तकरीबन 25 सालों से निरंतर जारी है. इस दौरान उन्होंने कई बच्चों को आर्थिक और सामाजिक रूप से काफी सक्षम भी बना दिया है और वह कई कंपनियों में काम कर रहे हैं.

मूक बधिर भाई के मौत के बाद बनाया था संस्थानः ज्ञानेद्र पुरोहित ने मूक बधिर बच्चों की सहायता का बीड़ा उस समय उठाया जब उनके भाई जो मूक बधिर थे ट्रेन हादसे में उनकी मौत हो गई थी. इसके बाद उन्होंने अन्य मूक बधिर बच्चों की सहायता के लिए अपने भाई आनंद पुरोहित के नाम पर ही आनंद मूक बधिर संस्थान की शुरुआत की और निरंतर उस संस्था के माध्यम से मूक बधिर बच्चों की सहायता की जा रही है. इस मूकबधिर संस्था में बच्चों को साइन लैंग्वेज के साथ ही विभिन्न तरह से उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से सक्षम करने वाले पाठ्यक्रम पढ़ाए जा रहे हैं. जिसके कारण कई मूकबधिर बच्चे सरकारी नौकरियों के साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियों में भी नौकरी कर रहे हैं.

परिवार ने किया था काम का विरोधः दंपत्ति का कहना है कि इस काम की जब शुरुआत हुई थी तो परिवार के कई लोगों ने भी इस काम का विरोध किया था, क्योंकि मूक बधिर बच्चों को पढ़ाई के उस समय संसाधन नहीं होते थे और उन बच्चों को पढ़ाने के लिए सबसे पहले खुद ही साइन लैंग्वेज सीखी और उसके बाद धीरे-धीरे बच्चों को साइन लैंग्वेज सिखाना शुरू कर दिया. साइन लैंग्वेज सिखाने के बाद कुछ बच्चों में काफी परिवर्तन हुए. इसके साथ मूक बधिर बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए उन्हें साइन लैंग्वेज सिखाने के साथ-साथ उन्हें अच्छी एजुकेशन और सरकारी नौकरियों के साथ ही मल्टीनेशनल कंपनियों में किस तरह से नौकरी मूकबधिर के लिए करवाई जा सके इसकी व्यवस्था की गई और फिर उस तरह से उन्हें पढ़ाई उपलब्ध करवाई गई.

हर साल 1 हजार बच्चों को कर रहे हैं शिक्षितः दंपत्ति का कहना है कि वह हर साल 1 हजार बच्चों को ऑनलाइन और ऑफलाइन अलग-अलग तरह के कोर्स की तैयारी करवा कर उन्हें शिक्षित कर रहे हैं और यह निरंतर जारी रहेगा. वही दंपत्ति का कहना है कि जब 25 साल पहले जिस तरह से यह पूरा कामकाज शुरू किया था उसके बाद से निरंतर कई मूक बधिर बच्चों को बेहतर साइन लैंग्वेज के साथ ही उनके भविष्य को लेकर काम किया.

पुलिसकर्मियों को दी जा रही साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंगः उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में जो मूकबधिर युवतियां, बच्ची और महिलाएं रहती है उन्हें किसी तरह की कोई परेशानी ना हो इसके लेकर विभिन्न तरह की हेल्पलाइन और अलग-अलग तरह के योजना पर काम किया जा रहा है. साथ में कहा कि पुलिसकर्मियों को भी साइन लैंग्वेज की ट्रेनिंग दी जा रही है जिससे ऐसी महिलाओं को आसानी से सुना जा सके और उनकी शिकायत का निराकरण किया जा सके.

मुख्यमंत्री से लेकर वीआईपी कर चुके है काम की तारीफः इस दंपत्ति के काम की तारीफ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के साथ ही बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता अमिताभ बच्चन भी कर चुके हैं. तो वहीं अमिताभ बच्चन के मशहूर शो कौन बनेगा करोड़पति में तो दंपति ने पार्टिसिपेट भी किया था. दंपत्ति के द्वारा जहां बच्चों को साइन लैंग्वेज के साथ ही उन्हें अच्छी नौकरियों के लिए तैयार किया जा रहा है. वहीं जो मूक बधिर बच्चे अपने घरों से गुम हो जाते हैं उन मूक बधिर बच्चों को पुलिस के माध्यम से उनके घर तक भी यह दंपत्ति पहुंचा चुकी है और इसका जीता जागता सबूत गीता है, जिसे पाकिस्तान से भारत लाकर उसके गांव तक पहुंचाने में इस दंपत्ति की अहम भूमिका है.

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आने वाले दिनों में किया जाएगा बेहतर तरीके से कामः दंपत्ति का कहना है कि जिस तरह से वह काम कर रही हैं वह आने वाले दिनों में भी इससे भी बेहतर तरीके से काम किए जाएगा, क्योंकि अभी भी मूक बधिरों की जो स्थिति है वह काफी दयनीय है और उन्हें बेहतर तरीके में लाने के लिए समाज के अन्य वर्गों की भी काफी आवश्यकता है.

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