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बारिश से पहले नगर निगम ने नहीं किया सीवरेज सुधार कार्य, करोड़ों खर्च करने के बावजूद शहर में होता है जलभराव - सीवरेज सुधार कार्य

नगर निगम ने शहर के सीवरेज सिस्टम को सुधारने के लिए हर बार प्रयास किए और योजनाएं भी बनाई और इन योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए शहर में खर्च भी किए गए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. लिहाजा बारिश के दौरान शहर जलमग्न रहता है.

indore municipal corporation
नगर निगम की लापरवाही
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Published : Jul 20, 2020, 3:26 PM IST

इंदौर। शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन इसके बावजूद यहां पर सीवरेज सिस्टम सालों पुराना ही है. जिसका खामियाजा हर साल होने वाली बारिश में आम जनता को उठाना पड़ता है. दिलचस्प बात तो यह है कि सीवरेज सिस्टम के लिए ही नगर निगम ने करोड़ों रुपए अलग-अलग तरह से खर्च कर दिए लेकिन सिस्टम को अभी तक नहीं सुधारा जा सका है.

नगर निगम की लापरवाही

अब एक बार फिर बारिश आने वाली है और शहर के आम नागरिकों को नगर निगम की लापरवाही का खामियाजा उठाना पड़ेगा. इंदौर शहर के पूरे इलाके में सिर्फ 40 प्रतिशत इलाके में ही सीवरेज सिस्टम मौजूद है. लगभग पांच साल पहले एनजीटी ने फटकार लगाई थी, तो नगर निगम में सुधार कार्य भी शुरू किए, लेकिन समस्या हल नहीं हुई. हर साल बारिश में चेंबर से पानी निकलकर बाहर आता है और निगम कर्मचारी इन चेंबरों के ढक्कन को खुला छोड़ देते हैं जोकि कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं.

करोड़ों खर्च के बाद समस्या जस की तस

नगर निगम ने शहर के सीवरेज सिस्टम को सुधारने के लिए हर बार प्रयास किए और योजनाएं भी बनाई और इन योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए शहर में खर्च भी किए गए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. सबसे पहले सीवरेज सिस्टम को बदलने के लिए 340 करोड़ की योजना बनाई. इस योजना के बाद 77 करोड रुपए शहर में मंजूर किए गए और इसके बाद 1340 करोड़ की अमृत योजना में भी सीवरेज के लिए राशि रखी गई. इतनी राशि खर्च करने के बावजूद भी हर साल बारिश में आम जनता को जलभराव की समस्या से सामना करना पड़ता है.

निचली बस्तियों से करना पड़ता है शिफ्ट

नगर निगम के द्वारा लगातार खर्च की जा रही राशि में एनडीआरएफ की टीम के द्वारा भी हर साल बारिश में मदद की जाती है. सीवरेज सिस्टम ठीक ना हो पाने के कारण शहर की निचली बस्तियों में पानी भराने लगता है. जिसके कारण उन्हें वहां से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना पड़ता है, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि बारिश के लिए मई से ही नगर निगम अपनी तैयारियां शुरू कर देता है लेकिन शहर की कुछ कॉलोनियों में यह समस्या शुरू से बनी हुई है, इसलिए वहां पर अतिरिक्त कर्मचारी लगाकर अधिक बारिश होने की स्थिति में शिफ्टिंग का कार्य किया जाता है.

वाटर मैनेजमेंट का कोई अधिकारी नहीं

इंदौर नगर निगम की खास बात तो यह है कि इंदौर शहर के सीवरेज सिस्टम और जल प्रणाली को समझने के लिए अभी तक एक भी अधिकारी वाटर मैनेजमेंट कोर्स से जुड़ा हुआ नहीं पहुंचा है. नगर निगम में जितने भी अधिकारियों की नियुक्ति की गई है वे सभी सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े हुए अधिकारी हैं. ऐसे में कई सामाजिक संस्थाओं के द्वारा नगर निगम में वाटर मैनेजमेंट का ज्ञान रखने वाले अधिकारी की मांग लगातार की जाती रही हैं.

इंदौर। शहर की जनसंख्या लगातार बढ़ती जा रही है लेकिन इसके बावजूद यहां पर सीवरेज सिस्टम सालों पुराना ही है. जिसका खामियाजा हर साल होने वाली बारिश में आम जनता को उठाना पड़ता है. दिलचस्प बात तो यह है कि सीवरेज सिस्टम के लिए ही नगर निगम ने करोड़ों रुपए अलग-अलग तरह से खर्च कर दिए लेकिन सिस्टम को अभी तक नहीं सुधारा जा सका है.

नगर निगम की लापरवाही

अब एक बार फिर बारिश आने वाली है और शहर के आम नागरिकों को नगर निगम की लापरवाही का खामियाजा उठाना पड़ेगा. इंदौर शहर के पूरे इलाके में सिर्फ 40 प्रतिशत इलाके में ही सीवरेज सिस्टम मौजूद है. लगभग पांच साल पहले एनजीटी ने फटकार लगाई थी, तो नगर निगम में सुधार कार्य भी शुरू किए, लेकिन समस्या हल नहीं हुई. हर साल बारिश में चेंबर से पानी निकलकर बाहर आता है और निगम कर्मचारी इन चेंबरों के ढक्कन को खुला छोड़ देते हैं जोकि कई दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं.

करोड़ों खर्च के बाद समस्या जस की तस

नगर निगम ने शहर के सीवरेज सिस्टम को सुधारने के लिए हर बार प्रयास किए और योजनाएं भी बनाई और इन योजनाओं के नाम पर करोड़ों रुपए शहर में खर्च भी किए गए, लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला. सबसे पहले सीवरेज सिस्टम को बदलने के लिए 340 करोड़ की योजना बनाई. इस योजना के बाद 77 करोड रुपए शहर में मंजूर किए गए और इसके बाद 1340 करोड़ की अमृत योजना में भी सीवरेज के लिए राशि रखी गई. इतनी राशि खर्च करने के बावजूद भी हर साल बारिश में आम जनता को जलभराव की समस्या से सामना करना पड़ता है.

निचली बस्तियों से करना पड़ता है शिफ्ट

नगर निगम के द्वारा लगातार खर्च की जा रही राशि में एनडीआरएफ की टीम के द्वारा भी हर साल बारिश में मदद की जाती है. सीवरेज सिस्टम ठीक ना हो पाने के कारण शहर की निचली बस्तियों में पानी भराने लगता है. जिसके कारण उन्हें वहां से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना पड़ता है, हालांकि अधिकारियों का कहना है कि बारिश के लिए मई से ही नगर निगम अपनी तैयारियां शुरू कर देता है लेकिन शहर की कुछ कॉलोनियों में यह समस्या शुरू से बनी हुई है, इसलिए वहां पर अतिरिक्त कर्मचारी लगाकर अधिक बारिश होने की स्थिति में शिफ्टिंग का कार्य किया जाता है.

वाटर मैनेजमेंट का कोई अधिकारी नहीं

इंदौर नगर निगम की खास बात तो यह है कि इंदौर शहर के सीवरेज सिस्टम और जल प्रणाली को समझने के लिए अभी तक एक भी अधिकारी वाटर मैनेजमेंट कोर्स से जुड़ा हुआ नहीं पहुंचा है. नगर निगम में जितने भी अधिकारियों की नियुक्ति की गई है वे सभी सिविल इंजीनियरिंग से जुड़े हुए अधिकारी हैं. ऐसे में कई सामाजिक संस्थाओं के द्वारा नगर निगम में वाटर मैनेजमेंट का ज्ञान रखने वाले अधिकारी की मांग लगातार की जाती रही हैं.

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