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मेदांता हॉस्पिटल में यौन शोषण मामला, इंदौर हाईकोर्ट ने पीड़िता को 25 लाख मुआवजा देने के दिए आदेश

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सेक्सुअल हैरसमेंट एट वर्क प्लेस के मामले में ऐतिहासिक फैसला दिया है. कोर्ट ने मेदांता हॉस्पिटल को आदेश दिया है कि वो पीड़िता को 25 लाख रुपए का मुआवजे दे.

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Published : Sep 17, 2019, 4:09 PM IST

Updated : Sep 18, 2019, 7:24 AM IST

इंदौर हाईकोर्ट का फैसला

इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वर्क प्लेस पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मेदांता हॉस्पिटल प्रबंधन को आदेश दिया है कि वो पीड़िता को 25 लाख रुपए मुआवजा दे, साथ ही उसका पीएफ भी दिया जाए. अस्पताल प्रबंधन को ये राशि 7 दिन के अंदर ही पीड़िता को देने का आदेश दिया है. उसके बाद 9 प्रतिशत की दर से ब्याज लगेगा.

ये है मामला

मामला 2 वर्ष पहले का है. पीड़िता अस्पताल के मैनेजमेंट विभाग में कार्यरत थी. जिसने विभाग के ही दूसरे सहयोगी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने पीड़िता की सुनवाई करने के बजाए उसे नौकरी से निकाल दिया. पीड़िता ने न्याय के लिए महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया था.

इंदौर हाईकोर्ट का फैसला

महिला आयोग ने स्थानीय परिवार कमेटी गठित कर मामले की जांच की. कमेटी ने जांच कर 18 अगस्त 2017 को अपनी रिपोर्ट दी. रिपोर्ट के आधार पर माना गया कि महिला के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट हुआ है. साथ ही अस्पताल प्रबंधन ने विशाखा गाइडलाइन का भी उल्लंघन किया है. जिस पर कमेटी ने 20 सितंबर 2017 को अस्पताल प्रबंधन को 50 हजार का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया.

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ का फैसला

अस्पताल प्रबंधन ने स्थानीय परिवार कमेटी के आदेश के खिलाफ इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की. जिस पर खंडपीठ ने फैसला देते हुए कहा कि महिला के साथ न केवल सेक्सुअल हैरसमेंट हुआ, बल्कि इस वजह से महिला को मानसिक-सामाजिक क्षति भी पहुंची है. जिसके चलते अस्पताल प्रबंधन महिला को मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये के साथ नौकरी के दौरान बची हुई राशि का भी जल्द भुगतान करे. इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन को महिला की शिकायत के बावजूद विशाखा गाइडलाइन के तहत कमेटी नहीं बनाने पर फटकार भी लगाई है.

पीड़िता के वकील विवेक पटवा ने बताया कि खंडपीठ में 1 अगस्त को मामले की सुनवाई पूरी कर ली गई थी. जिसके बाद आज कोर्ट का फैसला आया है. जिसमें अस्पताल प्रबंधन दोषी करार हुआ. उन्होंने बताया कि सेक्सुअल हैरसमेंट एट वर्क प्लेस एक्ट 2013 के मामले में अब तक का ये सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला है.

इंदौर। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने वर्क प्लेस पर सेक्सुअल हैरेसमेंट के मामले में ऐतिहासिक फैसला सुनाया है. कोर्ट ने मेदांता हॉस्पिटल प्रबंधन को आदेश दिया है कि वो पीड़िता को 25 लाख रुपए मुआवजा दे, साथ ही उसका पीएफ भी दिया जाए. अस्पताल प्रबंधन को ये राशि 7 दिन के अंदर ही पीड़िता को देने का आदेश दिया है. उसके बाद 9 प्रतिशत की दर से ब्याज लगेगा.

ये है मामला

मामला 2 वर्ष पहले का है. पीड़िता अस्पताल के मैनेजमेंट विभाग में कार्यरत थी. जिसने विभाग के ही दूसरे सहयोगी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था. जिस पर अस्पताल प्रबंधन ने पीड़िता की सुनवाई करने के बजाए उसे नौकरी से निकाल दिया. पीड़िता ने न्याय के लिए महिला आयोग का दरवाजा खटखटाया था.

इंदौर हाईकोर्ट का फैसला

महिला आयोग ने स्थानीय परिवार कमेटी गठित कर मामले की जांच की. कमेटी ने जांच कर 18 अगस्त 2017 को अपनी रिपोर्ट दी. रिपोर्ट के आधार पर माना गया कि महिला के साथ सेक्सुअल हैरेसमेंट हुआ है. साथ ही अस्पताल प्रबंधन ने विशाखा गाइडलाइन का भी उल्लंघन किया है. जिस पर कमेटी ने 20 सितंबर 2017 को अस्पताल प्रबंधन को 50 हजार का जुर्माना अदा करने का आदेश दिया.

हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ का फैसला

अस्पताल प्रबंधन ने स्थानीय परिवार कमेटी के आदेश के खिलाफ इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की. जिस पर खंडपीठ ने फैसला देते हुए कहा कि महिला के साथ न केवल सेक्सुअल हैरसमेंट हुआ, बल्कि इस वजह से महिला को मानसिक-सामाजिक क्षति भी पहुंची है. जिसके चलते अस्पताल प्रबंधन महिला को मुआवजे के तौर पर 25 लाख रुपये के साथ नौकरी के दौरान बची हुई राशि का भी जल्द भुगतान करे. इसके अलावा अस्पताल प्रबंधन को महिला की शिकायत के बावजूद विशाखा गाइडलाइन के तहत कमेटी नहीं बनाने पर फटकार भी लगाई है.

पीड़िता के वकील विवेक पटवा ने बताया कि खंडपीठ में 1 अगस्त को मामले की सुनवाई पूरी कर ली गई थी. जिसके बाद आज कोर्ट का फैसला आया है. जिसमें अस्पताल प्रबंधन दोषी करार हुआ. उन्होंने बताया कि सेक्सुअल हैरसमेंट एट वर्क प्लेस एक्ट 2013 के मामले में अब तक का ये सबसे बड़ा और ऐतिहासिक फैसला है.

Intro:एंकर - सेक्सुअल हरासमेंट के मामले में इंदौर हाई कोर्ट ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया साथ ही इंदौर हाई कोर्ट में डॉक्टर त्रेहान के ग्लोबल हेल्थ प्राइवेट लिमिटेड द्वारा संचालित वेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल को आदेश दिया है कि वह शिकायतकर्ता महिला को हुई मानसिक व रेपुटेशन की क्षति के रूप में 25 लाख रुपये मुआवजा 8 सप्ताह के अंदर अदा करें अन्यथा 9% की दर से ब्याज दे होगा इसके अलावा अस्पताल पर ₹50000 का जुर्माना भी इंदौर हाई कोर्ट ने लगाया है जो 4 सप्ताह में देना होगा बता पिछले दिनों मेदांता हॉस्पिटल में सेक्सुअल हरासमेंट की शिकायत आई थी जिसका पूरा मामला इंदौर के हाई कोर्ट में चल रहा था और उसी पर सुनवाई करते हुए इंदौर हाई कोर्ट ने इंदौर में यह ऐतिहासिक फैसला सुनाया।


Body:वीओ - बता दे इंदौर हाई कोर्ट में मेदांता हॉस्पिटल में कार्यरत एक महिला मार्केटिंग मैनेजर के सात अस्पताल के प्रबंधक के व्यक्ति द्वारा सेक्सुअल हरासमेंट किए जाने की शिकायत की गई थी लेकिन वहां उस पर सुनवाई नही होने की बजाय उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया था उस पर महिला ने सेक्सुअल हरासमेंट एक्ट एट वर्कप्लेस 2013 के तहत महिला आयोग को शिकायत की आयोग की इंदौर की जिला स्तरीय शिकायत कमेटी ने मामले की जांच कर 18 अगस्त 2017 को अपनी रिपोर्ट दी इस रिपोर्ट के आधार पर यह माना गया कि उक्त महिला के साथ सेक्सुअल हरासमेंट हुआ है इसके चलते 20 सितंबर 2017 को अस्पताल पर ₹50000 जुर्माना किया गया जिला कमेटी के इस आदेश के विरुद्ध व अन्य द्वारा दो याचिका इंदौर हाई कोर्ट में दायर की गई कोर्ट ने शिकायतकर्ता महिला जिला स्तरीय कमेटी के वकीलों की ओर से तर्क के आधार पर अपने आदेश में माना कि उक्त महिला के साथ न केवल सेक्सुअल हरासमेंट हुआ बल्कि इस वजह से उन्हें मानसिक और सामाजिक का नुकसान कोर्ट ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि हॉस्पिटल द्वारा शासन के निर्देश के बावजूद जिला स्तर पर सेक्सुअल हैरेसमेंट एट वर्कप्लेस को लेकर अपने वहां कमेटी का गठन नहीं किया इन सब के आधार पर कोर्ट ने शिकायतकर्ता महिला को 25 लाख रुपये मुआवजा के रूप में दिए जाने के साथ ही अस्पताल पर ₹50000 जुर्माना भी लगाया संभवत सेक्सुअल हरासमेंट एक्ट एट वर्कप्लेस 2013 के प्रभावशाली होने के बाद इस एक्ट में किसी पीड़ित महिला के पक्ष में पहला फैसला इंदौर में आया है।


बाईट -विवेक पटवा , वकील , शिकायतकर्ता वकील , इंदौर


Conclusion:वीओ - फिलहाल यह किसी बड़ी संस्था के खिलाफ एक महिला की शिकायत पर दिया गया इंदौर हाई कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला है देखना होगा कि आने वाले समय में महिला को जो हाईकोर्ट ने भरण-पोषण की राशि निर्धारित की है उसका मुआवजा कब तक हॉस्पिटल के द्वारा दिया जाता है।
Last Updated : Sep 18, 2019, 7:24 AM IST
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