इंदौर। हाई कोर्ट की इंदौर बेंच में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिसमें कहा गया था कि आरटीओ द्वारा वाहनों के नंबरों की जानकारी सार्वजनिक किए जाने से प्राईवेसी भंग हो रही है. इस याचिका पर हाईकोर्ट ने आरटीओ को आदेश जारी किए हैं कि ऐसी जानकारी सार्वजनिक नहीं की जाए और इसे हिडन रखा जाए.
क्या है मामला: इंदौर हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका लगाई गई थी जिसमें याचिकाकर्ता यश दीक्षित ने इस बात का जिक्र कोर्ट के समक्ष किया था कि इंदौर आरटीओ के द्वारा नंबरों के माध्यम से विभिन्न लोगों की जानकारी को सार्वजनिक किया जा रहा है. वाहनों के नंबर के आधार पर उसके घर का पता आसानी से निकाला जा सकता है जिसके कारण उसकी प्राइवेसी का उल्लंघन हो रहा है. कोई भी व्यक्ति वाहनों के नंबरों से किसी के भी घर का पता ढूंढ सकता है. जिसके कारण कई बार महिलाओं संबंधी अपराध और घर में चोरी होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं.
हाईकोर्ट ने दिया ये आदेश: याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने आरटीओ को आदेश देते हुए तमाम तरह की जानकारी को हिडन करने के आदेश दिए हैं. हाई कोर्ट ने कहा कि इस तरह की जानकारी को हिडन ही रखें सार्वजनिक ना करें. सभी जानकारी ऑनलाइन पोर्टल से हटाने के आदेश दिए हैं. इसके बाद जिस तरह से ऑनलाइन तरीके से किसी भी व्यक्ति के वाहन नंबर से उसके घर के पते की जानकारी निकालना आसान नहीं होगा.
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आदेश की हो रही सराहना: फिलहाल इंदौर हाई कोर्ट ने जिस तरह से आदेश दिए हैं उसकी जमकर सराहना हो रही है. वहीं कई बार देखने में आता है कि तीसरा व्यक्ति गाड़ी नंबर के आधार पर घर का पता भी इस तरह से निकाल लेते थे और किसी भी दुर्घटना को अंजाम दे सकते थे उसी के चलते इंदौर हाई कोर्ट के अधिवक्ता ने एक जनहित याचिका कोर्ट के समक्ष लगाई और इस पर कोर्ट ने सुनवाई कर आदेश दिए हैं.