इंदौर। पति-पत्नी के आपसी मतभेद मोबाइल, इंटरनेट और विवाहेत्तर संबंधों समेत वैचारिक तालमेल के अभाव में लगातार बढ़ रहे हैं. इसका नतीजा यह हो रहा है कि अब शहरों में तलाक के मामलों में लगातार तेजी आ रही है. स्थिति यह है कि बीते 5 सालों में तलाक की संख्या लगभग दोगुनी हो चली है. ऐसे मामलों में भी खास बात यह है कि अब आपसी सहमति से जल्दी तलाक लेने के लिए महिलाएं भी पुरुषों को गुजारा भत्ता देने को तैयार हैं. इंदौर में ही ऐसे कई मामले सामने आए हैं. जिसमें अपने पति से जल्द तलाक लेने के लिए पत्नियों ने उन्हें गुजारा भत्ता देने की सहमति पारिवारिक न्यायालयों में दी है. (wives are giving divorce and compensation)
आपसी सहमति वाले तलाक में तेजी से वृद्धिः दरअसल आधुनिक जीवन शैली मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया के पारिवारिक जीवन में बढ़ते दुष्प्रभाव समेत वैचारिक तालमेल के अभाव आदि कारणों से प्रदेश समेत इंदौर में तेजी से तलाक की संख्या बढ़ी है. इंदौर जैसे शहर में ही हर साल आने वाले तलाक के प्रकरणों की संख्या अब ढाई हजार के आंकड़े को भी पार कर गई है. इसमें भी हिंदू विवाह अधिनियम 1955 की धारा 13a के अलावा आपसी सहमति से तलाक की धारा 13b के मामलों में तेजी से वृद्धि हो रही है. (Divorce and compensation to husbands) (Rise in mutual consent divorces)
शर्मनाक! पत्नी हुई मोटी तो पति ने दे दिया तीन तलाक
12 से 13 दिनों में हो रहे हैं तलाकः इंदौर में पारिवारिक न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता सपना सिंह बताती है कि इन दिनों पुराने तलाक के प्रकरण तो दूर बल्कि अब कई युवा वैचारिक समानता नहीं होने के कारण 12 से 13 दिन में आपसी सहमति से तलाक लेने पहुंच रहे हैं. इसके अलावा जो महिलाएं नौकरी पेशा है अथवा आत्मनिर्भर हैं, वह भी अपने पतियों से वैचारिक मतभेद और आर्थिक असमानता आदि कारणों से स्वेच्छा से ही तलाक ले रही हैं. इसमें कई बार पुरुषों का ईगो आड़े आ रहा है, तो कहीं महिलाओं द्वारा मोबाइल अथवा सोशल मीडिया का अन्य दुरुपयोग भी वजह बन रहा है. इसके अलावा नवविवाहित जोड़ों में दहेज की धारा 498 के दुरुपयोग के कारण भी अब तलाक तेजी से हो रहे हैं. (Divorces are happening in 12 to 13 days)
पतियों को गुजारा भत्ता देने को तैयार पत्नियांः आपसी सहमति से तलाक के मामलों में अब ऐसे मामले लगातार सामने आ रहे हैं. जिनमें पत्नियों की ओर से जल्द से जल्द तलाक के प्रयास किए जा रहे हैं. ऐसे मामलों में देरी होने पर कई पत्नियां खुद गुजारा भत्ता मांगने की बजाय आत्मनिर्भर होने के कारण अपने पतियों को गुजारा भत्ता देने को तैयार हैं. इनमें कई मामले ऐसे भी हैं कि पतियों के बेरोजगार रहने की स्थिति में पत्नियां उन्हें छोड़ने के लिए एकमुश्त रकम अथवा गुजारा भत्ता देने को भी सहमत हैं. तलाक के 100 मामलों में ऐसे करीब 5 मामले अब सामने आ रहे हैं, जिनमें गुजारा भत्ता देने की पेशकश और सहमति पत्नियों द्वारा फैमिली कोर्ट के समक्ष की जा रही है. (wives ready to pay alimony to husbands)