इंदौर। डीप-लर्निंग आधारित पद्धति से COVID-19 रोगियों में फेफड़ों की सूजन के साथ जैव रासायनिक मापदंडों के सह संबंध को भी समझा जा सकता है. इस शोध कार्य में डॉ. हेम चंद्र झा और डॉ. एम तनवीर एसोसिएट प्रोफेसर आईआईटी इंदौर, डॉ. निर्मल कुमार मोहकुद प्रोफेसर कलिंग इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज और डॉ. सुचिता जैन चोइथराम हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर इंदौर शामिल हैं.
सिटी स्कैन का अध्ययन होगा आसान: रिएक्टिव प्रोटीन (सीआरपी) रोगसूचक और स्पर्शोन्मुख समूहों को वर्गीकृत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण पैरामीटर है. सीटी स्कैन पढ़ने की मैन्युअल विधि की सीमाओं को दूर करने के लिए शोधकर्ताओं ने 2डी छवियों को विकसित करने के लिए 2डी यू-नेट-आधारित गहन शिक्षण दृष्टिकोण का उपयोग किया, जो फेफड़ों को विभाजित करेगा और विशिष्ट लोबों में ग्राउंड-ग्लास-अपारदर्शिता (जीजीओ) का पता लगाएगा. मैन्युअल प्रक्रिया की लगभग 80% सटीकता की तुलना में इस पद्धति ने 90% से अधिक सटीकता दिखाई है.
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कोविड रोगियों के नमूने लिए : शोध के लिए 1100 से अधिक COVID-19 रोगियों के नमूने किए गए. शोधकर्ता डॉ. झा ने कहा कि रोग का प्रभाव शुरू में फेफड़ों के दाहिने लोब क्षेत्र से शुरू होकर और बाद में फेफड़ों के बाकी हिस्सों को प्रभावित कर सकता है. हमारा अध्ययन फेफड़ों की भागीदारी का शीघ्र पता लगाने में सहायक हो सकता है और सटीकता भी बढ़ा सकता है. अध्ययन के लिए 1100 से अधिक COVID-19 रोगियों के नमूने एकत्र किए गए थे. भौगोलिक रूप से विविध बड़ी आबादी पर आगे के अध्ययन से विभिन्न SARS-CoV-2 वेरिएंट के साथ फेफड़े के लोब में जैव रासायनिक मापदंडों और GGO के पैटर्न को समझने में मदद मिल सकती है.