इंदौर। प्रदेश की आर्थिक राजधानी इंदौर में अपराधियों के हौसले बुलंद हैं. आए दिन शहर के विभिन्न थाना क्षेत्रों में तरह-तरह की आपराधिक घटनाएं सामने आती हैं. शहर में आपराधिक घटनाओं को रोकने के लिए कई इलाकों में सीसीटीवी कैमरे भी लगवाए गए हैं, लेकिन यह कैमरे शहर के लिए नाकाफी है. अब शहर में अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए पुलिस आम जनता से भी अपने घरों में सीसीटीवी लगाने का निवेदन कर रही है.
- अपराध मुक्त इंदौर बनाने में पर्याप्त नहीं सीसीटीवी
इंदौर शहर की आबादी 30 लाख के आसपास है. शहर में 33 थाने हैं, इसके बावजूद शहर में पुलिल बल की कमी के चलते प्रशासन अपराधिक घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए सीसीटीवी कैमरे की मदद लेने की योजना बना रहा है. इंदौर पुलिस ने इस योजना पर काम भी शुरू कर दिया है. पुलिस कई समय से सीसीटीवी के माध्यम से बदमाशों को पकड़ने का काम कर रही है, लेकिन वर्तमान में शहर में जितने कैमरे लगाए गए हैं वह अपराध मुक्त इंदौर बनाने में पर्याप्त नहीं हैं.
- 3 स्किमों के तहत शहर में लगे हैं कैमरे
इंदौर शहर में 3 स्कीमों के तहत सीसीटीवी कैमरे विभिन्न जगहों पर लगे हुए हैं. पहली स्कीम में इंदौर ट्रैफिक पुलिस द्वारा शहर के अलग-अलग चौराहों पर कैमरे लगाए हुए थे. शहर में दूसरी सिटी सर्विलांस स्कीम के तहत कैमरे लगे थे, जिसके सहारे शहर के बदमाशों पर नजर रखी जाती है. लेकिन अफसोस इंदौर शहर में कई बार आरोपी इन कैमरों से बच कर फरार हो जाते हैं. इंदौर प्रशासन के मुताबिक, जिन 3 स्कीमों के माध्यम से इंदौर शहर में करीब 1200 कैमरे लगे हैं. ट्रैफिक पुलिस द्वारा 28 चौराहों पर 396 सीसीटीवी कैमरे लगाए हुए हैं.
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- कैमरों की मेंटेनेंस में लगी कई कंपनियां
शहर में सीसीटीवी कैमरों के रखरखाव के लिए हर वर्ष निजी कंपनियों को टेंडर दिया जाता है. सरकारी योजना से लगे इन कैमरों के रखरखाव के लिए भी हर वर्ष लाखों का खर्च सरकार को वहन करना पड़ता है. वहीं, इंदौर पुलिस के द्वारा जो कैमरे विभिन्न जगहों पर लगाए गए हैं, उसकी देखरेख का जिम्मा भी इंदौर पुलिस के हवाले ही है. इन कैमरों में कोई तकनीकी दिक्कत आने पर ही निजी कंपनियों से संपर्क किया जाता है.
- अलग-अलग जगहों पर हैं मॉनिटरिंग कक्ष
शहर में लगे 1200 से अधिक कैमरों के मॉनिटरिंग के लिए प्रशासन द्वारा अलग-अलग जगहों पर मॉनिटरिंग कक्ष बनाए गए हैं. हालांकि इंदौर पुलिस द्वारा लगाए गए कैमरो के लिए पुलिस कंट्रोल रूम पर ही मॉनिटरिंग कक्ष बनाए गए हैं. इसी के साथ ट्रैफिक पुलिस के 28 चौराहों पर 396 कैमरे लगे हुए हैं, उनकी मॉनिटरिंग के लिए इंदौर के ट्रैफिक पुलिस कार्यालय पर एक मॉनिटरिंग कक्ष बनाया गया है. यही से कैमरों पर निगरानी रखी जाती है. इंदौर में नगर निगम द्वारा लगाए गए कैमरों के लिए स्मार्ट सिटी कार्यालय में मॉनिटरिंग कक्ष बनाया हुआ है.
- कैमरों की मदद से अब तक हुए खुलासे
सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से शहर में अब तक कई घटनाओं के खुलासे हुए हैं. शहर में पिछले दिनों परदेशीपुरा थाना क्षेत्र में एक बैंक लूट की वारदात सामने आई थी. इस पूरी वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों को पुलिस ने चौराहों पर लगे सीसीटीवी के माध्यम से ट्रेप किया था और वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों को गिरफ्तार किया था. इसके अलावा इंदौर के सर्राफा थाना क्षेत्र में भी तकरीबन 500 साल पुराने मंदिर में पिछले दिनों चोरी की वारदात सामने आई थी, मंदिर के आसपास लगे सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से चोरी की वारदात को अंजाम देने वाले आरोपी को गिरफ्तार किया था.
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- दस हजार में हो सकती है घर की सुरक्षा
सीसीटीवी कैमरों को लगाने वाले डिस्ट्रीब्यूटर का कहना है कि मात्र ₹10000 में (नाइट विजन कैमरा) 2 मेगापिक्सल के 4 कैमरे घर और कॉलोनी में सुरक्षा के लिए लगाए जा सकते हैं. वहीं, जो 2 मेगापिक्सल कैमरे होते हैं, वह 30 मीटर तक ठीक तरह से निगरानी रख सकते हैं और इनका रखरखाव भी काफी किफाइती है, इन्हें आसानी से लगवाया भी जा सकता है.
- ऐप के माध्यम से लोगों को जोड़ने की योजना
इंदौर शहर में वर्तमान में लगे नाम मात्र के कैमरे व्यवस्थाओं को सहेजने के लिए नाकाफी है. जिसे देखते हुए इंदौर पुलिस अब आम आदमी को भी अपनी मुहिम से जोड़ने पर विचार कर रही है. इसके लिए एक पुलिस ने एक ऐप बनाया हुआ है. इस ऐप के माध्यम से जिस भी व्यक्ति के घर सीसीटीवी कैमरे लगे हुए हैं, वह उस ऐप में जा सकता है और उस ऐप से जुड़ने के बाद वह भी पुलिस की मदद करने के लिए मददगारों की सूची में शामिल हो जाएगा. दरअसल, कई बार आरोपी वारदात को अंजाम देकर विभिन्न कॉलोनियों में से होते हुए शहर के बाहर निकल जाते है, इसलिए पुलिस ने लोगों को ऐप के माध्यम से जोड़ने की योजना बनाई है.