इंदौर। प्रदेश में चर्चित हनीट्रैप मामले में अब हाईकोर्ट ने भी सख्त रुख अपनाया है. हनीट्रैप मामले में बार- बार एसआईटी चीफ बदलने पर कोर्ट ने राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. हाईकोर्ट की इंदौर खंडपीठ ने सवाल किया है कि, मामले की जांच कर रही एसआईटी चीफ को बार- बार क्यों बदला जा रहा है. इसका जवाब गृह विभाग के सचिव से बंद लिफाफे में हाई कोर्ट के सामने प्रस्तुत करने के आदेश दिये हैं.
दरअसल, हाईकोर्ट में एक आरोपी की जमानत याचिका और सीबीआई जांच की मांग को लेकर लगाई जनहित याचिका पर सुनवाई की जानी थी. इस दौरान कोर्ट के सामने याचिकाकर्ता ने दलील दी कि पुलिस ने अभी तक हनीट्रैप से जुड़े किसी भी व्यक्ति के नाम का खुलासा नहीं किया है, जबकि बार- बार एसआईटी में हो रहे बदलाव की वजह से उसका पुलिस जांच पर भी असर हो रहा है. लिहाजा पूरे मामले की सीबीआई से जांच कराई जाए. इन दलिलों को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर तक जवाब पेश करने के आदेश दिये हैं. कोर्ट ने अब तक इस मामले में लगाई गई सभी याचिकाओं को मर्ज भी कर दिया है और सभी की सुनवाई अब एक साथ होगी.
न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन से भी लिया था आरोपियों ने ठेका
हनीट्रैप की आरोपियों के तार केवल प्रदेश स्तर तक ही नहीं बल्कि इनकी पहुंच केंद्र सरकार की एजेंसियों तक सबसे हैं. विभाग न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन से भी ठेका हासिल किया था. माना जा रहा है कि इस ठेके को दिलाने में आईएएस अधिकारी और रसूल तारों की अहम भूमिका रही है.
अब तक हनी ट्रैक मामले में यही माना जा रहा था कि इसके तार केवल प्रदेश स्तर के नेताओं और अधिकारियों तक ही जुड़े हैं, लेकिन इंदौर में वकील के द्वारा जो दस्तावेज प्रस्तुत किए गए उसे साफ हो गया कि इस गिरोह की सरगना आरोपी महिला की पहुंच दिल्ली तक थी. आरोपी महिला ने अपनी पहुंच से भारत सरकार के उपक्रम न्यूक्लियर पावर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड से टेंडर हासिल किया था. आरोपी महिला की कंपनी atelite शास्त्री नगर अपॉजिट यूनिक कॉलेज के पते पर रजिस्टर्ड है. साथ ही इस कंपनी ने केवल केंद्र सरकार की एजेंसी ही नहीं पश्चिम क्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी के भी टेंडर लिए थे.