इंदौर। इंदौर हाईकोर्ट ने भिखारियों के पुनर्वास की याचिका पर सुनवाई की. न्यायमूर्ति प्रकाश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति शेलेन्द्र शुक्ला की युगलपीठ ने नगरीय प्रशासन मंत्रालय, निगम कमिश्नर इंदौर, समेत डीआईजी को तीन हफ्ते में जवाब दायर करने का समय दिया है. अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी. दरअसल भिक्षावृत्ति,भिखारियों के अपराधों में संलिप्तता और उनके द्वारा कोरोना फैलने पर चिंता जताते हुए उनके पुनर्वास के लिए एक याचिका इंदौर हाई कोर्ट में दायर की गई थी. इस पूरे मामले में पिछले कई दिनों से सुनवाई चल रही है, लेकिन शासन की ओर से अभी तक किसी तरह का कोई जवाब पेश नहीं किया गया है.
याचिकाकर्ता पूर्व पार्षद महेश गर्ग की ओर से एडवोकेट मनीष यादव ने न्यायालय में बताया कि हर चौराहे और मंदिर के बाहर बड़ी संख्या में भिखारी घूमते रहते हैं. भिखारियों पर गंभीर अपराधों में संलिप्तता का भी आरोप लगा है, इस तथ्य को भी कोर्ट के सामने रखा गया. मध्यप्रदेश में भीख मांगना दंडनीय अपराध है. जिसमे सजा का भी प्रावधान है. बावजूद उसके सरकार कोई कदम नहीं उठा रही है. इसके अलावा धार्मिक स्थल के बाहर ये लोग बिना मास्क बिना शारीरिक दूरी के बैठे रहते है. जिससे कोरोना फैलने का भी खतरा है. इस संबंध में याचिकाकर्ता की ओर से अखबारों की प्रति और फोटोग्राफ प्रस्तुत की गई थी. सरकार द्वारा तर्क रखे गए कि याचिकाकर्ता अगर आवेदन देता है, तो उस पर विचार किया जा सकता है. जिस पर यादव ने आपत्ति जताते हुए हुए कहा कि सरकार जवाब पेश करने से क्यों बचना चाहती है .