इंदौर। बहुचर्चित हनीट्रैप मामले में फरियादी हरभजन सिंह को इंदौर हाईकोर्ट ने बहाल करने के आदेश दिए हैं. नियम के मुताबिक निलंबन के 45 दिन में निगम द्वारा आरोप पत्र देने थे, लेकिन समय निकल जाने के बाद भी आरोप पत्र नहीं दिए गए थे. जिसके बाद हरभजन सिंह ने अपने निलंबन को कोर्ट में चुनौती दी थी. लिहाजा हाईकोर्ट ने निलंबन आदेश को रद्द कर दिया है.
इस मामले में हाईकोर्ट की इंदौर बेंच के जस्टिस एससी शर्मा ने निगम को हरभजन सिंह का वेतन और अन्य बकाया भुगतान करने का भी निर्देश दिया है. कोर्ट के फैसले के तहत याचिकाकर्ता को 23 सितंबर 2019 की उनकी निलंबन तिथि से लेकर 45 दिन की अवधि तक जीवन निर्वाह भत्ते की पात्रता होगी. इस अवधि के बाद उन्हें पूरा वेतन पाने का अधिकार होगा. हरभजन सिंह ने निलंबन आदेश की मौजूदा वैधता को यह कहते हुए हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि नियमों के मुताबिक आईएमसी को इस कार्रवाई के 45 दिन के भीतर उन्हें विभागीय जांच के तहत आरोप पत्र प्रदान करना था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया.
गौरतलब है इंदौर पुलिस ने हरभजन सिंह की शिकायत पर ही सितंबर 2019 में हनीट्रैप मामले का खुलासा किया था. इस मामले में गिरोह की पांच महिलाओं समेत छह सदस्यों को भोपाल और इंदौर से गिरफ्तार किया गया था. उस दौरान हरभजन सिंह ने पुलिस को बताया था कि इस गिरोह ने उनके कुछ आपत्तिजनक वीडियो क्लिप वायरल करने की धमकी देकर उनसे तीन करोड़ रुपये की मांग की थी. ये क्लिप खुफिया तरीके से तैयार की गई थी. हनीट्रैप मामले के खुलासे के तुरंत बाद आईएमसी ने अनैतिक काम में शामिल होने के आरोप में हरभजन सिंह को निलंबित कर दिया था, हालांकि इसके बाद से ही वे नगर निगम नहीं पहुंचे थे. जिसके बाद ही उन्हें रीवा स्थानांतरित कर दिया गया था, इस स्थानांतरण को भी हरभजन सिंह ने चुनौती दी थी.