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'ग्रीन कॉरिडोर' के जरिए जामनगर, भिलाई, नागपुर से एमपी को मिलेगी 'संजीवनी'

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Published : Apr 14, 2021, 2:23 PM IST

Updated : Apr 14, 2021, 3:07 PM IST

मध्य प्रदेश के सभी शहरों में ऑक्सीजन की सप्लाई में तेजी के लिए सरकार ने ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले वाहनों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाने का निर्देश दिया है. इन वाहनों को एंबुलेंस की श्रेणी में डाला गया है. इससे टोल नाकों और अन्य बैरिकेडिंग पर ये वाहन बिना रोक-टोक के निकल सकेंगे.

green corridor to be built in mp
'सांसों' का ग्रीन कॉरिडोर

इंदौर। मध्य प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सबसे अहम मुद्दा बन गई है. एक तरफ कोरोना संक्रमितों का बढ़ता आंकड़ा डरा रहा है, तो दूसरी तरफ ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी से शासन-प्रशासन का दम फूल रहा है. पूरे प्रदेश में जहां ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है तो इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में हालात बदतर होते जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन के सीमित साधन हैं. मध्य प्रदेश को ऑक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. ऐसे में दूसके राज्यों से ऑक्सीजन सप्लाई में हो रही देरी से परेशानी बढ़ रही है. इसलिए अब ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है.

'सांसों' का ग्रीन कॉरिडोर

ऑक्सीजन टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरिडोर

मध्य प्रदेश में गुजरात के जामनगर, छत्तीसगढ़ के भिलाई और महाराष्ट्र के नागपुर से टैंकरों के जरिए लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई होती है. इन शहरों से इंदौर और भोपाल जैसे शहरों तक दूरी तय करने में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों को कई दिन लग रहे है. लिक्विड ऑक्सीजन के अत्यंत ज्वलनशील होने के कारण टैकरों को धीमी रफ्तार में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. इस दौरान रास्तों में पड़ने वाले टोल नाकों और बैरिकेडिंग की वजह से टैंकरों के आने का समय काफी बढ़ रहा है. इसलिए सरकार ने ऑक्सीजन लाने वाले टैंकरों को एंबुलेंस की श्रेणी में शामिल किया है. और इनके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा. यानी टोल नाकों पर इन वाहनों को सीधे इमरजेंसी गेट से निकलने दिया जाएगा, इसके अलावा बैरिकेडिंग पर इन्हें नहीं रोका जाएगा.

ऑक्सीजन की कमी: दिन-रात भटक रहे हैं हाॅस्पिटल संचालक, पूरी नहीं हो रही डिमांड

उत्पादन 3 गुना बढ़ाया, मांग 10 गुना बढ़ी

मध्य प्रदेश घरेलू स्तर पर 60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पाद करता है. इसे बढ़ाकर 3 गुना कर दिया गया है. ऑक्सीजन बनाने वाले संयंत्रों में तीन शिफ्ट में काम हो रहा है. प्रदेश में ऑक्सीजन का उत्पादन 180 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है लेकिन मांग इससे 10 गुना ज्यादा है. लिहाजा दूसरे प्रदेशों से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. लेकिन पड़ोसी राज्यों के पास भी ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों की संख्या सीमित है ऐसे में सप्लाई में दिक्कतें आ रही है.

इस दर्द का इलाज बताओ ! जब सुबह 4:30 बजे सूख गई सांसें

इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन बैंक

इंदौर के निजी अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने से कई लोगों की मौत से जिला प्रशासन ने सीख ली है. इंदौर जिला प्रशासन अब स्थानीय स्तर पर एक ऑक्सीजन बैंक बना रहा है, जहां आपातकालीन स्थिति के लिए ऑक्सीजन का भंडारण किया जाएगा. शहर के किसी भी अस्पताल को इमरजेंसी होने पर इस बैंक से ऑक्सीजन दी जाएगी. इसके लिए इंदौर की वेल्डिंग दुकानों और ऑक्सीजन सिलेंडर उपयोग किए जाने वाले अन्य स्थानों से ऑक्सीजन के 500 से 1000 सिलेंडर जब्त किए गए हैं.

इंदौर। मध्य प्रदेश के अस्पतालों में ऑक्सीजन की कमी सबसे अहम मुद्दा बन गई है. एक तरफ कोरोना संक्रमितों का बढ़ता आंकड़ा डरा रहा है, तो दूसरी तरफ ऑक्सीजन की सप्लाई में कमी से शासन-प्रशासन का दम फूल रहा है. पूरे प्रदेश में जहां ऑक्सीजन की कमी बनी हुई है तो इंदौर और भोपाल जैसे बड़े शहरों में हालात बदतर होते जा रहे हैं. इसका सबसे बड़ा कारण मध्य प्रदेश में ऑक्सीजन उत्पादन के सीमित साधन हैं. मध्य प्रदेश को ऑक्सीजन के लिए दूसरे राज्यों पर निर्भर रहना पड़ रहा है. ऐसे में दूसके राज्यों से ऑक्सीजन सप्लाई में हो रही देरी से परेशानी बढ़ रही है. इसलिए अब ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जा रहा है.

'सांसों' का ग्रीन कॉरिडोर

ऑक्सीजन टैंकरों के लिए ग्रीन कॉरिडोर

मध्य प्रदेश में गुजरात के जामनगर, छत्तीसगढ़ के भिलाई और महाराष्ट्र के नागपुर से टैंकरों के जरिए लिक्विड ऑक्सीजन की सप्लाई होती है. इन शहरों से इंदौर और भोपाल जैसे शहरों तक दूरी तय करने में ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों को कई दिन लग रहे है. लिक्विड ऑक्सीजन के अत्यंत ज्वलनशील होने के कारण टैकरों को धीमी रफ्तार में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय करना पड़ रहा है. इस दौरान रास्तों में पड़ने वाले टोल नाकों और बैरिकेडिंग की वजह से टैंकरों के आने का समय काफी बढ़ रहा है. इसलिए सरकार ने ऑक्सीजन लाने वाले टैंकरों को एंबुलेंस की श्रेणी में शामिल किया है. और इनके लिए ग्रीन कॉरिडोर बनाया जाएगा. यानी टोल नाकों पर इन वाहनों को सीधे इमरजेंसी गेट से निकलने दिया जाएगा, इसके अलावा बैरिकेडिंग पर इन्हें नहीं रोका जाएगा.

ऑक्सीजन की कमी: दिन-रात भटक रहे हैं हाॅस्पिटल संचालक, पूरी नहीं हो रही डिमांड

उत्पादन 3 गुना बढ़ाया, मांग 10 गुना बढ़ी

मध्य प्रदेश घरेलू स्तर पर 60 मीट्रिक टन ऑक्सीजन का उत्पाद करता है. इसे बढ़ाकर 3 गुना कर दिया गया है. ऑक्सीजन बनाने वाले संयंत्रों में तीन शिफ्ट में काम हो रहा है. प्रदेश में ऑक्सीजन का उत्पादन 180 मीट्रिक टन तक पहुंच गया है लेकिन मांग इससे 10 गुना ज्यादा है. लिहाजा दूसरे प्रदेशों से ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. लेकिन पड़ोसी राज्यों के पास भी ऑक्सीजन सप्लाई करने वाले टैंकरों की संख्या सीमित है ऐसे में सप्लाई में दिक्कतें आ रही है.

इस दर्द का इलाज बताओ ! जब सुबह 4:30 बजे सूख गई सांसें

इमरजेंसी के लिए ऑक्सीजन बैंक

इंदौर के निजी अस्पताल में ऑक्सीजन नहीं मिलने से कई लोगों की मौत से जिला प्रशासन ने सीख ली है. इंदौर जिला प्रशासन अब स्थानीय स्तर पर एक ऑक्सीजन बैंक बना रहा है, जहां आपातकालीन स्थिति के लिए ऑक्सीजन का भंडारण किया जाएगा. शहर के किसी भी अस्पताल को इमरजेंसी होने पर इस बैंक से ऑक्सीजन दी जाएगी. इसके लिए इंदौर की वेल्डिंग दुकानों और ऑक्सीजन सिलेंडर उपयोग किए जाने वाले अन्य स्थानों से ऑक्सीजन के 500 से 1000 सिलेंडर जब्त किए गए हैं.

Last Updated : Apr 14, 2021, 3:07 PM IST
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