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Dr Kamala Sohonie Birthday: दिक्कतें आयीं, मुसीबतें भी झेलीं...लेकिन वो बन गईं पहली भारतीय बायोकेमिस्ट, Google ने भी किया याद

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Published : Jun 18, 2023, 9:25 AM IST

Updated : Jun 18, 2023, 10:22 AM IST

Kamala Sohonie 112th Birthday: 18 जून, 2023 को Google डूडल भारतीय वैज्ञानिक डॉ. कमला सोहोनी के जीवन और कार्यों का जश्न मना रहा है, जो भारत की पहली प्रमुख महिला वैज्ञानिकों में से एक थीं. Google डूडल ने एक रंगीन एनिमेटेड चित्रण के रूप में विज्ञान के क्षेत्र में कमला सोहोनी के कार्यों को दर्शाया है.

indian first biochemist dr kamala sohonie
कमला सोहोनी को डेडिकेट डूडल

इंदौर। वैसे तो भारत में विज्ञान का क्षेत्र अन्य व्यवसायों की तरह की पुरुष प्रधान रहा है. लेकिन कई महिलाओं ने भी विज्ञान में बहुत बड़ा योगदान दिया है और दूसरों के लिए एक मार्ग भी प्रशस्त किया है. उन्हीं महिला में एक थी डॉ. कमला सोहोनी. जिन्होंने रूढ़ियों को तोड़ा है और सभी के लिए आज एक प्रेरणा हैं. गूगल आज 18 जून को भारतीय बायोकेमिस्ट डॉ. कमला सोहोनी का 112वां जन्मदिन मना रहा है. कमला सोहोनी जैव रसायन में पीएचडी प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला थीं.

Kamala Sohonie 112th Birthday
भारतीय बायोकेमिस्ट डॉ. कमला सोहोनी

Google ने कमला सोहोनी को डेडिकेट किया डूडल: वैज्ञानिक कमला सोहोनी प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर (IISc) में प्रवेश पाने वाली भारत की पहली महिला थीं, जिसे देश का सबसे अच्छा संस्थान माना जाता है. भारतीय विज्ञान में उनके उल्लेखनीय कार्यों और उपलब्धि का जश्न मनाते हुए, Google ने लिखा, आज का डूडल भारतीय बायोकेमिस्ट कमला सोहोनी के जन्मदिन पर जश्न मनाता है. जिन्होंने महिलाओं के लिए एसटीईएम में डिग्री हासिल करने का मार्ग प्रशस्त किया.

इंदौर में हुआ था जन्म: आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत से शिखर को छू रही है. साइंस का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है. आज हम बात कर रहे हैं देश की पहली महिला बायोकेमिस्ट डॉ. कमला सोहोनी की. कमला सोहोनी का जन्म 1911 में मध्य प्रदेश के इंदौर में एक उच्च शिक्षित परिवार में हुआ था. उनके पिता नारायणराव भागवत और उनके चाचा भारतीय विज्ञान संस्थान से ग्रेजुएशन करने वाले पहले रसायनज्ञों में से थे. उन्हीं के नक्शेकदम पर चलती हुई कमला ने भी बंबई विश्वविद्यालय में केमिस्टी विषय में एडमीशन लिया. 1933 में अपनी क्लास में टॉप करते हुए स्नातक की उपाधि हासिल की.

डॉ. कमला सोहोनी का कैरियर: डॉ. कमला सोहोनी भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शामिल होने वाली पहली महिला थीं. खास बात यह है कि अपने पहले वर्ष के दौरान उन्हें कड़ी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. क्योंकि इसके निदेशक ने विज्ञान में महिलाओं की क्षमताओं पर संदेह किया. हालांकि, डॉ. सोहोनी ने अपनी क्षमता साबित की और उन्हें अपना शोध जारी रखने की अनुमति दी गई. उन्होंने निर्देशक को इस हद तक प्रभावित किया कि आईआईएससी ने अपने कार्यक्रम में अधिक महिलाओं को स्वीकार करना शुरू कर दिया. अगले कुछ वर्षों में, सोहोनी ने फलियों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रोटीनों का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि वे बच्चों में पोषण बढ़ाते हैं. 1936 में, उन्होंने इस विषय पर अपनी थीसिस प्रकाशित की और अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की.

कमला सोहोनी के विदेश में अध्ययन और पीएच.डी: 1937 में डॉ. सोहोनी ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एक शोध स्कॉलरशिप हासिल की. उन्होंने शोध किया और पाया कि ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइम साइटोक्रोम C सभी पौधों की कोशिकाओं में मौजूद था. मात्र 14 महीनों में उन्होंने इस विषय पर अपनी थीसिस पूरी की और पीएच.डी. की. जब डॉ. कमला सोहोनी ने अपनी पीएचडी हासिल की, उस दौर में भारत में साइंस विषयों में महिलाओं का बहुत कम प्रतिनिधित्व होता था. लेकिन डॉ. कमला सोहोनी ने इस उपलब्धि को हासिल कर इतिहास रच दिया था.

Also Read: महिलाओं से जुड़ी अन्य खबरें

भारत में कुपोषण के खिलाफ डॉ. कमला के प्रयास: 1939 में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. कमला सोहोनी भारत लौट आईं और लेडी हार्डिंग कॉलेज नई दिल्ली में जैव रसायन विभाग के प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं दी. डॉ. सोहोनी ने विशिष्ट खाद्य पदार्थों के लाभों पर अपना अध्ययन जारी रखा और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सुझाव पर ताड़ के अर्क से बने पेय 'नीरा' पर काम किया. यह पौष्टिक पेय विटामिन C का एक अच्छा स्रोत है और कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए सिद्ध हुआ है.

इंदौर। वैसे तो भारत में विज्ञान का क्षेत्र अन्य व्यवसायों की तरह की पुरुष प्रधान रहा है. लेकिन कई महिलाओं ने भी विज्ञान में बहुत बड़ा योगदान दिया है और दूसरों के लिए एक मार्ग भी प्रशस्त किया है. उन्हीं महिला में एक थी डॉ. कमला सोहोनी. जिन्होंने रूढ़ियों को तोड़ा है और सभी के लिए आज एक प्रेरणा हैं. गूगल आज 18 जून को भारतीय बायोकेमिस्ट डॉ. कमला सोहोनी का 112वां जन्मदिन मना रहा है. कमला सोहोनी जैव रसायन में पीएचडी प्राप्त करने वाली पहली भारतीय महिला थीं.

Kamala Sohonie 112th Birthday
भारतीय बायोकेमिस्ट डॉ. कमला सोहोनी

Google ने कमला सोहोनी को डेडिकेट किया डूडल: वैज्ञानिक कमला सोहोनी प्रतिष्ठित भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर (IISc) में प्रवेश पाने वाली भारत की पहली महिला थीं, जिसे देश का सबसे अच्छा संस्थान माना जाता है. भारतीय विज्ञान में उनके उल्लेखनीय कार्यों और उपलब्धि का जश्न मनाते हुए, Google ने लिखा, आज का डूडल भारतीय बायोकेमिस्ट कमला सोहोनी के जन्मदिन पर जश्न मनाता है. जिन्होंने महिलाओं के लिए एसटीईएम में डिग्री हासिल करने का मार्ग प्रशस्त किया.

इंदौर में हुआ था जन्म: आज महिलाएं जीवन के हर क्षेत्र में अपनी लगन और मेहनत से शिखर को छू रही है. साइंस का क्षेत्र भी इससे अछूता नहीं रहा है. आज हम बात कर रहे हैं देश की पहली महिला बायोकेमिस्ट डॉ. कमला सोहोनी की. कमला सोहोनी का जन्म 1911 में मध्य प्रदेश के इंदौर में एक उच्च शिक्षित परिवार में हुआ था. उनके पिता नारायणराव भागवत और उनके चाचा भारतीय विज्ञान संस्थान से ग्रेजुएशन करने वाले पहले रसायनज्ञों में से थे. उन्हीं के नक्शेकदम पर चलती हुई कमला ने भी बंबई विश्वविद्यालय में केमिस्टी विषय में एडमीशन लिया. 1933 में अपनी क्लास में टॉप करते हुए स्नातक की उपाधि हासिल की.

डॉ. कमला सोहोनी का कैरियर: डॉ. कमला सोहोनी भारतीय विज्ञान संस्थान (IISc) में शामिल होने वाली पहली महिला थीं. खास बात यह है कि अपने पहले वर्ष के दौरान उन्हें कड़ी परिस्थितियों का सामना करना पड़ा. क्योंकि इसके निदेशक ने विज्ञान में महिलाओं की क्षमताओं पर संदेह किया. हालांकि, डॉ. सोहोनी ने अपनी क्षमता साबित की और उन्हें अपना शोध जारी रखने की अनुमति दी गई. उन्होंने निर्देशक को इस हद तक प्रभावित किया कि आईआईएससी ने अपने कार्यक्रम में अधिक महिलाओं को स्वीकार करना शुरू कर दिया. अगले कुछ वर्षों में, सोहोनी ने फलियों में पाए जाने वाले विभिन्न प्रोटीनों का अध्ययन किया और निष्कर्ष निकाला कि वे बच्चों में पोषण बढ़ाते हैं. 1936 में, उन्होंने इस विषय पर अपनी थीसिस प्रकाशित की और अपनी मास्टर डिग्री प्राप्त की.

कमला सोहोनी के विदेश में अध्ययन और पीएच.डी: 1937 में डॉ. सोहोनी ने कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में एक शोध स्कॉलरशिप हासिल की. उन्होंने शोध किया और पाया कि ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण एंजाइम साइटोक्रोम C सभी पौधों की कोशिकाओं में मौजूद था. मात्र 14 महीनों में उन्होंने इस विषय पर अपनी थीसिस पूरी की और पीएच.डी. की. जब डॉ. कमला सोहोनी ने अपनी पीएचडी हासिल की, उस दौर में भारत में साइंस विषयों में महिलाओं का बहुत कम प्रतिनिधित्व होता था. लेकिन डॉ. कमला सोहोनी ने इस उपलब्धि को हासिल कर इतिहास रच दिया था.

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भारत में कुपोषण के खिलाफ डॉ. कमला के प्रयास: 1939 में अपनी डॉक्टरेट की पढ़ाई पूरी करने के बाद डॉ. कमला सोहोनी भारत लौट आईं और लेडी हार्डिंग कॉलेज नई दिल्ली में जैव रसायन विभाग के प्रमुख के रूप में अपनी सेवाएं दी. डॉ. सोहोनी ने विशिष्ट खाद्य पदार्थों के लाभों पर अपना अध्ययन जारी रखा और भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के सुझाव पर ताड़ के अर्क से बने पेय 'नीरा' पर काम किया. यह पौष्टिक पेय विटामिन C का एक अच्छा स्रोत है और कुपोषित बच्चों और गर्भवती महिलाओं के स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए सिद्ध हुआ है.

Last Updated : Jun 18, 2023, 10:22 AM IST
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