इंदौर। लॉकडाउन खुलने के बाद फलों और सब्जियों के लिए परेशान शहर के लोगों को आज से मंडी के जरिए ही फल और सब्जी उपलब्ध हो सकेगी. दरअसल जिला प्रशासन ने लॉकडाउन के 80 दिनों बाद शहर की सबसे बड़ी चौथराम फल सब्जी मंडी को खोलने के आदेश जारी कर दिए थे. इसके बाद आज मंडी का कामकाज पहले की तरह नए सिरे से शुरू किया गया.
व्यापारियों की माने तो मंडी के करीब तीन महीने बंद रहने से मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र समेत अन्य राज्यों के व्यापारियों को करोड़ों रुपए का नुकसान हुआ है. वहीं नगर निगम द्वारा लॉकडाउन में की गई सब्जी और फल वितरण की व्यवस्था पूरी तौर पर विफल साबित हुई है.
देवी अहिल्याबाई फल और सब्जी मंडी को नियम और शर्तों के साथ खोलने के आदेश जिला प्रशासन ने कर दिए हैं. इसके चलते पहले प्याज और आलू मंडी को सोशल डिस्टेंसिंग के नियम और शर्तों के साथ खोला गया. यहां प्रशासन ने थोक विक्रेताओं के साथ किसानों को भी आलू, प्याज बेचने की रियायत दी थी. हालांकि इसके बावजूद भी व्यापारी और खरीदार सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते नजर नहीं आए. इसी बीच फल व्यापारियों की मांग के फलस्वरुप आज से फल मंडी भी नियम और शर्त के अनुरूप खोलने की अनुमति दे दी. लिहाजा कोरोना संक्रमण के कारण लगे लॉकडाउन खुलने के बाद शहर के नागरिक भी यहां फल और सब्जियां लेने बड़ी संख्या में पहुंचे.
होम डिलीवरी की योजना हुई थी फेल
गौरतलब है कि लॉकडाउन में जिला प्रशासन ने सेनिटाइज फल, सब्जी की घर पहुंच सेवा चालू की थी. लेकिन सब्जियों की दरें और सेनिटाइजर पर सवालिया निशान लगने के कारण यह व्यवस्था फेल हो गई थी.
फलों को लेकर भी तमाम तरह की शिकायतें मिली थी. इसके बाद लोगों ने नगर निगम और जिला प्रशासन से होम डिलीवरी के तहत सब्जियां लेना बंद कर दिया था. इस स्थिति को लेकर व्यापारियों की मानें तो उनका कहना था की होम डिलीवरी की इस योजना को जिला प्रशासन ने ऐसे लोगों के हाथों में दे दिया, जिन्हें सब्जी और फल वितरण की व्यवस्था का बिल्कुल ही अनुभव नहीं था. इसलिए यह योजना फेल हुई. व्यापारियों के मुताबिक अगर फल, सब्जी एसोसिएशन को यह काम दिया जाता तो इस योजना का यह हाल नहीं होता.