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Remdesivir का संकट: मरीज के परिजनों ने दवा बाजार में किया हंगामा - इंदौर में रेमडेसिविर की किल्लत

एमपी के इंदौर में रेमडेसिविर दवा को लेकर मरीजों के परिजनों ने हंगाम काटा. जिले में न तो दवा मिल पर रही है और न ही अस्पतालों में मरीजों के लिए बेड उपलब्ध है.

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Published : Apr 9, 2021, 6:26 PM IST

इंदौर। जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर बेकाबू हो चुके हालात के बीच न तो मरीजों को रेमडेसिविर मिल पा रही है और न ही शहर के अस्पतालोंं मे मरीजों के लिए बेड ही उपलब्ध हैं. सबसे ज्यादा किल्लत इंजेक्शन की हो रही है. जिसे खरीदने के लिए मरीज हंगामा करने को मजबूर हैं. बीते कई दिनों से परेशान मरीजों के परिजन अब उग्र हो रहे हैं, जिन्हें संभालने के लिए बेरीकेडिंग करके मौके पर पुलिस तैनात करनी पड़ रही है. शुक्रवार को फिर यहां भीड़ ने इंजेक्शन को लेकर भारी हंगामा किया.

अस्पतालों में नहीं उपलब्ध बेड.

इंदौर में सबसे ज्यादा मरीज
दरअसल इंदौर में सबसे अधिक मरीजों की संख्या दर्ज हो रही है. इनमें से अधिकांश लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाना जरूरी है लेकिन सीमित मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध होने के कारण इंजेक्शन का स्टॉक सीधे अस्पतालों को जारी किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में शहर के दवा स्टॉकिस्टओं के पास इंजेक्शन की कमी है. आपूर्ति की तुलना में चार गुना मांग के कारण स्थिति बेकाबू होती नजर आ रही है.

6000 रुपये में बिक रहा इंजेक्शन
इंजेक्शन के अभाव में गुरुवार को भी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक युवक की मौत हो गई, जबकि अन्य कई मरीज भी इंजेक्शन न मिलने के कारण जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. बाजार में यह दवाइयां अब उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. कई जगह इन दवाओं को ब्लैक में बेचा जा रहा है. इंदौर में स्थिति यह है कि 900 रुपये का इंजेक्शन 6000 रुपये तक ब्लैक में बिक रहा है. जिसे लेकर मरीज के परिजनों में भारी नाराजगी है.

परेशान हो रहे मरीज
ऐसे में जो गरीब मरीज 6000 रुपये खर्च कर पाने की स्थिति में नहीं है. वह रोते बिलखते अपने परिजनों को बचाने के लिए परेशान हो रहे हैं. आज भी इंदौर के दवा बाजार में सैकड़ों लोग इन इंजेक्शनों की खरीदी को लेकर दुकानदारों से गुहार लगाते नजर आ रहे हैं. इधर, इंदौर में जो तीन चार डीलर हैं. उनके पास भी स्टॉक नहीं हैं.

मेडिकल दुकानों पर गहराया संकट
दरअसल अब तक इंदौर में शांति मेडिकल पीपी इंटरप्राइजेज के अलावा एवं अन्य दो दवा स्टॉकिस्ट के पास उक्त इंजेक्शन की सप्लाई होती है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब सीधे अस्पतालों से ही इंजेक्शनओं को दिए जाने की व्यवस्था के कारण मेडिकल की दुकानों पर इनका संकट गहरा गया है. इसके अलावा जो दवा कंपनियां इन इंजेक्शन को बनाती हैं. वह भी जरूरत के मुताबिक सप्लाई नहीं कर पा रही हैं.

MP: 14 दिन पहले ही ईटीवी भारत ने कोरोना के कहर से किया था आगाह

महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश एवं कई राज्यों में इन दवाओं की आपूर्ति के कारण स्थिति बेकाबू हो रही है. लिहाजा इंदौर समेत आसपास के जिलों में अब कोरोना से बचाव के लिए दवाइयां मिलना भी मुश्किल हो गई हैं. इन तमाम शिकायतों के मद्देनजर जिला प्रशासन ने कोरोना मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण उक्त दोनों ही औषधियों की मांग एवं आपूर्ति को नियंत्रित करने संबंधी आदेश जारी किए हैं. लिहाजा उक्त दोनों ही औषधियों को हॉस्पिटल एवं उनसे सम्बंधित खेरची औषधि विक्रय संस्थानों से विक्रय करते समय कोरोना संक्रमित मरीज का आधार कार्ड या अन्य कोई फोटो आईडी, कोरोना संक्रमित मरीज की पॉजिटिव रिपोर्ट एवं रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर का वैद्य प्रिस्क्रिप्शन आवश्यक रूप से लिए जाए एवं इनकी एक प्रति आवश्यक रूप से संधारित करके रखी जाए.

इंदौर। जिले में कोरोना संक्रमण को लेकर बेकाबू हो चुके हालात के बीच न तो मरीजों को रेमडेसिविर मिल पा रही है और न ही शहर के अस्पतालोंं मे मरीजों के लिए बेड ही उपलब्ध हैं. सबसे ज्यादा किल्लत इंजेक्शन की हो रही है. जिसे खरीदने के लिए मरीज हंगामा करने को मजबूर हैं. बीते कई दिनों से परेशान मरीजों के परिजन अब उग्र हो रहे हैं, जिन्हें संभालने के लिए बेरीकेडिंग करके मौके पर पुलिस तैनात करनी पड़ रही है. शुक्रवार को फिर यहां भीड़ ने इंजेक्शन को लेकर भारी हंगामा किया.

अस्पतालों में नहीं उपलब्ध बेड.

इंदौर में सबसे ज्यादा मरीज
दरअसल इंदौर में सबसे अधिक मरीजों की संख्या दर्ज हो रही है. इनमें से अधिकांश लोगों को रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाना जरूरी है लेकिन सीमित मात्रा में इंजेक्शन उपलब्ध होने के कारण इंजेक्शन का स्टॉक सीधे अस्पतालों को जारी किया जा रहा है. ऐसी स्थिति में शहर के दवा स्टॉकिस्टओं के पास इंजेक्शन की कमी है. आपूर्ति की तुलना में चार गुना मांग के कारण स्थिति बेकाबू होती नजर आ रही है.

6000 रुपये में बिक रहा इंजेक्शन
इंजेक्शन के अभाव में गुरुवार को भी सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल में एक युवक की मौत हो गई, जबकि अन्य कई मरीज भी इंजेक्शन न मिलने के कारण जिंदगी और मौत से जूझ रहे हैं. बाजार में यह दवाइयां अब उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं. कई जगह इन दवाओं को ब्लैक में बेचा जा रहा है. इंदौर में स्थिति यह है कि 900 रुपये का इंजेक्शन 6000 रुपये तक ब्लैक में बिक रहा है. जिसे लेकर मरीज के परिजनों में भारी नाराजगी है.

परेशान हो रहे मरीज
ऐसे में जो गरीब मरीज 6000 रुपये खर्च कर पाने की स्थिति में नहीं है. वह रोते बिलखते अपने परिजनों को बचाने के लिए परेशान हो रहे हैं. आज भी इंदौर के दवा बाजार में सैकड़ों लोग इन इंजेक्शनों की खरीदी को लेकर दुकानदारों से गुहार लगाते नजर आ रहे हैं. इधर, इंदौर में जो तीन चार डीलर हैं. उनके पास भी स्टॉक नहीं हैं.

मेडिकल दुकानों पर गहराया संकट
दरअसल अब तक इंदौर में शांति मेडिकल पीपी इंटरप्राइजेज के अलावा एवं अन्य दो दवा स्टॉकिस्ट के पास उक्त इंजेक्शन की सप्लाई होती है लेकिन जिला प्रशासन द्वारा अब सीधे अस्पतालों से ही इंजेक्शनओं को दिए जाने की व्यवस्था के कारण मेडिकल की दुकानों पर इनका संकट गहरा गया है. इसके अलावा जो दवा कंपनियां इन इंजेक्शन को बनाती हैं. वह भी जरूरत के मुताबिक सप्लाई नहीं कर पा रही हैं.

MP: 14 दिन पहले ही ईटीवी भारत ने कोरोना के कहर से किया था आगाह

महाराष्ट्र के बाद मध्य प्रदेश एवं कई राज्यों में इन दवाओं की आपूर्ति के कारण स्थिति बेकाबू हो रही है. लिहाजा इंदौर समेत आसपास के जिलों में अब कोरोना से बचाव के लिए दवाइयां मिलना भी मुश्किल हो गई हैं. इन तमाम शिकायतों के मद्देनजर जिला प्रशासन ने कोरोना मरीजों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि के कारण उक्त दोनों ही औषधियों की मांग एवं आपूर्ति को नियंत्रित करने संबंधी आदेश जारी किए हैं. लिहाजा उक्त दोनों ही औषधियों को हॉस्पिटल एवं उनसे सम्बंधित खेरची औषधि विक्रय संस्थानों से विक्रय करते समय कोरोना संक्रमित मरीज का आधार कार्ड या अन्य कोई फोटो आईडी, कोरोना संक्रमित मरीज की पॉजिटिव रिपोर्ट एवं रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर का वैद्य प्रिस्क्रिप्शन आवश्यक रूप से लिए जाए एवं इनकी एक प्रति आवश्यक रूप से संधारित करके रखी जाए.

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