इंदौर। समाज के हर वर्ग पर अपनी छाप छोड़ रहे कोरोना संक्रमण ने प्रदेश के प्रचार-प्रसार के माध्यमों को भी आजीविका के संकट की स्थिति पर लाकर खड़ा कर दिया है. कोरोना संक्रमण काल में कमर्शियल प्रमोशन का व्यापार भी आर्थिक मंदी के दौर से जूझ रहा है. प्रदेश की मिनी मुंबई और कमर्शियल प्रमोशन के प्रमुख केंद्र इंदौर में आलम यह है कि अब बुकिंग के अभाव में शहर भर में सैकड़ों होर्डिंग और यूनीपोल खाली पड़े हैं. जो एड ऐजेंसियां कभी हर साल करोड़ों के विज्ञापन बुक करती थीं, वहां अब आउटडोर बुकिंग के लिए कोई भी नहीं आ रहा है.
चौपट हुआ एंड एंजेंसियों का कारोबार
इन दिनों एड एजेंसियों की हालत ऐसी है कि काम धंधा-चौपट हो जाने के कारण वे किसी भी दर पर विज्ञापन बुकिंग करने को मजबूर हैं. दूसरी तरफ तमाम सेक्टरों में छाई आर्थिक मंदी के कारण बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों ने आउटडोर प्रमोशन से हाथ खींच लिए हैं.
आर्थिक मंदी के कारण हालत बिगड़े
इंदौर समेत पूरे मालवा-निमाड़ में करीब 100 छोटी-बड़ी एडवरटाइजिंग एजेंसी हैं, जो आउटडोर प्रमोशन के बिजनेस के जरिए हजारों लोगों को प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार देती हैं. इनके अलावा इंदौर में करीब 10 से 12 बड़ी आउटडोर एड एजेंसी हैं, जो हर साल मध्य प्रदेश के आउटडोर एड प्रमोशन को करीब 100 करोड़ रुपए का व्यापार व्यवसाय प्रदान करती हैं. लेकिन 2020 के शुरुआती दौर से ही अंतरराष्ट्रीय व्यापार में छाई आर्थिक मंदी के कारण एड एजेंसियों की जो हालत बिगड़ी वह मार्च से पड़ रही कोरोना की मार से बद से बदतर हो चुकी है.
त्योहारी सीजन में भी नहीं मिली कोई बुकिंग
कई दशकों बाद यह पहला मौका है जब इंदौर जैसे कमर्शियल सेक्टर में दिवाली के त्योहार पर भी आउटडोर प्रमोशन न के बराबर हुआ. इस त्योहारी सीजन में भी ज्यादातर कमर्शियल होर्डिंग और यूनीपोल खाली ही रह गए. इनमें भी सबसे खराब स्थिति आउटडोर सेक्टर के 250 से 300 प्राइम लोकेशन साइट पर रही, जहां पर विज्ञापन की बुकिंग कभी खत्म नहीं होती थी. वहां कोई भी एड प्रमोशन के लिए तैयार नहीं है.
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कई लोगों का छिना रोजगार
इंदौर के स्थानीय 300 प्राइम लोकेशन वाले यूनीपोल बोर्ड पर भी ब्लैकआउट की स्थिति बनी हुई है. इन हालातों में शहर की तमाम एजेंसियों का काम पूरी तरह चौपट हो चुका है. इसके अलावा इस व्यापार से जुड़े बोर्ड बनाने वाले कर्मचारी, इलेक्ट्रिशियन और वेल्डिंग आदि के कामकाज करने वाले करीब 10 हजार से ज्यादा लोग बेरोजगार हो गए हैं. एजेंसियों में जो कर्मचारी इनहाउस और ऑफिशियल काम काज करते थे उनके पास भी कोई काम नहीं होने के कारण एजेंसियों के संचालकों ने उन्हें अपने-अपने काम से विदाई दे दी है. जितने कर्मचारी बचे हैं वे अब आधी सैलरी पर काम करने को मजबूर हैं. ऐसे में इस सेक्टर से जुड़े तमाम लोगों को इस व्यापार के मरने से पहले अब नए साल का इंतजार है. फिलहाल इस सेक्टर से जुड़े तमाम लोगों की यही उम्मीद है कि नए साल में हालात सुधरेंगे और कोरोना से मुक्ति के बाद व्यापार-व्यवसाय किसी तरह पटरी पर आ सकेगा.
ऐड प्रमोशन पर भारी भरकम टैक्स की मार
मध्य प्रदेश एड एजेंसी पर टैक्स लगाने वाला ऐसा राज्य है, जहां एजेंसियों से सर्वाधिक टैक्स वसूला जाता है. इसके फल स्वरुप आउटडोर प्रमोशन का कामकाज इंदौर से मुंबई जैसे अन्य महानगरों में पलायन कर गया है. फिलहाल यहां फोल्डिंग की लोकेशन पर लगने वाली जमीन की सरकारी गाइडलाइन के अनुसार 8 फीसदी टैक्स लगता है. यही स्थिति ग्रामीण क्षेत्रों की भी है. कमाई की तुलना में भारी भरकम टैक्स के कारण इंदौर समेत आसपास की एजेंसियों ने भी व्यापार व्यवसाय बंद कर दिया है. जितनी चल रही है उन पर कोरोना और आर्थिक मंदी की मार पड़ रही है. ऐसे में ऐड एजेंसी उन्हें अन्य राज्यों में मिली टैक्स की छूट के आधार पर राज्य की शिवराज सरकार से कोरोना काल का टैक्स माफ करने की अपील भी की है.
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सोशल मीडिया पर शिफ्ट हुआ बिजनेस
लॉकडाउन के दौर में सबसे प्रभावी मीडिया के रूप में उभरे सोशल मीडिया पर आउटडोर प्रमोशन का व्यापार व्यवसाय शिफ्ट हो गया है. देशभर में आवाजाही रुकने और ट्रांसपोर्टेशन पर रोक लगने के कारण विज्ञापनदाता कंपनियों ने सोशल मीडिया पर ही विज्ञापन जारी किए हैं. यही वजह है कि आज के दौर में विज्ञापन का पूरा व्यवसाय सोशल मीडिया नेटवर्क पर शिफ्ट होता नजर आ रहा है. अब जबकि एक बार फिर संक्रमण बढ़ रहा है तो आउटडोर प्रमोशन का व्यापार व्यवसाय फिर सिमटने की आशंका बन रही है.