इंदौर। आर्थिक मामलों के जानकार मानते हैं कि, इस बजट में आम आदमी को सिर्फ आयकर में ही राहत मिली है. इसके अलावा नया कुछ भी नहीं है. बजट की शेष घोषणा पहले की तरह ही की गई है.
आर्थिक मामलों के जानकार और पीथमपुर औद्योगिक संगठन के अध्यक्ष गौतम कोठारी ने बताया कि, बजट देश के आर्थिक विकास की रूपरेखा स्पष्ट नहीं करता, नतीजतन इस बजट में कुछ भी नया नहीं है. उन्होंने कहा कि आम आदमी के लिए सिर्फ आयकर की सीमा 5 लाख रुपए तक करना ही राहत भरा कदम है. इस फैसले से मध्यम वर्गीय लोगों की आय में आंशिक बचत होगी.
हालांकि इसका दूसरा पहलू ये है कि, देश के मात्र छह परसेंट लोग ही इनकम टैक्स देते हैं. जिन पर 94 फीसदी लोगों का खर्चे का बोझ है. ऐसे में सरकार को चाहिए था कि, 94 फीसदी लोग आय के साधन कैसे बनाएं और देश के विभिन्न सेक्टरों में रोजगार के नए साधन कैसे विकसित हों, इस पर फोकस करना था.
कोठारी ने कहा कि, सरकार ने हर साल 2 करोड़ रोजगार देने का वादा किया था, लेकिन इस बजट में सरकार उस घोषणा पर फोकस नहीं कर पाई. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर से निवेश और नए रोजगार कैसे पैदा होंगे. यह भी बजट में स्पष्ट नहीं है अन्य आर्थिक गतिविधियों से देश कैसे आगे बढ़ेगा, वित्त मंत्री ने बजट में यह भी नहीं बताया.
उन्होंने कहा कि, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल सेक्टर की हालत बहुत खराब है.. इस सेक्टर की हालत कैसे सुधरेगी, सरकार को इस पर भी फोकस करना था. उन्होंने कहा कि, 2020 का पहला बजट भी मोदी सरकार के पूर्व भर्ती बजट की तरह ही है. इसमें कुछ नया बदलाव नहीं है. उन्होंने कहा कि, सिर्फ आयकर सीमा बढ़ी है. यही एक राहत भरा फैसला है.