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दृष्टिहीन आंखों में साकार हो रहा 'वोकल फॉर लोकल' का सपना - ये दिवाली स्वदेशी सामानों वाली

इंदौर के महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ में देखने में असमर्थ बच्चियां केवल अपने महसूस करने के हुनर पर दीयों को नया रूप दे रही है. जिनकी जिंदगी में बस अंधेरा है, वो दीयों को आर्कषक बनाकर दूसरों की दिवाली को रोशन कर रही हैं.

Blind girls illuminating others Diwali
दूसरों की दिवाली को रोशन कर रहीं दृष्टिहीन छात्राएं
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Published : Oct 30, 2021, 9:44 AM IST

इंदौर। हर साल दीपावली पर बाहर से बड़े पैमाने पर आने वाली पूजा सामग्री को टक्कर देने के लिए इंदौर में दृष्टि बाधित छात्राएं अब पूजन सामग्री और दीये तैयार कर रही हैं. कोशिश यही है कि इन दृष्टिहीन आंखों ने भले दीपावली की रोशनी नहीं देखी हो, लेकिन उनके इस प्रयास से न केवल देश की बल्कि उनके द्वारा तैयार सामग्री से लोकल फॉर वोकल के छोटे से प्रयास के साथ अन्य लोगों की दीपावली जरूर रोशन हो सके.

दूसरों की दिवाली को रोशन कर रहीं दृष्टिहीन छात्राएं

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दृष्टिबाधित होकर भी काम में दक्ष
इंदौर के महेश दृष्टिहीन कल्याण संघ में इस बार यह दृष्टिबाधित छात्राएं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उस संदेश को साकार कर रही हैं, जिसमें इस वर्ष दीपावली पर स्थानीय लोगों द्वारा तैयार की जाने वाली पूजन सामग्री ही खरीदने का आह्वान है. लिहाजा बीते 1 महीने से यहां दीपावली के तरह-तरह के दीए के अलावा पूजा की थाली एवं अन्य सजावटी सामग्री तरह-तरह के क्राफ्ट के हुनर के साथ तैयार हो रही है. इन सामनों की खासियत ये है कि आंखों की रोशनी खो चुकीं छात्राओं ने केवल अपने रंगों और डिजाइन को महसूस करने के विशेष गुण पर इसे बनाया है. दीये और सामानों में इतनी सफाई के साथ काम किया गया है कि कोई भी देखकर विश्वास नहीं करेगा कि इसे दृष्टिबाधित लड़कियों ने बनाया है.

बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
दरअसल संस्था में पढ़ाई-लिखाई के साथ छात्राएं एक अलग तरह का हुनर सीख सकें इसके लिए यहां संगीत, क्राफ्ट एवं अलग-अलग तरह की कक्षाएं होती हैं. क्राफ्ट की कक्षा में साल भर में आने वाले त्योहारों में उपयोग की चीजें बनाना सीखाया जाता है. इसके लिए तमाम संसाधन संस्था की ओर से उपलब्ध कराए जाते हैं, बाद में जो सामान तैयार होता है उसे छात्राओं के मनोबल बढ़ाने के साथ बिक्री के लिए बैंकों और अलग-अलग स्टॉल पर भेजा जाता है. यहां की छात्राओं द्वारा बनाये गये सामन से लोगों का भावनात्मक जुड़ाव भी है. इसलिए बीते दो सालों से कोरोना के कारण विभिन्न बाजारों में संस्था के स्टॉल नहीं लग पाने के बावजूद छात्राओं द्वारा बनाई गई सामग्री लगातार बिक रही है. इनके द्वारा बनाई गई सामग्री से जो राशि प्राप्त होती है, उससे फिर अन्य सामग्री का कच्चा सामान खरीदा जाता है.

ज्यादा आकर्षक होती है सामग्री
दृष्टिहीन छात्राओं के कड़ी मेहनत और शिद्दत से ये सामान तैयार होते हैं और इसको बनाने में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक सोच अथवा उद्देश्य नहीं होता, यही वजह है कि 11 सामग्री पर अथक मेहनत होने के कारण वह बाजार में बिकने वाली अन्य सामग्री की तुलना में ज्यादा कलात्मक एवं टिकाऊ होती है. इसके अलावा इस सामग्री की कीमत भी तुलनात्मक रूप से बाजार से कम होती है. अब वोकल फॉर लोकल के उद्देश्य के तहत इस तरह की सामग्री की मांग लगातार बढ़ रही है.

इंदौर। हर साल दीपावली पर बाहर से बड़े पैमाने पर आने वाली पूजा सामग्री को टक्कर देने के लिए इंदौर में दृष्टि बाधित छात्राएं अब पूजन सामग्री और दीये तैयार कर रही हैं. कोशिश यही है कि इन दृष्टिहीन आंखों ने भले दीपावली की रोशनी नहीं देखी हो, लेकिन उनके इस प्रयास से न केवल देश की बल्कि उनके द्वारा तैयार सामग्री से लोकल फॉर वोकल के छोटे से प्रयास के साथ अन्य लोगों की दीपावली जरूर रोशन हो सके.

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दृष्टिबाधित होकर भी काम में दक्ष
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बच्चियों को आत्मनिर्भर बनाने की कोशिश
दरअसल संस्था में पढ़ाई-लिखाई के साथ छात्राएं एक अलग तरह का हुनर सीख सकें इसके लिए यहां संगीत, क्राफ्ट एवं अलग-अलग तरह की कक्षाएं होती हैं. क्राफ्ट की कक्षा में साल भर में आने वाले त्योहारों में उपयोग की चीजें बनाना सीखाया जाता है. इसके लिए तमाम संसाधन संस्था की ओर से उपलब्ध कराए जाते हैं, बाद में जो सामान तैयार होता है उसे छात्राओं के मनोबल बढ़ाने के साथ बिक्री के लिए बैंकों और अलग-अलग स्टॉल पर भेजा जाता है. यहां की छात्राओं द्वारा बनाये गये सामन से लोगों का भावनात्मक जुड़ाव भी है. इसलिए बीते दो सालों से कोरोना के कारण विभिन्न बाजारों में संस्था के स्टॉल नहीं लग पाने के बावजूद छात्राओं द्वारा बनाई गई सामग्री लगातार बिक रही है. इनके द्वारा बनाई गई सामग्री से जो राशि प्राप्त होती है, उससे फिर अन्य सामग्री का कच्चा सामान खरीदा जाता है.

ज्यादा आकर्षक होती है सामग्री
दृष्टिहीन छात्राओं के कड़ी मेहनत और शिद्दत से ये सामान तैयार होते हैं और इसको बनाने में किसी भी प्रकार की व्यावसायिक सोच अथवा उद्देश्य नहीं होता, यही वजह है कि 11 सामग्री पर अथक मेहनत होने के कारण वह बाजार में बिकने वाली अन्य सामग्री की तुलना में ज्यादा कलात्मक एवं टिकाऊ होती है. इसके अलावा इस सामग्री की कीमत भी तुलनात्मक रूप से बाजार से कम होती है. अब वोकल फॉर लोकल के उद्देश्य के तहत इस तरह की सामग्री की मांग लगातार बढ़ रही है.

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