इंदौर। कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टर भी अब गंभीर संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं. इस क्रम में शनिवार को इंदौर एमवाय अस्पताल के डॉक्टर दीपक सिंह की इलाज के दौरान मौत हो गई. डॉक्टर की मौत पर अस्पताल के अन्य तमाम चिकित्सकों ने राज्य सरकार पर डॉक्टरों की देखरेख को लेकर गंभीर लापरवाही बरतने के आरोप लगाए हैं. दीपक सिंह की मौत पर सीएम शिवराज और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर दुख जताया है.
फेफड़े हो गए थे 80% संक्रमित
दरअसल, डॉक्टर दीपक सिंह एमवाय अस्पताल में इंटर्न मेडिकल ऑफिसर के पद पर कार्यरत थे और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में कोविड मरीजों का उपचार कर रहे थे. सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में ही शहर के अधिकांश मरीजों को भर्ती किया जा रहा है. डॉक्टर सिंह की ड्यूटी इन्हीं गंभीर मरीजों के उपचार में लगी थी. कोरोना मरीजों के उपचार के दौरान ही वे भी संक्रमण का शिकार हो गए थे. हालांकि उन्हें भी संक्रमण के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था लेकिन फेफड़ों में 80% संक्रमण होने के कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका. शनिवार को उनकी मौत हो गई.
सीएम शिवराज और कमलनाथ ने किया ट्वीट
इस मामले में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट कर संवेदनाए व्यक्त की है. सीएम शिवराज ने ट्वीट कर डॉक्टर की दिवंगत आत्मा को शांति देने की प्रार्थना की है, तो वहीं कमलनाथ ने ट्वीट कर कोरोना योद्धा को सेल्यूट किया है.
डॉक्टरों ने प्रदेश सरकार पर लगाया आरोप
डॉक्टर की मौत के बाद अन्य डॉक्टरों एवं जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने डॉक्टरों के उपचार को लेकर प्रदेश सरकार पर लापरवाही के आरोप लगाते हुए सोशल मीडिया पर रोष व्यक्त किया है. डॉक्टर दीपक सिंह के दुखद निधन को लेकर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. संजय दीक्षित का कहना था कि डॉक्टर सिंह एमजीएम कॉलेज में इंटर्न थे. उपचार के दौरान उन्हें रिकवर भी किया गया था लेकिन संक्रमण ज्यादा होने के कारण कोविड उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई.
कोरोना काल में 'लूट का अड्डा' बने अस्पताल, जांच के बहाने कर रहे वसूली
2010 बैच से एमबीबीएस पासआउट थे दीपक
इंदौर के रहने वाले डॉ. दीपक सिंह एमजीएम मेडिकल कॉलेज की 2010 बैच से एमबीबीएस पासआउट थे. उनकी बैच के अन्य डॉक्टरों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कोरोना वारियर्स की तरह काम कर रहे डॉ. दीपक खुद संक्रमित हो गए थे. उनके फेफड़े 80 फीसदी से ज्यादा संक्रमित हो गए थे. इसके बावजूद सरकार ने उन पर कोई ध्यान नहीं दिया.
कुंभकरण की नींद सो रही है सरकार
डॉक्टर दीपक सिंह की मौत के बाद जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन और इंदौर के तमाम डॉक्टरों ने सोशल मीडिया पर खासा रोष व्यक्त किया है. डॉक्टर सिंह के बैचमेट डॉ. उमेश मंडलोई ने अपनी फेसबुक वॉल पर लिखा कि आज हमारे बैचमेट डॉक्टर दीपक सिंह कोरोना से लड़ते हुए शहीद हो गए हैं. आज उन्होंने इंदौर के एमवाय अस्पताल अस्पताल में अपनी आखरी सांस लीं. कोरोना से लड़ते हुए आज एक और डॉक्टर की मौत हो गई लेकिन प्रशासन अभी भी खामोश है. क्या डॉक्टरों को इसी तरह मरने के लिए छोड़ दिया जाता है? क्या डॉक्टर के लिए प्रशासन की कोई जिम्मेदारी नही है? प्रशासन की तरफ से न ही कोई प्रशासनिक अधिकारी मिलने आया न ही कोई पहल की गई.