इंदौर। शहर से 30 किलोमीटर दूर गुलावट गांव मौजूद है, जिसे आजकल लोटस वैली के नाम से जाना जाता है. लोटस वैली पूरे प्रदेश में अपने कमल के फूलों और विदेशी पक्षियों के लिए मशूहर है. गांव का नाम पहले गुलावट था और उसकी वजह यह थी कि यहां पर रहने वाले ग्रामीणों के द्वारा कमल के फूलों की फसल लगाना. बाद में इसका नाम लोटस वैली हो गया, फिर पर्यटकों को रिझाने के लिए ग्रामीणों ने यहां पर कई तरह के जतन करते हुए कई व्यवस्था पर्यटकों के लिए शुरू कर दी. जिसकी वजह से यह वैली पूरे प्रदेश में फेमस हो गई.
- ग्रामीणों ने पर्यटकों को रिझाने के लिए की देशी जुगाड़
ग्रामीणों ने लोटस वैली को मशहूर करने के लिए कई तरह के जतन किए. आसपास के ग्रामीणों ने यहां पर पर्यटकों को रिझाने के लिए विभिन्न तरह के देसी जुगाड़ से यहां पर विभिन्न तरह के झूलों का निर्माण करवाया. साथ ही यहां पर आने वाले पर्यटकों को किसी तरह की कोई समस्या ना हो इसके लिए विभिन्न तरह की व्यवस्था भी उन्होंने की. वहां पहुंचने के बाद पर्यटक बोर ना हो इसका भी विशेष ध्यान ग्रामीणों ने रखा और वहां पर विभिन्न तरह की खाने से लेकर उनके मनोरंजन से संबंधित कई तरह की व्यवस्थाओं का निर्माण लोटस वैली में किया. जहां पर शनिवार और रविवार को इंदौर शहर के साथ ही आसपास के शहरों की पब्लिक उमड़ती थी और पैर रखने की जगह भी नहीं रहती थी, लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण लोटस वैली सुनसान और बियाबान पड़ी हुई है.
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- बांस और लिप्टिस के पेड़ों के कारण लगती है सुंदर
लोटस वैली के आसपास बास के बड़े-बड़े पेड़ लगे हुए हैं, इसी के साथ लिप्टिस नामक एक पेड़ भी बड़ी संख्या में यहां पर पाया जाता है. जिसके कारण लोटस वैली काफी सुंदर नजर आती है और किस हिल स्टेशन से कम नहीं दिखती. इन्हीं पेड़ों के बीच में पर्यटक अपने पूरे परिवार के साथ इंजॉय करते हैं. यहां पर पर्यटक विदेशी पक्षियों को निहारने भी पहुंचते हैं. लोटस वैली ऐसी जगह है जहां पर मार्च-अप्रैल के साथ ही नवंबर-दिसंबर में बड़ी संख्या में विदेशी पक्षी आते हैं, लेकिन इस बार विदेशी पक्षी भी वहां पर नहीं आए हैं. जिसके कारण भी लोटस वैली काफी सुनसान नजर आ रही है. वहां पर मौजूद गार्ड का भी कहना है कि यहां पर जो पर्यटक आते हैं, वह पक्षियों के साथ ही कमल के फूलों को निहारने के लिए आते हैं. इस बार नही पक्षी आए ना ही ग्रामीणों ने कमल के फूलों की फसल की है, जिसके कारण लोटस वैली पूरी तरीके से विरान पड़ी है.
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- बचपन से गुलजार देखी वैली
यहां पर रहने वाले ग्रामीणों का कहना है कि बचपन से वैली गुलजार रही है. तकरीबन 4 से 5 साल पहले ग्रामीणों ने विभिन्न तरह के जतन करते हुए लोटस वैली को काफी मशहूर कर दिया और उसके बाद से एक भी दिन ऐसा नहीं गुजरा जब यहां पर पर्यटक नहीं पहुंचे हो, लेकिन कोरोना के कारण पिछले काफी दिनों से यह सुनसान पड़ी हुई है. यहां पर सुरक्षा के दृष्टि से भी विभिन्न तरह के मापदंड तय किए हुए हैं, उसी को देखते हुए यहां पर कोई भी नहीं आ रहा.
- पुलिस रख रही है नजर
कोरोना वायरस जिस तरह से इंदौर में फैल रहा है, वह संक्रमण गांव की ओर ना बड़े उसको देखते हुए लोटस वैली में पुलिस खास नजर रख रही है. यहां पर एक गार्ड को भी तैनात किया वह है, जो 24 घंटे यहां पर तैनात रहता है. यदि कोई गलती से वहां पहुंच भी जाता है तो 10 मिनट में उसे वहां से समझाई देकर रवाना कर दिया जाता है. वहीं पुलिस के आला अधिकारी भी समय-समय पर दौरा करते रहते हैं.