इंदौर। स्वच्छता अभियान के नाम पर मनचाहे ठेकेदारों को अवैध तरीके से टेंडर जारी करने और ठेकेदारों को करोड़ों रुपए का भुगतान करने के मामले में लोकायुक्त इंदौर ने महापौर सहित पूर्व और वर्तमान आयुक्त के अलावा 23 अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ जांच शुरू कर दी है. ये पहला मामला है जिसमें लोकायुक्त इतनी बड़ी संख्या में अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले की जांच की जा रही है.
पूर्व पार्षद और कांग्रेसी नेता दिलीप कौशल ने शिकायत की है कि इंदौर नगर निगम में पीडब्ल्यूडी के नियमानुसार टेंडर राशि में 10 से 25 फीसदी अतिरिक्त राशि की स्वीकृति का प्रावधान है. इसके अलावा एक लाख से अधिक का काम टेंडर द्वारा कराए जाने के नियमों के विपरीत महापौर परिषद ने बिना टेंडर के ही करोड़ों रुपए का भुगतान स्वीकृत कर दिया. पूर्व नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह और अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह ने भी मनचाहे ठेकेदारों को अतिरिक्त स्वीकृति के नाम पर 142 फीसदी बढ़ी हुई राशि का भुगतान बिना टेंडर के कर दिये.
लोकायुक्त में हुई शिकायत के अनुसार वर्तमान आयुक्त आशीष सिंह ने भी नियमों के विरूद्ध भुगतान किया है. अधीक्षण यंत्री अशोक राठौड़ ने अन्य ठेकेदारों के साथ मिलकर उक्त दस्तावेज और अनुबंध तैयार कर उन पर हस्ताक्षर भी कर दिए. शिकायतकर्ता के अनुसार शहर के व्हाइट चर्च चौराहे के पास विकास के नाम पर एक ही कार्य के तीन अलग-अलग कार्य आदेश जारी किए गए.
शिकायत में शामिल नाम
महापौर मालिनी गौड़, पूर्व नगर निगम आयुक्त मनीष सिंह, वर्तमान आयुक्त आशीष सिंह, अपर आयुक्त देवेंद्र सिंह, पूर्व अधीक्षण यंत्री अशोक राठौर और एनएस तोमर, कार्यालय अधीक्षक विजय सक्सेना, कंप्यूटर ऑपरेटर पूजा सर्राफ और ठेकेदारों सहित 23 लोगों के मामला पंजीबद्ध कर जांच शुरू की गई है.