भोपाल। निर्यात पर लगी रोक के कारण राज्य के व्यापारी और सरकार दोनों असमंजस में फंस गए हैं. इस स्थिति से निपटने के लिए उन व्यापारियों की जानकारी जुटाई जा रही है, जो गेहूं का अग्रिम भुगतान ले चुके हैं या जिन्होंने विदेश में सौदे कर लिए हैं. मुख्यमंत्री के दखल के बाद साठ हजार टन गेहूं निर्यात हो भी चुका है.
अभी तक 6 लाख टन गेहूं निर्यात : बता दें कि 13 मई तक मध्यप्रदेश का 23 लाख 79 हजार 823 टन गेहूं खरीदा गया. इसमें से छह लाख 68 हजार टन गेहूं निर्यात हो गया. 2 लाख टन गेहूं बंदरगाह पर रखा हुआ है. करीब 9 लाख 43 हजार 745 टन गेहूं निर्यातकों ने खरीदकर गोदामों में रखा है. निर्यात पर बंदिश लगने के कारण अब सरकार गेहूं के निर्यात का रास्ता निकलने की कोशिश कर रही है. इधर, करीब 16 लाख टन गेहूं की मंडी शुल्क की प्रतिपूर्ति में भी पेंच फंस गया है. कृषि मंत्री कमल पटेल ने बताया कि प्रदेश से साढ़े छह लाख टन से ज्यादा गेहूं निर्यात हो चुका है.
गेहूं निर्यात को प्रतिबंधित करने वाले आदेश में दी गई ढील: भारत सरकार
एमएसपी पर नहीं हो रही थी खरीदी : बता दें कि भारत के गेहूं के निर्यात पर अचानक रोक लगने से इंदौर समेत मध्यप्रदेश की तमाम मंडियों में हड़ताल हो चुकी है. मध्यप्रदेश अनाज व्यापारी संघ ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत प्रधानमंत्री को चिट्ठी लिखकर निर्यात पर लगी रोक हटाने की मांग की है. किसानों द्वारा निर्यात के लिए व्यापारियों को सीधे गेहूं बेचने के कारण मंडियों में समर्थन मूल्य पर होने वाली खरीदी भी प्रभावित हो रही थी. अनाज एसोसिएशन के गोपालदास अग्रवाल के मुताबिक निर्यात के लिए नए लाइसेंस और कई कंपनियों के आगे आने से पहले से निर्यात कर रही बड़ी कंपनियां प्रभावित हुई थीं. इसके अलावा गेहूं के दाम भी बढ़ गए थे.
(CM Shivraj active for export wheat ) (2 lakh tonnes of wheat stranded at ports)