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डर के साये में आहार, घाटे में चल रहा व्यापार! - poultry farm business affected in madhya pradesh

इंदौर समेत देवास, शिवपुरी और पश्चिमी मध्य प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलों में बर्ड फ्लू सैकड़ों पक्षियों की मौत का कारण बना. हालांकि अब स्थिति सामान्य होने की ओर है, लेकिन पक्षियों में फैले इस संक्रमण के कारण लोगों के बीच अब भी मुर्गी और अंडे में संक्रमण होने का डर सता रहा है. परिणामस्वरूप इन दिनों अंडे और मुर्गियों की बिक्री 25 फ़ीसदी भी नहीं बची है.

Chicken Business Affected By Bird Flu
बर्ड फ्लू से चिकन व्यापार प्रभावित
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Published : Feb 1, 2021, 12:48 AM IST

Updated : Feb 2, 2021, 4:41 PM IST

इंदौर। स्वाइन फ्लू के बाद अचानक कौवें और कबूतरों में फैले बर्ड फ्लू की मार से प्रदेश का पोल्ट्री उद्योग करोड़ों के घाटे में आ चुका है. प्रदेश के चिकन मार्केट और अंडे की थोक बिक्री के लिए उपलब्ध चिकन और अंडा इन दिनों बर्ड फ्लू से डर की मूल वजह बने हुए हैं. नतीजतन इन्हें रोज खाने वाले कद्रदान इनसे तौबा कर चुके हैं. स्थिति यह है कि, इंदौर में पोल्ट्री फॉर्म उद्योग को बीते 2 से 3 सप्ताह में 6 से 7 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है.

डर के साये में आहार, घाटे में चल रहा व्यापार!

यही स्थिति अंडों को लेकर भी है इंदौर जैसे महानगर में प्रतिदिन 5 से 10 लाख अंडे बिकते थे जो घटकर अब दो से ढाई लाख पर आ चुके हैं. इतना ही नहीं थोक में 4 रुपए प्रति नग के हिसाब से बिकने वाला अंडा बर्ड फ्लू के दौरान 80 पैसे प्रति अंडा के हिसाब से भी नहीं बिक रहा है. यही स्थिति चिकन को लेकर है. जिसे खरीदने वाले नहीं मिले तो कई जगह चिकन पालतू जानवरों को खिलाना पड़ा. नुकसान का आर्थिक तौर पर अंदाजा लगाया जाए तो, अंडों की बिक्री में ही दुकानदारों को एक से दो करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

स्थिति नियंत्रण में अब एक फीसदी केस भी नहीं

इंदौर के पशु चिकित्सकों के मुताबिक खासकर कौवा और कबूतर में फैल रहा बर्ड फ्लू अब नियंत्रित हो चुका है. सबसे ज्यादा संक्रमित क्षेत्र दिल्ली कॉलेज में अब कोई भी पक्षी मृत नहीं मिल रहा है. इसके अलावा जिले से भी पशु चिकित्सा विभाग को पक्षियों की मौत की खबरें भी नहीं आ रही हैं. जिसे लेकर पशुपालन विभाग ने भी राहत की सांस ली है. हालांकि सामान्य तौर पर जो 2 से 3 पक्षियों की मौत होती थी. वह अब भी हो रही है. पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक इनकी मौत की वजह बर्ड फ्लू नहीं है.

Egg business affected by bird flu
बर्ड फ्लू से अंडा व्यापार प्रभावित

45 से 50 डिग्री पर मर जाता है वायरस

इंदौर के पशु चिकित्सक डॉ प्रशांत तिवारी के अनुसार वायरस 45 से 50 डिग्री तापमान पर नष्ट हो जाते हैं. यही वजह है कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी डॉक्टरों ने गर्म पानी पीने से लेकर गर्म पानी ही उपयोग करने की सलाह दी थी. बर्ड फ्लू के दौरान भी पशु चिकित्सकों ने स्पष्ट किया था कि, चिकन को पकाकर खाने से भारत में बर्ड फ्लू होने का खतरा ना के बराबर है. लेकिन फिर भी बर्ड फ्लू को लेकर लोगों में बने भय के फलस्वरूप लोगों ने चिकन और अंडे खरीदना सामान्य तौर पर बंद कर दिया है.

लोगों ने चिकन खाना छोड़ा

बर्ड फ्लू संक्रमण के दौरान लोगों को आशंका थी कि, कौवा और कबूतर में फैला बर्ड फ्लू मुर्गियों में भी पाया जा सकता है. चिकन खाने वाले अधिकांश लोगों ने ब्रायलर चिकन नहीं खरीदा. इसके अलावा जो लोग सामान्य तौर पर चिकन के शौकीन थे उन्होंने भी बर्ड फ्लू के डर के कारण चिकन खाना छोड़ दिया. हालांकि चिकन बेचने वाले दुकानदार बर्ड फ्लू नहीं होने की जानकारी ग्राहकों को दे रहे हैं, लेकिन फिर भी ग्राहकों के मन में संक्रमण की आशंका बनी हुई है. जिसके कारण बर्ड फ्लू उद्योग फिलहाल कई चुनौतियों से सामना कर रहा है.

इंदौर। स्वाइन फ्लू के बाद अचानक कौवें और कबूतरों में फैले बर्ड फ्लू की मार से प्रदेश का पोल्ट्री उद्योग करोड़ों के घाटे में आ चुका है. प्रदेश के चिकन मार्केट और अंडे की थोक बिक्री के लिए उपलब्ध चिकन और अंडा इन दिनों बर्ड फ्लू से डर की मूल वजह बने हुए हैं. नतीजतन इन्हें रोज खाने वाले कद्रदान इनसे तौबा कर चुके हैं. स्थिति यह है कि, इंदौर में पोल्ट्री फॉर्म उद्योग को बीते 2 से 3 सप्ताह में 6 से 7 करोड़ रुपए का घाटा हो चुका है.

डर के साये में आहार, घाटे में चल रहा व्यापार!

यही स्थिति अंडों को लेकर भी है इंदौर जैसे महानगर में प्रतिदिन 5 से 10 लाख अंडे बिकते थे जो घटकर अब दो से ढाई लाख पर आ चुके हैं. इतना ही नहीं थोक में 4 रुपए प्रति नग के हिसाब से बिकने वाला अंडा बर्ड फ्लू के दौरान 80 पैसे प्रति अंडा के हिसाब से भी नहीं बिक रहा है. यही स्थिति चिकन को लेकर है. जिसे खरीदने वाले नहीं मिले तो कई जगह चिकन पालतू जानवरों को खिलाना पड़ा. नुकसान का आर्थिक तौर पर अंदाजा लगाया जाए तो, अंडों की बिक्री में ही दुकानदारों को एक से दो करोड़ रुपए का नुकसान हो चुका है.

स्थिति नियंत्रण में अब एक फीसदी केस भी नहीं

इंदौर के पशु चिकित्सकों के मुताबिक खासकर कौवा और कबूतर में फैल रहा बर्ड फ्लू अब नियंत्रित हो चुका है. सबसे ज्यादा संक्रमित क्षेत्र दिल्ली कॉलेज में अब कोई भी पक्षी मृत नहीं मिल रहा है. इसके अलावा जिले से भी पशु चिकित्सा विभाग को पक्षियों की मौत की खबरें भी नहीं आ रही हैं. जिसे लेकर पशुपालन विभाग ने भी राहत की सांस ली है. हालांकि सामान्य तौर पर जो 2 से 3 पक्षियों की मौत होती थी. वह अब भी हो रही है. पशु चिकित्सा विभाग के मुताबिक इनकी मौत की वजह बर्ड फ्लू नहीं है.

Egg business affected by bird flu
बर्ड फ्लू से अंडा व्यापार प्रभावित

45 से 50 डिग्री पर मर जाता है वायरस

इंदौर के पशु चिकित्सक डॉ प्रशांत तिवारी के अनुसार वायरस 45 से 50 डिग्री तापमान पर नष्ट हो जाते हैं. यही वजह है कि कोरोना संक्रमण के दौरान भी डॉक्टरों ने गर्म पानी पीने से लेकर गर्म पानी ही उपयोग करने की सलाह दी थी. बर्ड फ्लू के दौरान भी पशु चिकित्सकों ने स्पष्ट किया था कि, चिकन को पकाकर खाने से भारत में बर्ड फ्लू होने का खतरा ना के बराबर है. लेकिन फिर भी बर्ड फ्लू को लेकर लोगों में बने भय के फलस्वरूप लोगों ने चिकन और अंडे खरीदना सामान्य तौर पर बंद कर दिया है.

लोगों ने चिकन खाना छोड़ा

बर्ड फ्लू संक्रमण के दौरान लोगों को आशंका थी कि, कौवा और कबूतर में फैला बर्ड फ्लू मुर्गियों में भी पाया जा सकता है. चिकन खाने वाले अधिकांश लोगों ने ब्रायलर चिकन नहीं खरीदा. इसके अलावा जो लोग सामान्य तौर पर चिकन के शौकीन थे उन्होंने भी बर्ड फ्लू के डर के कारण चिकन खाना छोड़ दिया. हालांकि चिकन बेचने वाले दुकानदार बर्ड फ्लू नहीं होने की जानकारी ग्राहकों को दे रहे हैं, लेकिन फिर भी ग्राहकों के मन में संक्रमण की आशंका बनी हुई है. जिसके कारण बर्ड फ्लू उद्योग फिलहाल कई चुनौतियों से सामना कर रहा है.

Last Updated : Feb 2, 2021, 4:41 PM IST
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