इंदौर। देश में लगातार बढ़ रही सीमेंट की कीमतों के कारण आम आदमी का घर बनाने का सपना महंगा होता जा रहा है. लॉकडाउन अवधि के दौरान लंबे समय तक निर्माण संबंधी कार्य बंद रहे. जब निर्माण कार्यों का दौर शुरु हुआ तो सीमेंट के रेट बढ़ने से निर्माण उद्योग भी महंगा हो गया. बढ़ती निर्माण लागत के कारण इसका सीधा असर आम आदमी के ऊपर हो रहा है. वहीं निर्माण करने वाले रियल स्टेट एसोसिएशन लगातार मांग कर रहे हैं कि सीमेंट की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए किसी प्राधिकरण का निर्माण किया जाना चाहिए, ताकि लगातार बढ़ाई जा रही सीमेंट की कीमतों को नियंत्रित किया जा सके.
ठेकेदारों ने भी बढ़ाई प्रति वर्ग फीट कंस्ट्रक्शन की कीमत
सीमेंट की कीमतों में वृद्धि होने के कारण निर्माण करने वाले ठेकेदारों ने भी प्रति वर्ग फीट कंस्ट्रक्शन का रेट बढ़ा दिया है. इंदौर शहर की बात की जाए, तो यहां पर वर्तमान में 1200 से लेकर 1400 वर्ग फीट कंस्ट्रक्शन का रेट चल रहा है जबकि लॉकडाउन के पहले यही रेट 1000 वर्ग फीट से लेकर 1200 वर्ग फीट तक का था. इसे लेकर बिल्डर एसोसिएशन का मानना है कि क्वालिटी के साथ समझौता तो नहीं किया जा सकता लेकिन प्रोजेक्ट को महंगा होने से रोका भी नहीं जा सकता.
लागत बढ़ने से रियल एस्टेट को नुकसान
अब सबसे बड़ी चुनौती उन रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को है जो कि लॉक डाउन के पहले से निर्माणाधीन थे और अब उनका काम चल रहा है. लागत बढ़ने के कारण एक ओर जहां रियल स्टेट व्यवसायियों को तो नुकसान उठाना पड़ ही रहा है. वही प्रोजेक्ट में देरी होने के कारण लोगों ने भी दूरी बना ली है.
सीमेंट की बढ़ती कीमतों से कारोबार पर असर
व्यापारियों ने की नियामक प्राधिकरण बनाने की मांग सीमेंट की लगातार बढ़ रही कीमतों को लेकर व्यापारियों ने भी सरकार का ध्यान इस ओर खींचने की बात कही है. सीमेंट कारोबारियों का कहना है कि सभी कंपनियों ने एकजुटता कर अपनी कीमतों में धीरे-धीरे बढ़ोतरी भी शुरू कर दी है. जिसका असर उनके कारोबार पर हो रहा है.
सीमेंट की कीमतों को नियंत्रित की मांग
सीमेंट की मनमानी कीमतों में हो रही बढ़ोतरी को लेकर व्यापारियों का कहना है कि सीमेंट की कीमतों को नियंत्रित करने के लिए एक नियामक प्राधिकरण का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि इसकी कीमतों को नियंत्रित किया जा सके.
सरकारी प्रोजेक्टों में भी हुई देरी
बहरहाल लगातार बढ़ रही सीमेंट की कीमतों के कारण कई सरकारी प्रोजेक्ट पर भी इसका असर पड़ रहा है और कहीं ना कहीं प्रोजेक्ट महंगे होने के कारण उसकी गुणवत्ता खराब हो रही है. सीमेंट के मूल्य में बढ़ोतरी के कारण सरकारी परियोजनाओं में भी देरी देखी जा रही है.