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ब्लैक फंगस के बढ़ते मामलों के बीच दवाइयों की कमी, जानें क्या बोले मंत्री - ब्लैक फंगस के लक्षण

ब्लैक फंगस के मरीजों के लिए एमवाई और अरविंदो हॉस्पिटल को चिन्हित किया गया है. मरीजों की बढ़ती संख्या के बीच दवाइयों की कमी न हो इसके लिए शासन-प्रशासन की ओर से लगातार व्यवस्था की जा रही है.

मंत्री तुलसी सिलावट
मंत्री तुलसी सिलावट
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Published : May 16, 2021, 12:13 PM IST

Updated : May 16, 2021, 12:54 PM IST

इंदौर। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस के मरीजों को लेकर शासन-प्रशासन की चिंताएं बढ़ने लगी है. ऐसे में फंगस के मरीजों के लिए एमवाई और अरविंदो हॉस्पिटल को चिन्हित किया गया है. वहीं आने वाले दिनों में हॉस्पिटलों की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी.

मंत्री तुलसी सिलावट

मंत्री तुलसी सिलावट ने कही ये बात
शहर के प्रभारी व कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. ऐसे में अरविंदो और एमवाय हॉस्पिटल को इलाज के लिए चिन्हित किया गया है. यहां पर मरीजों का इलाज कराया जा रहा है. साथ ही शहर के सीनियर डॉक्टरों से भी बीमारी को लेकर चर्चा की जा रही है. दवाइयों की आपूर्ति बनी रहे इसके लिए दवा निर्माताओं से भी केंद्र और राज्य सरकार बातचीत कर पूर्ति करने में जुटी हुई है. मंत्री ने कहा, आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या अधिक बढ़ती है, तो अन्य हॉस्पिटलों को भी चिन्हित कर फंगस के इलाज के लिए आदेशित किया जाएगा, ताकि मरीजों को सुलभ व सरल इलाज मुहैया करवाए जा सके.

खपत बढ़ने से आई दवा की कमी
फंगस इंफेक्शन की दवाइयों की समस्या को देखते हुए डिस्ट्रीब्यूटर से बात की गई, तो उनका कहना है इलाज के लिए एमफोथेरेसिम बी और डायफोसोमल इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है,जिसकी शार्टेज 1 मई के बाद से अचानक बढ़ने लगी है. शार्टेज की बड़ी वजह ये भी है, कि फंगस इंफेक्शन से पीड़ित प्रत्येक मरीज को 40 से 50 इंजेक्शन का डोज दिया जाता है, जिसकी प्रति इंजेक्शन किमत 7 से 8 हजार रुपए तक है.

रोजोना 700 से 800 इंजेक्शन की मांग
दरअसल, इंजेक्शन बनाने का रॉ मटेरियल जर्मनी से आता है, जिसके एक्पोर्ट पर फिलहाल, रोक लगी हुई है. जानकार बताते हैं, साल भर में ये केवल 40 से 50 इंजेक्शन की बिक्री होती थी, लेकिन अब रोजोना 700 से 800 इंजेक्शन की जरूरत लगने लगी है. साथ ही केवल इंदौर ही नहीं बल्कि आसपास के छोटे शहरों से भी इंजेक्शन की मांग बढ़ने लगी है. इस इंजेक्शन को सिप्ला, भारत सीरम और माइलेन जैसी पांच बड़ी दवा कंपनियां बनाती हैं.


दो तरह से होता है इलाज
वहीं, इस बीमारी को लेकर 2 तरह से उपचार किया जाता है. एक सर्जिकल और दूसरा मेडिकल, सर्जिकल में जिसकी नाक में कोई गार्ड बन गई या गले में स्मार्ट बन गए तो उसे सर्जिकल उपचार के माध्यम से दूर किया जाता है. इसी तरह से विभिन्न तरह की एंटी प्लस दवा नहीं होने से उनका मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरी दवाइयां दी जाती हैं, जो इतनी कारगर नहीं है. वहीं इस इंफेक्शन में 2 हफ्ता तक दवाई देने की जरूरत रहती है. लेकिन किन्हीं कारणों के चलते दवाइयों की शॉर्टेज आ गई है तो हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को विभिन्न तरह से इलाज किया जा रहा है. जिसके कारण कई मरीजों की मौत भी हो रही है.


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लगातार हो रही हैं मौतें
फिलहाल, ब्लैक फंगस से इंदौर में लगातार मौतें हो रही हैं. अब तक की जानकारी के मुताबिक इंदौर के हॉस्पिटल में इस बीमारी से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं अलग-अलग हॉस्पिटल में भी इलाजरत मरीजों की लगातार मौतें हो रही हैं. वहीं, शहर में 200 से अधिक ब्लैक फंगस से संबंधित मरीज सामने आ चुके हैं. जिन्हें विभिन्न हॉस्पिटलों में इलाज के लिए भर्ती किया गया है.

इंदौर। कोरोना के बाद अब ब्लैक फंगस के मरीजों को लेकर शासन-प्रशासन की चिंताएं बढ़ने लगी है. ऐसे में फंगस के मरीजों के लिए एमवाई और अरविंदो हॉस्पिटल को चिन्हित किया गया है. वहीं आने वाले दिनों में हॉस्पिटलों की संख्या में भी बढ़ोतरी की जाएगी.

मंत्री तुलसी सिलावट

मंत्री तुलसी सिलावट ने कही ये बात
शहर के प्रभारी व कैबिनेट मंत्री तुलसी सिलावट का कहना है कि ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या बढ़ने लगी है. ऐसे में अरविंदो और एमवाय हॉस्पिटल को इलाज के लिए चिन्हित किया गया है. यहां पर मरीजों का इलाज कराया जा रहा है. साथ ही शहर के सीनियर डॉक्टरों से भी बीमारी को लेकर चर्चा की जा रही है. दवाइयों की आपूर्ति बनी रहे इसके लिए दवा निर्माताओं से भी केंद्र और राज्य सरकार बातचीत कर पूर्ति करने में जुटी हुई है. मंत्री ने कहा, आने वाले दिनों में मरीजों की संख्या अधिक बढ़ती है, तो अन्य हॉस्पिटलों को भी चिन्हित कर फंगस के इलाज के लिए आदेशित किया जाएगा, ताकि मरीजों को सुलभ व सरल इलाज मुहैया करवाए जा सके.

खपत बढ़ने से आई दवा की कमी
फंगस इंफेक्शन की दवाइयों की समस्या को देखते हुए डिस्ट्रीब्यूटर से बात की गई, तो उनका कहना है इलाज के लिए एमफोथेरेसिम बी और डायफोसोमल इंजेक्शन की जरूरत पड़ती है,जिसकी शार्टेज 1 मई के बाद से अचानक बढ़ने लगी है. शार्टेज की बड़ी वजह ये भी है, कि फंगस इंफेक्शन से पीड़ित प्रत्येक मरीज को 40 से 50 इंजेक्शन का डोज दिया जाता है, जिसकी प्रति इंजेक्शन किमत 7 से 8 हजार रुपए तक है.

रोजोना 700 से 800 इंजेक्शन की मांग
दरअसल, इंजेक्शन बनाने का रॉ मटेरियल जर्मनी से आता है, जिसके एक्पोर्ट पर फिलहाल, रोक लगी हुई है. जानकार बताते हैं, साल भर में ये केवल 40 से 50 इंजेक्शन की बिक्री होती थी, लेकिन अब रोजोना 700 से 800 इंजेक्शन की जरूरत लगने लगी है. साथ ही केवल इंदौर ही नहीं बल्कि आसपास के छोटे शहरों से भी इंजेक्शन की मांग बढ़ने लगी है. इस इंजेक्शन को सिप्ला, भारत सीरम और माइलेन जैसी पांच बड़ी दवा कंपनियां बनाती हैं.


दो तरह से होता है इलाज
वहीं, इस बीमारी को लेकर 2 तरह से उपचार किया जाता है. एक सर्जिकल और दूसरा मेडिकल, सर्जिकल में जिसकी नाक में कोई गार्ड बन गई या गले में स्मार्ट बन गए तो उसे सर्जिकल उपचार के माध्यम से दूर किया जाता है. इसी तरह से विभिन्न तरह की एंटी प्लस दवा नहीं होने से उनका मेडिकल ट्रीटमेंट नहीं हो पा रहा है. वहीं दूसरी दवाइयां दी जाती हैं, जो इतनी कारगर नहीं है. वहीं इस इंफेक्शन में 2 हफ्ता तक दवाई देने की जरूरत रहती है. लेकिन किन्हीं कारणों के चलते दवाइयों की शॉर्टेज आ गई है तो हॉस्पिटल में भर्ती मरीजों को विभिन्न तरह से इलाज किया जा रहा है. जिसके कारण कई मरीजों की मौत भी हो रही है.


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लगातार हो रही हैं मौतें
फिलहाल, ब्लैक फंगस से इंदौर में लगातार मौतें हो रही हैं. अब तक की जानकारी के मुताबिक इंदौर के हॉस्पिटल में इस बीमारी से 5 लोगों की मौत हो चुकी है. वहीं अलग-अलग हॉस्पिटल में भी इलाजरत मरीजों की लगातार मौतें हो रही हैं. वहीं, शहर में 200 से अधिक ब्लैक फंगस से संबंधित मरीज सामने आ चुके हैं. जिन्हें विभिन्न हॉस्पिटलों में इलाज के लिए भर्ती किया गया है.

Last Updated : May 16, 2021, 12:54 PM IST
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