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Alert! आपको भी हो सकता है Black Fungus, बगैर कोविड कई को हुआ म्यूकर माइकोसिस - इंदौर में खतरा

अब तक उन्हीं लोगों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) मिल रहा था, जिन्हें कोरोना के लक्षण रहे हों लेकिन अब इंदौर में ऐसे मरीज भी सामने आये हैं. जिन्हें कोरोना (Corona) नहीं हुआ है, लेकिन वह ब्लैक फंगस के शिकार हो गए.

black fungus
ब्लैक फंगस
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Published : May 22, 2021, 9:49 PM IST

इंदौर। शहर में करोना (Corona) महामारी के बाद अब ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ती ही जा रही है. ब्लैक फंगस बीमारी के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है. इंदौर में कई मरीज ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना बीमारी नहीं हुई, लेकिन ब्लैक फंगस बीमारी से ग्रसित हो गए हैं. इंदौर में करीब आठ मरीज ऐसे मिले हैं, जिन्हें कोरोना बीमारी नहीं हुई, लेकिन ब्लैक फंगस की वजह से वह ग्रसित है.

175 ब्लैक फंगस के मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में उपचार हो रहा है.

इंदौर में मिले आठ मरीज
इस पूरे मामले पर एमवॉयएच के डॉक्टर वीपी पांडे का कहना है कि ब्लैक फंगस के जो मरीज आ रहे हैं. उनमें या तो हल्के करोना के लक्षण थे और वो ठीक हो गए हैं. हल्के लक्षणों ने इन मरीजों के इम्यून सिस्टम (Immune System) को प्रभावित किया हो, इस वजह से इस तरह के मरीजों को ब्लैक फंगस होने की संभावना जताई जा रही है.

सामान्य व्यक्ति में भी नजर आ रहे लक्षण
हालांकि अधिकारिक तौर पर अभी शहर में 175 ब्लैक फंगस के मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में उपचार हो रहा है. डॉक्टर पांडे के अनुसार ब्लैक फंगस के लक्षण अगर सामान्य व्यक्ति में भी नजर आ रहे हैं, तो उन्हें नजरअंदाज न करते हुए तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज शुरू कर देना चाहिए.

एक तरह का फफूंद है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस (Black Fungus) का साइंटिफिक (Scientific) नाम म्यूकर माइकोसिस (Muker mycosis) या ब्लैक फंगस है. यह एक फफूंद की तरह होता है. ब्लैक फंगस वातावरण में पाये जाने वाले फफूंद की वजह से होता है. खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है।

कम प्रतिरोधक क्षमता वालों को होता है फंगस
अधिकतम यह कोरोना (Corona) से संक्रमित हुए मरीजों में होता है. ज्यादातर यह उन मरीजों में होता है, जिन्हें शुगर (Diabetes) की बीमारी हो या फिर उनकी प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) कम हो. दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक (Attack) करता है, जिनकी इम्यूनिटी (Immunity) कमजोर होती है. क्योंकि शुगर (Sugar) के मरीज लंबे समय से स्टेरॉइड्स (Steroids) का इस्तेमाल करते हैं. जिसके चलते उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में ब्लैक फंगस को शुगर के मरीजों को अपना शिकार बनाना आसान हो जाता है.

इन परिस्थितियों में होता है ब्लैक फंगस

  1. जो कोरोना से संक्रमित हो चुके हों.
  2. जो शुगर बीमारी से ग्रसित हों.
  3. जो लंबे समय से स्टेराइड ले रहे हों.
  4. जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो.
  5. जो लंबे समय से ऑक्सीजन पर हों.
  6. जिनका कैंसर का इलाज हो रहा हो.
  7. जिन्होंने शरीर का कोई अंग ट्रांसप्लांट (Transplant) कराया हो.

मस्तिष्क तक पहुंच जाता है ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है. शुरुआती चरण में ब्लैक फंगस से न्यूरॉन (Neuron) और ओरोन (Oron) प्रभावित होने लगते हैं. इसके बाद न्यूरॉन और ओरोन में काले रंग का धब्बा आना शुरू हो जाता है. इसके बाद यह इंफेक्शन सांस के द्वारा न्यूरो साइनसिस (Neuro Synesis) में चला जाता है और फिर आंख के चारों तरफ इसके लक्षण पाये जाने लगते हैं. जिससे आंख के चारों ओर काला दाग पड़ने लगता है. इसको सायना आर्बिटल इंफेक्शन (Infection) कहते हैं. यहां से यह इंफेक्शन मस्तिष्क तक पहुंच जाता है. इस अवस्था में यह घातक हो जाता है. ऐसे में मरीज की मृत्यु तक हो जाती है.

ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए करें यह उपाय
ब्लैक फंगस की बीमारी को जितनी जल्दी पहचानेंगे इसका इलाज उतना ही सफल होता है. ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए तीन चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं.

  1. शुगर कंट्रोल में होना चाहिए.
  2. स्टेराइड के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
  3. प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना चाहिए.

Black Fungus का बच्चों में भी खतरा, ऐसे करें बचाव

ब्लैक फंगस का इलाज
ब्लैक फंगस बहुत खतरनाक है. इसके इलाज में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. साथ ही सही समय पर सही उपचार करना चाहिए. इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसका इलाज दवाइयों से भी हो सकता है. हालांकि कुछ मौकों पर सर्जरी भी करनी पड़ती है. अगर आपको शुगर है और कोरोना से संक्रमित हो गए हैं, तो अपना ब्लड शुगर नियमित तौर पर चेक करते रहें और शुगर की दवाई बिल्कुल संभल कर लें. ब्लैक फंगस के लिए चार से छह हफ्ते तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं. हालांकि गंभीर मामलों में तीन-तीन महीने तक इलाज चलता है. ब्लैक फंगस के लिए इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरेसिन-बी काफी लाभकारी है.

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बच्चों में भी पाया जा रहा ब्लैक फंगस
हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद से 13 साल के बच्चे में ब्लैक फंगस का केस सामने आया है. जहां कोविड से ठीक होने के बाद उसमें म्यूकर माइकोसिस के लक्षण पाये गए. बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया और उसकी सर्जरी की गई. यहां देखने वाली बात यह है कि बच्चे की किसी और वजह से प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई हो. इसकी वजह से यह बीमारी उसमें घर कर गई. हालांकि बच्चों में यह बीमारी कम पायी जा रही है.

इंदौर। शहर में करोना (Corona) महामारी के बाद अब ब्लैक फंगस (Black Fungus) के मरीजों की संख्या में लगातार बढ़ती ही जा रही है. ब्लैक फंगस बीमारी के बढ़ते मरीजों की संख्या को देखते हुए प्रदेश सरकार ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है. इंदौर में कई मरीज ऐसे भी सामने आ रहे हैं, जिन्हें कोरोना बीमारी नहीं हुई, लेकिन ब्लैक फंगस बीमारी से ग्रसित हो गए हैं. इंदौर में करीब आठ मरीज ऐसे मिले हैं, जिन्हें कोरोना बीमारी नहीं हुई, लेकिन ब्लैक फंगस की वजह से वह ग्रसित है.

175 ब्लैक फंगस के मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में उपचार हो रहा है.

इंदौर में मिले आठ मरीज
इस पूरे मामले पर एमवॉयएच के डॉक्टर वीपी पांडे का कहना है कि ब्लैक फंगस के जो मरीज आ रहे हैं. उनमें या तो हल्के करोना के लक्षण थे और वो ठीक हो गए हैं. हल्के लक्षणों ने इन मरीजों के इम्यून सिस्टम (Immune System) को प्रभावित किया हो, इस वजह से इस तरह के मरीजों को ब्लैक फंगस होने की संभावना जताई जा रही है.

सामान्य व्यक्ति में भी नजर आ रहे लक्षण
हालांकि अधिकारिक तौर पर अभी शहर में 175 ब्लैक फंगस के मरीजों का अलग-अलग अस्पतालों में उपचार हो रहा है. डॉक्टर पांडे के अनुसार ब्लैक फंगस के लक्षण अगर सामान्य व्यक्ति में भी नजर आ रहे हैं, तो उन्हें नजरअंदाज न करते हुए तुरंत ही डॉक्टर से सलाह लेकर इलाज शुरू कर देना चाहिए.

एक तरह का फफूंद है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस (Black Fungus) का साइंटिफिक (Scientific) नाम म्यूकर माइकोसिस (Muker mycosis) या ब्लैक फंगस है. यह एक फफूंद की तरह होता है. ब्लैक फंगस वातावरण में पाये जाने वाले फफूंद की वजह से होता है. खासकर मिट्टी में इसकी मौजूदगी ज्यादा होती है।

कम प्रतिरोधक क्षमता वालों को होता है फंगस
अधिकतम यह कोरोना (Corona) से संक्रमित हुए मरीजों में होता है. ज्यादातर यह उन मरीजों में होता है, जिन्हें शुगर (Diabetes) की बीमारी हो या फिर उनकी प्रतिरोधक क्षमता (Immunity Power) कम हो. दरअसल ब्लैक फंगस उन्हीं लोगों पर अटैक (Attack) करता है, जिनकी इम्यूनिटी (Immunity) कमजोर होती है. क्योंकि शुगर (Sugar) के मरीज लंबे समय से स्टेरॉइड्स (Steroids) का इस्तेमाल करते हैं. जिसके चलते उनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है. ऐसे में ब्लैक फंगस को शुगर के मरीजों को अपना शिकार बनाना आसान हो जाता है.

इन परिस्थितियों में होता है ब्लैक फंगस

  1. जो कोरोना से संक्रमित हो चुके हों.
  2. जो शुगर बीमारी से ग्रसित हों.
  3. जो लंबे समय से स्टेराइड ले रहे हों.
  4. जिनकी प्रतिरोधक क्षमता कम हो.
  5. जो लंबे समय से ऑक्सीजन पर हों.
  6. जिनका कैंसर का इलाज हो रहा हो.
  7. जिन्होंने शरीर का कोई अंग ट्रांसप्लांट (Transplant) कराया हो.

मस्तिष्क तक पहुंच जाता है ब्लैक फंगस

ब्लैक फंगस शरीर के किसी भी अंग को प्रभावित कर सकता है. शुरुआती चरण में ब्लैक फंगस से न्यूरॉन (Neuron) और ओरोन (Oron) प्रभावित होने लगते हैं. इसके बाद न्यूरॉन और ओरोन में काले रंग का धब्बा आना शुरू हो जाता है. इसके बाद यह इंफेक्शन सांस के द्वारा न्यूरो साइनसिस (Neuro Synesis) में चला जाता है और फिर आंख के चारों तरफ इसके लक्षण पाये जाने लगते हैं. जिससे आंख के चारों ओर काला दाग पड़ने लगता है. इसको सायना आर्बिटल इंफेक्शन (Infection) कहते हैं. यहां से यह इंफेक्शन मस्तिष्क तक पहुंच जाता है. इस अवस्था में यह घातक हो जाता है. ऐसे में मरीज की मृत्यु तक हो जाती है.

ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए करें यह उपाय
ब्लैक फंगस की बीमारी को जितनी जल्दी पहचानेंगे इसका इलाज उतना ही सफल होता है. ब्लैक फंगस की रोकथाम के लिए तीन चीजें बहुत महत्वपूर्ण हैं.

  1. शुगर कंट्रोल में होना चाहिए.
  2. स्टेराइड के इस्तेमाल से बचना चाहिए.
  3. प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना चाहिए.

Black Fungus का बच्चों में भी खतरा, ऐसे करें बचाव

ब्लैक फंगस का इलाज
ब्लैक फंगस बहुत खतरनाक है. इसके इलाज में बहुत सावधानी बरतनी चाहिए. साथ ही सही समय पर सही उपचार करना चाहिए. इस तरह के लक्षण दिखने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए. इसका इलाज दवाइयों से भी हो सकता है. हालांकि कुछ मौकों पर सर्जरी भी करनी पड़ती है. अगर आपको शुगर है और कोरोना से संक्रमित हो गए हैं, तो अपना ब्लड शुगर नियमित तौर पर चेक करते रहें और शुगर की दवाई बिल्कुल संभल कर लें. ब्लैक फंगस के लिए चार से छह हफ्ते तक दवाइयां लेनी पड़ती हैं. हालांकि गंभीर मामलों में तीन-तीन महीने तक इलाज चलता है. ब्लैक फंगस के लिए इंजेक्शन लाइपोसोमल एम्फोटेरेसिन-बी काफी लाभकारी है.

Black Fungus के बाद अब 'White Fungus' का टेंशन, जानिए कैसे करता है अटैक

बच्चों में भी पाया जा रहा ब्लैक फंगस
हाल ही में गुजरात के अहमदाबाद से 13 साल के बच्चे में ब्लैक फंगस का केस सामने आया है. जहां कोविड से ठीक होने के बाद उसमें म्यूकर माइकोसिस के लक्षण पाये गए. बच्चे को अस्पताल में भर्ती किया गया और उसकी सर्जरी की गई. यहां देखने वाली बात यह है कि बच्चे की किसी और वजह से प्रतिरोधक क्षमता कम हो गई हो. इसकी वजह से यह बीमारी उसमें घर कर गई. हालांकि बच्चों में यह बीमारी कम पायी जा रही है.

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