इंदौर। 11 साल पहले आज ही के दिन गौतमपुरा नगर के सात युवक अंधेरी रात चंबल नदी की रलायता पुलिया पार करते हुए बह गए थे. ये वही पुलिया है, जिसमें सात युवकों की जान गई थी. उसके बाद भी यहां कई हादसे हुए और कई होते-होते बचे. उस घटना को 11 साल बीत जाने के बाद भी आज तक हालात जस के तस हैं. कई नेता आए कई अधिकरी गए लेकिन आश्वासन के अलावा पुलिया निर्माण के लिए किसी ने कोई कदम नहीं उठाया है.
11 साल पहले 7 युवकों की हादसों में हुई मौत के बाद कई नेता आए, दुख व्यक्त किया, आश्वासन दिया और फिर भूल गए. 2009 में हुए हादसे को अब 11 साल बीत गए हैं. इतने सालों में कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही पार्टियों ने राज किया लेकिन किसी ने इस पुलिया को बनाने की ओर ध्यान नहीं दिया. 11 सालों में जहां 5 साल कांग्रेस के विधायक सत्यनारायण पटेल वहीं 5 साल बीजेपी के विधायक रहे मनोज पटेल ने भी इस ओर ध्यान नहीं दिया. हाल ही में पिछले डेढ़ साल से कांग्रेस विधायक विशाल पटेल भी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं.
थोड़ी सी बारिश में बंद हो जाता है रास्ता
हर साल थोड़ी सी बारिश में ही पुलिया के पास बाढ़ जैसे हालात बन जाते हैं. पुलिया की ऊंचाई कम होने के कारण बारिश में यह रास्ता बंद हो जाता है. जिस वजह से दो किलोमीटर के सफर के लिए ग्रामीणों को 30 किलोमीटर से ज्यादा का सफर तय करना पड़ता है.
सांसद-नेता सब ने की थी घोषणा
हादसे के बाद 10 साल तक सांसद और 5 साल तक लोक सभा की अध्यक्ष और स्वयं हादसे के बाद हजारों लोगों की उपस्थिति में पुलिया की ऊंचाई की घोषणा के बाद भी सांसद रही सुमित्रा महाजन (ताई ) से भी इस पुलिया को बनाने के लिए कई बार क्षेत्रवासियों ने गुजारिश की, लेकिन हर बार आश्वासन के सिवाय आज तक एक भी ईंट डालने का काम किसी ने नहीं किया. जबकि पुलिया से महज 100 मीटर दूर करोड़ों की लागत से डेम बनने का काम पिछले एक साल से शुरू हो चुका है लेकिन इस पुलिया के उद्धार का काम कोई करने को तैयार नहीं है.
ये हुआ था 17 जुलाई 2009 की देर रात
17 जुलाई 2009 देर रात एक ट्रैक्टर ट्रॉली में गौतमपुरा नगर के 9 युवक रलायता की ओर से गौतमपुरा आ रहे थे. रलायता की चंबल नदी की रपटतम पुलिया के ऊपर से पानी बह रहा था लेकिन देर रात में अंधेरा होने के कारण बहाव की गति का अहसास ड्राइवर को नहीं हुआ और सब के कहने पर उसने ट्रैक्टर-ट्राली पुल पर उतार दी. पुल पर पानी का बहाव इतना तेज था कि कुछ ही देर में ट्रैक्टर-ट्राली नदी में बह गए. इस दौरान दो शख्स. ड्राइवर और एक युवक तो चंबल नदी के बहते पानी तैरतकर बच गए, लेकिन सात लोगों की लाश तीन दिन बाद एक के बाद एक मिलीं, जिस वजह से पूरा शहर शोक की लहर में डूब गया था और तीन दिनों तक नगर बंद रहा. आज भी पुलिया से गुजरते ही यह जख्म एक बार फिर हरा हो जाता है.
युवकों की मौत की घटना के तुरंत बाद शोक प्रकट करने के लिए तत्कालीन सांसद सुमित्रा महाजन, मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, तत्कालीन विधायक सत्यनारायण पटेल, पूर्व विधायक मनोज पटेल समेत कई नेता और कलेक्टर, कमिश्नर गौतमपुरा आए और अपनी संवेदनाऐं व्यक्त की. इसके साथ-साथ मृतक परिवारों और लोगों को आश्वासन दिया कि वे उस पुल को ऊंचा करवाएंगे, जिससे फिर कभी ऐसी घटना नहीं होगी. लेकिन आश्वासन के 11 साल बीत जाने के बाद भी वहां एक ईंट भी नहीं लगी बल्कि हालात बद से बद्तर हो गए.
बारिश के दिनों में ज्यादातर समय यह मंदिर बंद रहता है, जबकि आवगमन के लिए यह मार्ग बहुत जरूरी है. गौतमपुरा समेत क्षेत्र के 60 गावों के लिए महत्वपूर्ण ये पुलिया बड़नगर, बदनवार, रतलाम, रुणीजा, खाचरोद, झाबुआ, पेटलावद आदि शहरों के मार्ग को जोड़ती है, जिस पर रोजाना सैकड़ों वाहन की आवाजाही दिन-रात लगी रहती है, लेकिन बारिश के दिनों में यह पुलिया खतरे से खाली नहीं है.