इंदौर। कोरोना संक्रमण को लेकर किए जा रहे इंतजामों और राजनीतिक बयानबाजी के बीच आखिरकार राज्य शासन ने स्वीकार कर लिया है कि, प्रदेश में कोरोना ने फरवरी में ही दस्तक दे दी थी. संक्रमण को समय रहते डिटेक्ट नहीं किया जा सका. जिसके परिणाम स्वरूप इंदौर और भोपाल जैसे महानगरों में संक्रमण तेजी से फैल गया.
कोरोना की समीक्षा बैठक के बाद एसीएस मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि, कोरोना के डिटेक्शन में देरी भी व्यापक संक्रमण की वजह बनी. इंदौर में कोरोना के इलाज के लिए तैयार किए जा रहे सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल के दौरे और संबंधित विभागों के प्रमुखों से चर्चा के बाद एसीएस मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि, संक्रमण के साथ ही जिला स्तर पर कोरोना से निपटने के व्यापक इंतजाम किए गए हैं. उन्होंने बताया कि, मार्च के पहले हफ्ते तक प्रतिदिन जहां 60 टेस्ट कर पा रहे थे, अब ये संख्या बढ़कर करीब 6121 टेस्ट प्रतिदिन पहुंच गई है.
उन्होंने बताया कि, कोरोना टेस्टिंग की संख्या जल्द ही 15000 तक पहुंच जाएगी. इसके व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं. इंदौर में भी रोजाना 1423 टेस्ट हो सकेंगे. इसके लिए 8.3 करोड़ की लागत से मॉडर्न टेस्टिंग मशीन खरीदी जा रही है. जिसका डिलीवरी प्वाइंट इंदौर होगा.
ये देश की पहली मशीन होगी, जिसके जरिए इतनी बड़ी संख्या में कोरोना संक्रमित मरीजों की टेस्टिंग की जा सकेगी. साथ ही मोहम्मद सुलेमान ने कहा कि, लोगों को सतर्क रहने की जरूरत है. आम लोग सोशल डिस्टेंसिंग और सभी सुरक्षा उपायों के साथ संक्रमण का ध्यान रखें. उन्होंने आशंका जताई है कि, मानसून सीजन में संक्रमण और तेजी से फैल सकता है.