इंदौर। कोरोना वायरस की तरह ही ब्लैक फंगस यानी म्यूकर माईकोसिस अब लगातार अपना भयावह रूप दिखा रही है. लिहाजा डॉक्टरों को भी इस बीमारी पर नियंत्रण के लिए इलाज के नए विकल्प तलाशने पड़ रहे हैं. इस बीच इंदौर में हुई एक रिसर्च में पता चला है कि ब्लैक फंगस का संक्रमण उन मरीजों को हो रहा है जिनको ना तो कभी स्ट्राइड दिया गया है न ही ऑक्सीजन लगाई गई है. यहां भर्ती कुल 210 मरीजों में से कई मरीज ऐसे हैं लिहाजा इस संक्रमण से जुड़ी एक रिसर्च एमजीएम मेडिकल कॉलेज में संभाग आयुक्त को सौंपी है.
ब्लैक फंगस उपचार की चुनौती
ब्लैक फंगस को लेकर व्याप्त उपचार की चुनौतियों के बीच जब यह पता चला कि यह बीमारी ऐसे लोगों को भी हो रही है. जिन्हें या तो ऑक्सीजन लगाई नहीं है या जिन्हें संक्रमण के दौरान स्ट्राइड नहीं दिया गया है. हालांकि अब तक यही माना जाता था कि यह बीमारी मुख्य तौर पर इन्हीं दो कारणों से होती है लेकिन जब एमवाय अस्पताल में भर्ती मरीजों को हुए संक्रमण की स्थिति डॉक्टरों ने जानी तो पता चला कि इन दोनों कारणों के अलावा भी अन्य कारणों से यह संक्रमण फैल रहा है.
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शुगर से खतरे की संभावना
इस आशय को लेकर जो रिपोर्ट तैयार की गई है. उसमें अस्पताल में भर्ती 210 मरीजों के ऊपर हुए रिसर्च में पाया गया कि 44 परसेंट मरीज ऐसे हैं, जिन्हें संक्रमण के बावजूद ऑक्सीजन लगा ही नहीं है लेकिन बाद में उन्हें ब्लैक फंगस हो गया है. इसके अलावा 29 मरीज ऐसे थे, जिन्हें संक्रमण के बावजूद स्ट्राइड नहीं दिया गया था. रिसर्च में यह बात स्पष्ट हो सकी है कि सभी मरीजों को शुगर की बीमारी थी. इसके अलावा अन्य अलग अलग कोई और बीमारी भी थी.
एमजीएम मेडिकल कॉलेज
इस मामले में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. बीपी पांडे ने बताया ब्लैक फंगस होने की वजह स्ट्राइड ऑक्सीजन और अत्यधिक मात्रा में दी गई. एंटीबायोटिक दवाइयों के अलावा भी हो सकती हैं, हालांकि जिन मरीजों में यह बीमारी पाई गई है. उन सभी में शुगर वाला लक्षण समान है. इसलिए मरीजों को सलाह दी जा रही है कि संक्रमण के बावजूद भी वे अपना शुगर लेवल नियंत्रित रखें. जिससे कि उन्हें ब्लैक फंगस की बीमारी से बचाया जा सके.