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हॉकी के साथ जीता विवेक का संघर्ष, 1 करोड़ के इनाम से माता-पिता के लिए बनवाएंगे पक्का घर, टीन शेड में रहता है परिवार - mp government will give 1 crore to vivek sagar

टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय टीम का हिस्सा रहे होशंगाबाद के विवेक सागर को मध्य प्रदेश सरकार 1 करोड़ की राशि इनाम में देने वाली है. इन पैसों से विवेक अपने परिवार के लिए एक पक्का घर बनाएंगे.

1 करोड़ के इनाम से माता-पिता के लिए बनवाएंगे पक्का घर
1 करोड़ के इनाम से माता-पिता के लिए बनवाएंगे पक्का घर
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Published : Aug 7, 2021, 3:44 PM IST

हैदराबाद। भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है. इसी भारतीय टीम का हिस्सा था मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के रहने वाले विवेक सागर. मध्य प्रदेश सरकार ने भारतीय हॉकी टीम के पदक जीतने पर विवेक सागर को 1 करोड़ रुपए की इनाम राशि देने की घोषणा की है. विवेक उनके माता-पिता और भाई इससे काफी खुश है.

इनाम की राशि से बनाएंगे पक्का घर

इस इनाम राशि से विवेक का सपना अपने परिवार के लिए पक्का घर बनाना है. विवेक के भाई ने बताया कि इनाम राशि मिलने से विवेक काफी खुश हैं. वे होशंगाबाद आकर अपने परिवार के लिए एक पक्का घर बनाना चाहते हैं. कोई महंगी कार खरीदने का या बड़े शहरों में घर खरीदने का उनका कोई इरादा नहीं है. विवेक के भाई ने बताया कि अभी वे जिस घर में रहते हैं, वो टीन से बना मकान है.

पहली बार मिलेगी इतनी बड़ी राशि

विवेक का परिवार होशंगाबाद में रहता है, उनका घर टीन शेड का विवेक इसी गांव में अपने परिवार के लिए एक अच्छा घर बनाना चाहते हैं. वैसे विवेक हॉकी के कई टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुके हैं, कई बार उन्हें अवॉर्ड और इनाम मिले हैं, लेकिन पहली बार उन्हें इनाम के तौर पर इतनी बड़ी राशि मिलने वाली है. विवेक टोक्यो से लौटकर भारत आएंगे फिर मध्य प्रदेश आकर इस इनाम को लेंगे.

जब जूनियर वर्ल्ड कप में जाने का सपना टूटा

विवेक जब पहल इंडिया कैंप सेलेक्ट होकर आया था, तो प्रैक्टिस करते समय उसकी कॉलर बोन टूट गई थी. कॉलर बोन टूटने के कारण जूनियर वर्ल्ड कप में खेलने का उसका सपना टूट गया. इस दौरान दवा की अधिकता से विवेक के पेट की आंतों में छेद हो गया. जिससे उसका पूरा खाना पेट में निकलकर आने लगा था, जिसके कारण पेट में बहुत दर्द बना रहने लगा. एकेडमी से संबंधित डॉक्टर ने हमें बताया कि विवेक की कंडीशन बहुत खराब है. हो सकता है ऑपरेशन करना पड़े.

19 दिनों तक ग्लूकोस और दवाओं पर जिंदा था विवेक

डॉक्टर ने बताया पहले दवाएं देकर देखते है, हो सका तो उससे ठीक हो जाए. 18 से 19 दिनों तक विवेक बिना खाना खाए रहा. उसे सिर्फ ग्लूकोस और दवाओं पर जिंदा रखा गया था. वह सिर्फ बेड पर ही लेटा रहता था. अशोक ध्यानचंद सर सुबह शाम उससे मिलने आते थे. विवेक की पॉजिटिव एनर्जी से ही वह रिकवर हुआ और उसने उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.

टूटी हॉकी से प्रैक्टिस करता था विवेक

यह सब होने के 3 से 4 माह बाद ही विवेक इंडिया टीम कैंप में सेलेक्ट हुआ. विवेक के टैलेंट के कारण ही वह दूसरी बार इंडियन टीम कैंप में सिलेक्ट हुआ और कैप्टन के रूप में जूनियर खेला. विवेक ने टूटी फूटी हॉकी से ही खेल की शुरुआत की. हॉकी का ग्राउंड भी उबड़ खाबड़ रहता था. यहां के लोगों ने उसके लिए ग्राउंड बना दिया. परिवार की स्थिति आर्थिक रूप से ठीक नहीं थी. विवेक ने जूते भी सीनियर खिलाड़ियों से उधार लेकर पहने थे. विवेक बड़े जूते कपड़ा फंसाकर पहनता था.

सागर के संघर्ष की कहानी: टूटी हॉकी से प्रैक्टिस कर भारत को दिलाया कांस्य पदक

विवेक के नाम कई अवॉर्ड्स

विवेक सागर इंडियन जूनियर हॉकी टीम की कप्तानी कर चुके हैं. 2019 में 'हॉकी स्टार्स अवार्ड्स' में विवेक को 'राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर' के खिताब से भी नवाजा जा चुका है. हौसले और अपने लक्ष्य को पाने की ललक ने उन्हें भारतीय हॉकी की राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में मदद की. विवेक हॉकी की ओलंपिक टीम में चुने जाने से पहले कई बड़ी प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं.

विवेक सागर की उपलब्धियां

साल 2018 में फोर नेशंस टूर्नामेंट, कॉमनवेल्थ गेम्स, चैम्पियन्स ट्रॉफी, यूथ ओलम्पिक, न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज, एशियन गेम्स और साल 2019 में अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट और आस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं. विवेक सागर को 'यूथ-ओलम्पिक' में 'बेस्ट-स्कोरर' और 'फाइनल सीरीज भुवनेश्वर' में 'बेस्ट जूनियर प्लेयर अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है. एशियाड 2018 में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाली भारतीय टीम में शामिल मिडफिल्डर हॉकी खिलाड़ी विवेक अब तक 62 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं.

हैदराबाद। भारतीय हॉकी टीम ने टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीता है. इसी भारतीय टीम का हिस्सा था मध्य प्रदेश के होशंगाबाद के रहने वाले विवेक सागर. मध्य प्रदेश सरकार ने भारतीय हॉकी टीम के पदक जीतने पर विवेक सागर को 1 करोड़ रुपए की इनाम राशि देने की घोषणा की है. विवेक उनके माता-पिता और भाई इससे काफी खुश है.

इनाम की राशि से बनाएंगे पक्का घर

इस इनाम राशि से विवेक का सपना अपने परिवार के लिए पक्का घर बनाना है. विवेक के भाई ने बताया कि इनाम राशि मिलने से विवेक काफी खुश हैं. वे होशंगाबाद आकर अपने परिवार के लिए एक पक्का घर बनाना चाहते हैं. कोई महंगी कार खरीदने का या बड़े शहरों में घर खरीदने का उनका कोई इरादा नहीं है. विवेक के भाई ने बताया कि अभी वे जिस घर में रहते हैं, वो टीन से बना मकान है.

पहली बार मिलेगी इतनी बड़ी राशि

विवेक का परिवार होशंगाबाद में रहता है, उनका घर टीन शेड का विवेक इसी गांव में अपने परिवार के लिए एक अच्छा घर बनाना चाहते हैं. वैसे विवेक हॉकी के कई टूर्नामेंट में हिस्सा ले चुके हैं, कई बार उन्हें अवॉर्ड और इनाम मिले हैं, लेकिन पहली बार उन्हें इनाम के तौर पर इतनी बड़ी राशि मिलने वाली है. विवेक टोक्यो से लौटकर भारत आएंगे फिर मध्य प्रदेश आकर इस इनाम को लेंगे.

जब जूनियर वर्ल्ड कप में जाने का सपना टूटा

विवेक जब पहल इंडिया कैंप सेलेक्ट होकर आया था, तो प्रैक्टिस करते समय उसकी कॉलर बोन टूट गई थी. कॉलर बोन टूटने के कारण जूनियर वर्ल्ड कप में खेलने का उसका सपना टूट गया. इस दौरान दवा की अधिकता से विवेक के पेट की आंतों में छेद हो गया. जिससे उसका पूरा खाना पेट में निकलकर आने लगा था, जिसके कारण पेट में बहुत दर्द बना रहने लगा. एकेडमी से संबंधित डॉक्टर ने हमें बताया कि विवेक की कंडीशन बहुत खराब है. हो सकता है ऑपरेशन करना पड़े.

19 दिनों तक ग्लूकोस और दवाओं पर जिंदा था विवेक

डॉक्टर ने बताया पहले दवाएं देकर देखते है, हो सका तो उससे ठीक हो जाए. 18 से 19 दिनों तक विवेक बिना खाना खाए रहा. उसे सिर्फ ग्लूकोस और दवाओं पर जिंदा रखा गया था. वह सिर्फ बेड पर ही लेटा रहता था. अशोक ध्यानचंद सर सुबह शाम उससे मिलने आते थे. विवेक की पॉजिटिव एनर्जी से ही वह रिकवर हुआ और उसने उसके बाद पीछे मुड़कर नहीं देखा.

टूटी हॉकी से प्रैक्टिस करता था विवेक

यह सब होने के 3 से 4 माह बाद ही विवेक इंडिया टीम कैंप में सेलेक्ट हुआ. विवेक के टैलेंट के कारण ही वह दूसरी बार इंडियन टीम कैंप में सिलेक्ट हुआ और कैप्टन के रूप में जूनियर खेला. विवेक ने टूटी फूटी हॉकी से ही खेल की शुरुआत की. हॉकी का ग्राउंड भी उबड़ खाबड़ रहता था. यहां के लोगों ने उसके लिए ग्राउंड बना दिया. परिवार की स्थिति आर्थिक रूप से ठीक नहीं थी. विवेक ने जूते भी सीनियर खिलाड़ियों से उधार लेकर पहने थे. विवेक बड़े जूते कपड़ा फंसाकर पहनता था.

सागर के संघर्ष की कहानी: टूटी हॉकी से प्रैक्टिस कर भारत को दिलाया कांस्य पदक

विवेक के नाम कई अवॉर्ड्स

विवेक सागर इंडियन जूनियर हॉकी टीम की कप्तानी कर चुके हैं. 2019 में 'हॉकी स्टार्स अवार्ड्स' में विवेक को 'राइजिंग स्टार ऑफ द ईयर' के खिताब से भी नवाजा जा चुका है. हौसले और अपने लक्ष्य को पाने की ललक ने उन्हें भारतीय हॉकी की राष्ट्रीय टीम में जगह दिलाने में मदद की. विवेक हॉकी की ओलंपिक टीम में चुने जाने से पहले कई बड़ी प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं.

विवेक सागर की उपलब्धियां

साल 2018 में फोर नेशंस टूर्नामेंट, कॉमनवेल्थ गेम्स, चैम्पियन्स ट्रॉफी, यूथ ओलम्पिक, न्यूजीलैंड टेस्ट सीरीज, एशियन गेम्स और साल 2019 में अजलान शाह हॉकी टूर्नामेंट और आस्ट्रेलिया टेस्ट सीरीज जैसी अंतर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भारतीय टीम का हिस्सा रह चुके हैं. विवेक सागर को 'यूथ-ओलम्पिक' में 'बेस्ट-स्कोरर' और 'फाइनल सीरीज भुवनेश्वर' में 'बेस्ट जूनियर प्लेयर अवॉर्ड' से भी सम्मानित किया जा चुका है. एशियाड 2018 में भारत को कांस्य पदक दिलाने वाली भारतीय टीम में शामिल मिडफिल्डर हॉकी खिलाड़ी विवेक अब तक 62 से ज्यादा अंतर्राष्ट्रीय मैच खेल चुके हैं.

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