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गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी इन दो संतों की दोस्ती...

होशंगाबाद में दोस्ती का एक उदाहरण गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी रामजी बाबा और गौरी शाह के सूफी संत की समाधि है. यहां एक हिन्दू संत के समाधि स्थल से लाकर दूसरे मुस्लिम संत के मजार पर चादर पेश की जाती है.

Example of Ganga-Jamuni Tehzeeb
गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल
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Published : Feb 10, 2020, 7:50 PM IST

Updated : Feb 10, 2020, 10:09 PM IST

होशंगाबाद। मित्रता ऐसी करो की जीवनभर याद रहे, दोस्ती के हजारों किस्से आपने सुने होंगे, ऐसा ही दोस्ती का एक उदाहरण गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी होशंगाबाद की रामजी बाबा और गौरी शाह के सूफी संत की समाधि है. जहां एक हिन्दू संत के समाधि स्थल से लाकर दूसरे मुस्लिम संत के मजार पर चादर पेश की जाती है. कहा जाता है दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती थी, जिसके कई किस्से आज भी यहां मौजूद हैं.

गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल बनी संतों की दोस्ती


यहां करीब 300 साल से रामजी बाबा की समाधि स्थल से चादर ले जाकर गौरीशाह के मजार पर चढ़ाई जा रही है. जिसके बाद ही यहां लगने वाले रामजी बाबा मेले का शुभारंभ किया जाता है. रामजी बाबा का सिद्ध स्थल समाधि की तरह दिखाई देता है और उनके मित्र गौरीशाह की मजार मंदिर नुमा दिखाई देती है.


मंदिर के महंत श्यामदास जिनकी कई पीढ़ियां यहां सेवा करती आई हैं. उन्होंने बताया कि दोस्ती के कई किस्से प्रसिद्ध हैं, जिसमें कहा जाता है कि रामजी बाबा के समाधि स्थल पर ही नमाज पढ़ी जा सकती है और वहीं गौरी शाह के मजार पर भजन किया जा सकता है. साथ ही कहा जाता है कि जब रामजी बाबा के समाधि स्थल पर कई सालों पहले छतरी चढ़ाई जा रही थी, तो उसमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. समाधि पर छतरी लगाने में काफी समस्याएं आ रहीं थीं.


इसके बाद मंदिर के महंत के सपने में रामजी बाबा ने आकर गौरी शाह की मजार से पत्थरों को लाने को कहा, तब वहां से पत्थर लाया गया और आसानी से छतरी समाधि पर स्थापित की जा सकी.


अंग्रेजों को बदलनी पड़ी थी रेलवे लाइन की दिशा
19वीं शताब्दी में होशंगाबाद में अंग्रेजों के शासन काल में रेलवे लाइन का सर्वे हुआ और राम जी बाबा की समाधि स्थल के पास से रेलवे लाइन डालने का निर्णय अंग्रेजों ने लिया. लोगों ने उसका विरोध किया, जैसे ही समाधि स्थल पर निर्माण कार्य शुरू किया गया, लेकिन खूब कोशिश करने पर भी निर्माण नहीं हो सका. जिसके बाद अंग्रेजों को रेलवे लाइन की दिशा बदलनी पड़ी. फिर समाधि क्षेत्र संरक्षित स्थान घोषित किया गया.

होशंगाबाद। मित्रता ऐसी करो की जीवनभर याद रहे, दोस्ती के हजारों किस्से आपने सुने होंगे, ऐसा ही दोस्ती का एक उदाहरण गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल बनी होशंगाबाद की रामजी बाबा और गौरी शाह के सूफी संत की समाधि है. जहां एक हिन्दू संत के समाधि स्थल से लाकर दूसरे मुस्लिम संत के मजार पर चादर पेश की जाती है. कहा जाता है दोनों के बीच काफी अच्छी दोस्ती थी, जिसके कई किस्से आज भी यहां मौजूद हैं.

गंगा-जमुनी तहजीब की मिशाल बनी संतों की दोस्ती


यहां करीब 300 साल से रामजी बाबा की समाधि स्थल से चादर ले जाकर गौरीशाह के मजार पर चढ़ाई जा रही है. जिसके बाद ही यहां लगने वाले रामजी बाबा मेले का शुभारंभ किया जाता है. रामजी बाबा का सिद्ध स्थल समाधि की तरह दिखाई देता है और उनके मित्र गौरीशाह की मजार मंदिर नुमा दिखाई देती है.


मंदिर के महंत श्यामदास जिनकी कई पीढ़ियां यहां सेवा करती आई हैं. उन्होंने बताया कि दोस्ती के कई किस्से प्रसिद्ध हैं, जिसमें कहा जाता है कि रामजी बाबा के समाधि स्थल पर ही नमाज पढ़ी जा सकती है और वहीं गौरी शाह के मजार पर भजन किया जा सकता है. साथ ही कहा जाता है कि जब रामजी बाबा के समाधि स्थल पर कई सालों पहले छतरी चढ़ाई जा रही थी, तो उसमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था. समाधि पर छतरी लगाने में काफी समस्याएं आ रहीं थीं.


इसके बाद मंदिर के महंत के सपने में रामजी बाबा ने आकर गौरी शाह की मजार से पत्थरों को लाने को कहा, तब वहां से पत्थर लाया गया और आसानी से छतरी समाधि पर स्थापित की जा सकी.


अंग्रेजों को बदलनी पड़ी थी रेलवे लाइन की दिशा
19वीं शताब्दी में होशंगाबाद में अंग्रेजों के शासन काल में रेलवे लाइन का सर्वे हुआ और राम जी बाबा की समाधि स्थल के पास से रेलवे लाइन डालने का निर्णय अंग्रेजों ने लिया. लोगों ने उसका विरोध किया, जैसे ही समाधि स्थल पर निर्माण कार्य शुरू किया गया, लेकिन खूब कोशिश करने पर भी निर्माण नहीं हो सका. जिसके बाद अंग्रेजों को रेलवे लाइन की दिशा बदलनी पड़ी. फिर समाधि क्षेत्र संरक्षित स्थान घोषित किया गया.

Intro:होशंगाबाद। मित्रता ऐसी करो की जीवनभर याद रहे है
दोस्ती के हजारो किस्से सुने होंगे है लेकिन एक ऐसी मित्राता जो आज के हालातों मे एक बाजिब उदाहरण प्रतुस्त कर रही है । गंगा युमना तहजीब का एक हजारों साल से उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत करता होशंगाबाद की रामजी बाबा ओर गौरीशाह का सूफी संतो की समाधी स्थल। जहाँ एक हिन्दू संत के समाधी स्थल से लाकर दुसरे मुस्लिम संत के मजार पर चादर पेश की जाती है । कहा जाता है दोनो की अलग सम्पादय के सन्त मित्र थे और जिनकी दोस्ती के कई किस्से आज भी मौजूद है यहां करीब 300 साल से रामजी बाबा की समाधि स्थल से चादर ले जाकर गौरीशाह के मजार पर चढाई जा रही है जिसके बाद ही यहां लगने वाले रामजी बाबा मैले का शुभारंभ किया जाता है । रामजी बाबा का सिद्ध स्थल समाधिए की तरह दिखाई देता है । ओर उनके मित्र गौरीशाह की मजार मंदिर नुमा दिखाई देती है । मंदिर के महंत श्यामदास जिनकी कई पीढ़िया यहां सेवा करती आई है उन्होंने बताया दोस्ती के कई किस्से प्रसिद्ध है जिसमें कहा जाता है कि रामजी बाबा के समाधि स्थल पर ही नमाज पड़ी जा सकती है और वही गौरी शाह के मजार पर भजन किया जा सकता है कहा जाता है कि जब रामजी बाबा के समाधि स्थल पर कई सालों पहले छतरी चढ़ाई जा रही थी तो उसमें कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था लेकिन छतरी था लेकिन छतरी स्थापित नहीं हो पा रही थी जब मंदिर के महंत के सपने में रामजी बाबा ने आकर कहा कि गौरी शाह की मजार से पत्थरों को को लाने को कहा गया तब वहां से पत्थर लाया गया और गया और आसानी से छतरी समाधि पर स्थापित की जा सकी । वही कहा जाता है कि एक बार ऐसे ही संत शिरोमणि रामजी बाबा नर्मदा जी को पारकर पैदल ही पानी पर से जाया करते थे सूफी संत भी नर्मदा जी पर रुक गए और बाबा सूफी गौरी शाह बाबा को आत्मज्ञान बताया साथ ही चादर पर बिठाकर उन्हें नर्मदा जी पार कर आए। ऐसी कई किस्से और कहानियां दोस्तों की यहां पर दोनों ही संत की प्रसिद्ध है की प्रसिद्ध है ।
Body:छहConclusion:अंग्रेजों को बदलनी पड़ी पड़ी थी रेलवे लाइन की दिशा

19वीं शताब्दी में होशंगाबाद में अंग्रेजों के शासन काल काल में रेलवे लाइन के सर्वे हुआ और राम जी बाबा की समाधि स्थल के पास से स्थल बाबा की समाधि स्थल के पास से जी बाबा की समाधि स्थल के पास से स्थल बाबा की समाधि स्थल के पास से रेलवे लाइन डालने का निर्णय अंग्रेजों ने लिया इन लोगों ने उसका विरोध किया जैसे ही समाधि समाधि स्थल पर निर्माण काल शुरू किया गया लेकिन निर्माण नहीं हो सका जिसके बाद अंग्रेजों को रेलवे लाइन की दिशा बदलनी पड़ी फिर समाधि क्षेत्र संरक्षित स्थान घोषित किया गया

Last Updated : Feb 10, 2020, 10:09 PM IST
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