होशंगाबाद। मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था की तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती हैं. लेकिन जिले में केसला ब्लॉक अंतर्गत एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जहां एक शिक्षक ने मिसाल कायम करते हुए छात्रों के लिए अपने वेतन में कटौती करके विज्ञान की आधुनिक प्रयोगशाला बनाई है. जिसे देखकर दूसरों को प्रेरणा मिल रही है.
सैलरी के पैसों से बनाई आधुनिक प्रयोगशाला
जिले के केसला ब्लॉक में एक सरकारी उत्कृष्ट स्कूल के शिक्षक राजेश पाराशर ने खुद अपने वेतन में कटौती कर छात्रों के लिए करीब एक लाख रूपए खर्च करके खगोल विज्ञान की आधुनिक प्रयोगशाला बनाई है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण इस प्रयोगशाला को अलय विज्ञान सिखाऊ नाम दिया गया है. जिसका कोरकू बोली में 'हमें विज्ञान सीखना' अर्थ होता है. शिक्षक राजेश पाराशर ने आदिवासी छात्र-छात्राओं को सरल तरीके से समझाने के लिए विज्ञान विषय के प्रयोगों के आधार पर बनाई है. प्रयोगशाला बनाने का उद्देश्य छात्रों के मन से विज्ञान के प्रति डर को दूर भगाना है. शिक्षक राजेश पाराशर की इस सराहनीय पहल से स्कूल के बच्चे भी बहुत खुश है. साथ ही प्रयोगशाला से क्षेत्र के छात्र-छात्राओं में विज्ञान को लेकर रूचि बढ़ी है.
शिक्षक की पहल बनी प्रेरणा
सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था और लापरवाही अक्सर सुर्खियों में रहती है. लेकिन आदिवासी क्षेत्र का यह स्कूल पूरे जिले के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. वहीं स्कूल के शिक्षक राजेश पराशर ने वो करके दिखाया जो अगर कोई शिक्षक ठांन ले तो सरकारी स्कूलों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदली जा सकती है. शिक्षक की एक कोशिश ने आदिवासी छात्र-छात्राओं के ना सिर्फ पढ़ने का तरीका बदला है बल्कि विज्ञान के प्रति उनका नजरिया भी बदल दिया है. वहीं शिक्षक की इस पहल की सराहना स्कूल के प्राचार्य भी करने से नहीं चूक रहे हैं.