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शिक्षक ने सैलरी के पैसों से छात्रों के लिए बनाई आधुनिक प्रयोगशाला, देखें खबर

होशंगाबाद के केसला ब्लॉक में शिक्षक ने मिसाल कायम करते हुए सरकारी उत्कृष्ट स्कूल में आधुनिक प्रयोगशाला बनाई है. यह प्रयोगशाला शिक्षक ने अपने वेतन में कटौती कर छात्रों के लिए करीब एक लाख रूपए खर्च करके बनाई है.

शिक्षक ने वेतन से कटौती कर बना दी आधुनिक प्रयोगशाला
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Published : Oct 1, 2019, 10:13 AM IST

Updated : Oct 1, 2019, 11:11 AM IST

होशंगाबाद। मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था की तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती हैं. लेकिन जिले में केसला ब्लॉक अंतर्गत एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जहां एक शिक्षक ने मिसाल कायम करते हुए छात्रों के लिए अपने वेतन में कटौती करके विज्ञान की आधुनिक प्रयोगशाला बनाई है. जिसे देखकर दूसरों को प्रेरणा मिल रही है.

शिक्षक ने वेतन से कटौती कर बना दी आधुनिक प्रयोगशाला

सैलरी के पैसों से बनाई आधुनिक प्रयोगशाला

जिले के केसला ब्लॉक में एक सरकारी उत्कृष्ट स्कूल के शिक्षक राजेश पाराशर ने खुद अपने वेतन में कटौती कर छात्रों के लिए करीब एक लाख रूपए खर्च करके खगोल विज्ञान की आधुनिक प्रयोगशाला बनाई है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण इस प्रयोगशाला को अलय विज्ञान सिखाऊ नाम दिया गया है. जिसका कोरकू बोली में 'हमें विज्ञान सीखना' अर्थ होता है. शिक्षक राजेश पाराशर ने आदिवासी छात्र-छात्राओं को सरल तरीके से समझाने के लिए विज्ञान विषय के प्रयोगों के आधार पर बनाई है. प्रयोगशाला बनाने का उद्देश्य छात्रों के मन से विज्ञान के प्रति डर को दूर भगाना है. शिक्षक राजेश पाराशर की इस सराहनीय पहल से स्कूल के बच्चे भी बहुत खुश है. साथ ही प्रयोगशाला से क्षेत्र के छात्र-छात्राओं में विज्ञान को लेकर रूचि बढ़ी है.

शिक्षक की पहल बनी प्रेरणा

सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था और लापरवाही अक्सर सुर्खियों में रहती है. लेकिन आदिवासी क्षेत्र का यह स्कूल पूरे जिले के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. वहीं स्कूल के शिक्षक राजेश पराशर ने वो करके दिखाया जो अगर कोई शिक्षक ठांन ले तो सरकारी स्कूलों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदली जा सकती है. शिक्षक की एक कोशिश ने आदिवासी छात्र-छात्राओं के ना सिर्फ पढ़ने का तरीका बदला है बल्कि विज्ञान के प्रति उनका नजरिया भी बदल दिया है. वहीं शिक्षक की इस पहल की सराहना स्कूल के प्राचार्य भी करने से नहीं चूक रहे हैं.

होशंगाबाद। मध्यप्रदेश में सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था की तस्वीरें अक्सर सामने आती रहती हैं. लेकिन जिले में केसला ब्लॉक अंतर्गत एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जहां एक शिक्षक ने मिसाल कायम करते हुए छात्रों के लिए अपने वेतन में कटौती करके विज्ञान की आधुनिक प्रयोगशाला बनाई है. जिसे देखकर दूसरों को प्रेरणा मिल रही है.

शिक्षक ने वेतन से कटौती कर बना दी आधुनिक प्रयोगशाला

सैलरी के पैसों से बनाई आधुनिक प्रयोगशाला

जिले के केसला ब्लॉक में एक सरकारी उत्कृष्ट स्कूल के शिक्षक राजेश पाराशर ने खुद अपने वेतन में कटौती कर छात्रों के लिए करीब एक लाख रूपए खर्च करके खगोल विज्ञान की आधुनिक प्रयोगशाला बनाई है. आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण इस प्रयोगशाला को अलय विज्ञान सिखाऊ नाम दिया गया है. जिसका कोरकू बोली में 'हमें विज्ञान सीखना' अर्थ होता है. शिक्षक राजेश पाराशर ने आदिवासी छात्र-छात्राओं को सरल तरीके से समझाने के लिए विज्ञान विषय के प्रयोगों के आधार पर बनाई है. प्रयोगशाला बनाने का उद्देश्य छात्रों के मन से विज्ञान के प्रति डर को दूर भगाना है. शिक्षक राजेश पाराशर की इस सराहनीय पहल से स्कूल के बच्चे भी बहुत खुश है. साथ ही प्रयोगशाला से क्षेत्र के छात्र-छात्राओं में विज्ञान को लेकर रूचि बढ़ी है.

शिक्षक की पहल बनी प्रेरणा

सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था और लापरवाही अक्सर सुर्खियों में रहती है. लेकिन आदिवासी क्षेत्र का यह स्कूल पूरे जिले के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं है. वहीं स्कूल के शिक्षक राजेश पराशर ने वो करके दिखाया जो अगर कोई शिक्षक ठांन ले तो सरकारी स्कूलों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदली जा सकती है. शिक्षक की एक कोशिश ने आदिवासी छात्र-छात्राओं के ना सिर्फ पढ़ने का तरीका बदला है बल्कि विज्ञान के प्रति उनका नजरिया भी बदल दिया है. वहीं शिक्षक की इस पहल की सराहना स्कूल के प्राचार्य भी करने से नहीं चूक रहे हैं.

Intro:होशंगाबाद - प्रदेश में सरकारी स्कूलों की बदहाली की तस्वीर अक्सर अपने देखी होगी। लेकिन मध्यप्रदेश के होशंगाबाद जिले में केसला ब्लॉक अंतर्गत एक सरकारी स्कूल ऐसा भी है जहां के शिक्षक ने छात्रों के लिए वो कर दिखाया हे जिसे देखकर दूसरो को प्रेरणा मिल रही हे। दरअसल शिक्षक राजेश पाराशर ने मिसाल कायम करते हुए खुद अपने वेतन के पैसे में कटौती कर करीब एक लाख रूपए खर्च कर खगोल विज्ञान की आधुनिक प्रयोगशाला बनाई हे। आदिवासी बाहुल्य होने के कारण इस प्रयोगशाला  को अलय विज्ञान सिखाऊ नाम दिया गया है। जिसका कोरकू भाषा में अर्थ होता हे हमें विज्ञान सीखना हे। 
Body:आदिवासी छात्र-छात्राएं विज्ञान को अच्छे से समझ सके इसके लिए जिले  के आदिवासी ब्लॉक केसला के सरकारी उत्कृष्ट स्कूल में विज्ञान विषय के प्रयोगों के आधार पर समझाने के लिए यह प्रयोग शाला शिक्षक द्वारा बनाई गयी हे। जिससे बच्चो का विज्ञान के प्रति मन से डर को दूर किया जा सके। शिक्षक राजेश पाराशर की इस सराहनीय पहल से स्कूल के बच्चे भी बहुत खुश है। वही शिक्षक की इस पहल के चलते इलाके के छात्र-छात्राओं में विज्ञान को लेकर रूचि बढ़ी हे। वही शिक्षक की इस पहल की सराहना स्कूल के प्राचार्य भी करने से नहीं चूक रहे हे। 
Conclusion:सरकारी स्कूल बदइंतजामी और लापरवाही को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहते हे। लेकिन आदिवासी अंचल का ये स्कूल पूरे जिले के लिए किसी प्रेरणा से कम नहीं हे। वही स्कूल के शिक्षक राजेश पराशर ने यह कर दिखाया हे की अगर शिक्षक ठान ले तो सरकारी स्कूलों की तस्वीर और तकदीर दोनों बदली जा सकती हे।  इस शिक्षक की एक कोशिश ने ना सिर्फ पढ़ने का तरीका बदला है बल्कि विज्ञान के प्रति छात्र-छात्राओं का नजरिया भी बदल दिया है। 

बाइट-राजेश पाराशर-शिक्षक। 
Last Updated : Oct 1, 2019, 11:11 AM IST
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