होशंगाबाद। "एमपी अजब है, सबसे गजब है, एक नहीं दो नहीं सैकड़ों यहां शेर हैं." मध्यप्रदेश टूरिजम का यह गाना सतपुड़ा टाइगर रिजर्व (Satpura Tiger Reserve) पर बिल्कुल सटीक बैठता है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व मध्य प्रदेश (Satpura Tiger Reserve of Hoshangabad) के नर्मदा नदी के दक्षिण में स्थित सतपुड़ा पर्वतमाला क्षेत्र में जैव विविधता से समृद्ध वनक्षेत्र है. यह टाइगर रिजर्व अनेकों प्रजातियों का रहवास है. वहीं इसकी कई सारी विशेषताएं भी हैं, जिसके लिए यहां पर्यटकों का हमेशा नज़र आते हैं. यहां आपको केवल बाघ ही नहीं अन्य जंगली जानवर भी आसानी से दिख जाएंगे. वैसे नया साल कुछ दिनों में आने वाला है और इस समय दूर-दूर से लोग सतपुड़ा टाइगर रिजर्व पहुंचने लगे हैं.
ईको-सिस्टम की आत्मा हैं सतपुड़ा के जंगल
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व को भारत के मध्य क्षेत्र के ईको-सिस्टम की आत्मा कहा जाता है. यहां अकाई वट, जंगली चमेली जैसी वनस्पतियां हैं, जो किसी दूसरे स्थान पर नहीं मिलतीं. बाघों की उपस्थिति और उनके प्रजनन क्षेत्र के रूप में सतपुड़ा नेशनल पार्क की अच्छी-खासी प्रसिद्धि है. यह बाघों की अच्छी उपस्थिति वाले मध्यभारत के क्षेत्रों में से एक है. देश के बाघों की संख्या का 17 प्रतिशत और बाघ रहवास का 12 प्रतिशत क्षेत्र सतपुड़ा में ही आता है. यह देश का सर्वाधिक समृद्ध जैव विविधता वाला क्षेत्र है. वहीं इसे इको टूरिजम में जोड़ने के लिए कुछ समय पहले प्रबंधन ने यहां इलेक्ट्रिक व्हीकल का भी प्रयोग किया था, ताकि जंगलो में होने वाले प्रदूषण को रोका जा सके.
इसलिए सैलानियों का लगा रहता है जमावड़ा
बाघों का घर कहे जाने वाले सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में बड़ी संख्या में सैलानी बाघों को देखने पहुंचते हैं. यहां के बाघ कभी धूप सेंकते, कभी पानी में तैरते, तो कभी घास खाते हुए नजर आते हैं, जो सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं. कई बार यहां से ऐसे खूबसूरत दृश्य पर्यटकों द्वारा अपने कैमरे में कैद कर लिए जाते हैं जो सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड करते हैं. लेकिन, कई बार ऐसा भी होता है की सैलानियों को टाइगर नहीं दिख पाता, कभी-कभी बाघ अपने गुफा में ही छुपकर बैठा रहता है, जिसकी वजह से सैलानियों को मायूस होकर लौटना पड़ता है.
नये साल को लेकर टाइगर रिजर्व प्रबंधन ने की तैयारियां
कोरोना काल में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व कुछ समय तक पर्यटकों के लिए बंद किया गया था, लेकिन अब नए साल के लिए पूरी तैयारियां कर ली गई हैं. Covid-19 नियमों के तहत सारे प्रबंधन कर दिए गए हैं. सैलानियों को भी नई कोरोना गाईडलाइन के तहत ही रिजर्व में आने की अनुमति दी जाएगी, साथ ही सैलानियों को भी खास ध्यान रखना होगा. वहीं सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में नए साल के मौके पर बड़ी संख्या में पर्यटकों की पहुंचने की उम्मीद है (Satpura Tiger Reserve destination Spot for tourists). इस समय सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के लगभग सभी होटल पहले से बुक हो गये हैं.
नए साल पर 50 हजार पर्यटकों के पहुंचने की उम्मीद
बाघों की कलाकारी को देखने के लिए आने वाले साल में बड़ी संख्या में पर्यटकों के आने की उम्मीद की जा रही है. आम पर्यटकों के साथ ही यहां महान हस्तियां भी फिल्मों की शूटिंग के लिए आते हैं. एसटीआर के जंगल, बाघ और यहां का वातावरण इन्हें अपनी ओर खींच कर ले आता है. इस समय पर्यटकों के लिए होशंगाबाद के पर्यटन स्थल आम जनता को भा रहे हैं, जिसकी वजह से सतपुड़ा चूरना, बोरी अभ्यारण में पर्यटक छुट्टी मनाने पहुंच रहे हैं. ऐसे में माना जा रहा है कि लगभग 50 हजार सैलानी इस बार यहां पहुंच सकते हैं.
होशंगाबाद के पर्यटन क्षेत्रों में टैक्सियों की स्थिति
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व क्षेत्र के पचमढ़ी में 350 टैक्सियां हैं, मढ़ाई में 35, चूरना में 10 टैक्सियां हैं. एक टैक्सी पर प्रति 6 लोग बैठ कर सफारी का आनंद उठा सकते हैं. वहीं होटलों की यदि बात की जाए तो करीब एमपी टूरिजम और प्राइवेट होटलों की संख्या 100 है, जो अगले 10 दिनों तक बुक हैं.
बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए हो रहे प्रयास
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में लगातार बाघों की संख्या बढ़ाने के लिए कई प्रयोग किए जा रहे हैं. यहां बांधवगढ़, पन्ना, कान्हा और अन्य टाइगर रिजर्व से बाघों को विस्थापित किया जा रहा है. इसके अलावा पेंच टाइगर रिजर्व से चार सालों में 1100 चीतल सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में छोड़े गए हैं. साथ ही पेयजल के स्रोत और सुरक्षा के बंदोबस्त भी यहां बढ़ाए गए हैं. बाघों के साथ तेंदुआ, भालू, जंगली कुत्ते सहित अन्य मांसाहारी जानवरों की संख्या भी बढ़ी है. वहीं बाघों की संख्या में काफी बढ़ोतरी भी हुई है और वह अब सुबह-सुबह अक्सर देखने को मिल रहे हैं. दरअसल ठंड का मौसम है और इस समय धूम अच्छी निकलती है तब बाघ भी अपने गुफा से बाहर निकलते हैं. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व कोर एरिया के अलावा बफर एरिया में भी बाघ के तरह-तरह नजारे देखने को मिलते हैं. बफर एरिया कोर एरिया से सटा हुआ है, जहां पर्यटकों का आना-जाना बना रहता है. धूपगढ़ क्षेत्र भी कोर क्षेत्र है, ठंड में अकसर बाघ ज्यादा देर तक बाहर रहते हैं. इसी कारण लोगों को अभी आसानी से बाघ दिखाई दे रहे हैं.
सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के संचालक एल कृष्णमूर्ति बताते हैं कि, बाघ सहित अन्य वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ाने के लिए रिजर्व में कई प्रयोग किए जा रहे हैं. गांव खाली कराने से लेकर बाघ, चीतल जैसे जानवरों का विस्थापन भी किया जा रहा है. इसके अलावा खाली मैदानों में ग्रास लैंड विकसित किए जा रहे हैं. आगे भी कई नए प्रयोग किए जाएंगे, जिससे कि बाघों की संख्या यहां बढ़े. वर्तमान में करीब 50 बाघ रिजर्व में देखे जा रहे हैं. बाहरी क्षेत्रों में भी बाघ आम लोगों को आसानी से दिख जाते हैं, उनकी सुरक्षा को लेकर भी प्रबंधन काम कर रहा है.
बॉलीबुड की कई हस्तियों की पसंद सतपुड़ा टाइगर रिजर्व
पिछले कई सालों से बॉलीबुड के कई कलाकार सतपुड़ा टाइगर रिजर्व आकर यहां की सुंदरता की तारीफ करते नहीं थकते हैं. अभी हाल ही में अभिनेता रणदीप हुड्डा यहां आए थे. उन्होंने कहा था कि सतपुड़ा जैसा टाइगर रिजर्व कहीं नहीं. मैं यहां बार बार आऊंगा. साथ ही सोशल मीडिया पर कैप्शन डालते हुए लिखा था “"My first tiger hunt". इस पोस्ट को STR के फेसबुक पेज से भी शेयर किया गया था.
वहीं इससे पहले और कई हस्तियां आई हैं, जिसमें कंगना राणावत, विद्या बालन, रवीना टंडन शामिल हैं. क्रिकटर राहुल द्रविड भी इस खूबसूरत नेशनल पार्क का दीदार कर चुके हैं. विद्या बालन ने भी अपनी फिल्म शेरनी के प्रोमो में सतपुड़ा टाइगर रिजर्व में वन विभाग में पदस्थ सुधा धुर्वे की तारीफ की. करीब चार साल पहले जब वह एसटीआर में अपने साथियों के साथ गस्त कर रही थीं, तो उनके सामने 10 मीटर की दूरी पर बाघ आ गया और वह करीब 3 घंटे बाघ के सामने खड़ी रहीं. इसके अलावा अभिनेता अर्जुन रामपाल भी इस खूबसूरत एसटीआर में आ चुके हैं.
टाइगर डे मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी पहुंचे
टाइगर डे पर परिवार के साथ सतपुडा टाइगर रिजर्व में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह भी पहुंचे थे. यहां पहुंचकर सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के प्रबंधन से उन्होंने बात की थी. उन्होंने कहा था एसटीआर अपनी एक अलग पहचान को लेकर जाना जाता है. सतपुड़ा टाइगर रिजर्व शिवराज सिंह को कितना भाता है, यह इस बात से पता चलता है कि वह अपना खाली समय परिवार के साथ एसटीआर में बिताने आये थे.